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Explainer: सिद्धू के खिलाफ क्या है 3 दशक पुराना रोड रेज का केस? जिसमें बुजुर्ग की हो गई थी मौत

Navjot Singh Sidhu Road Rage Case: दिसंबर 1988 में पार्किंग को लेकर सिद्धू की एक 65 साल के बुजुर्ग से हाथापाई हो गई थी. इसके बाद बुजुर्ग की मौत हो गई थी. इस मामले में सिद्धू पर उसी दिन गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज किया गया था.

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रोड रेज के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में बरी कर दिया था. (फाइल फोटो-PTI)
रोड रेज के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में बरी कर दिया था. (फाइल फोटो-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 27 दिसंबर 1988 का है मामला
  • पार्किंग को लेकर हुई थी हाथापाई
  • 2018 में SC ने बरी कर दिया था

Navjot Singh Sidhu Road Rage Case: विधानसभा चुनाव से दो हफ्ते पहले पंजाब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ 33 साल पुराना केस फिर से खुल गया है. दिसंबर 1988 के मामले में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करने को राजी हो गया है. पीड़ितों ने मई 2018 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की थी, जिसे अदालत ने मान लिया है. 

रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस एमएम खानविलकर की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी. 15 मई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने सिद्ध पर 1988 के रोड रेज मामले में 1 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था. 

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया था. हाईकोर्ट ने सिद्धू को 3 साल कैद की सजा सुनाई थी. अब सुप्रीम कोर्ट के उसी फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल हुई है. 

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3 दशक पुराना मामला क्या है, 6 प्वॉइंट्स में समझें...

1. 27 दिसंबर 1988 की शाम सिद्धू अपने दोस्त रूपिंदर सिंह संधू के साथ पटियाला के शेरावाले गेट की मार्केट में पहुंचे. ये जगह उनके घर से 1.5 किलोमीटर दूर है. उस समय सिद्धू एक क्रिकेटर थे. उनका अंतरराष्ट्रीय करियर शुरू हुए एक साल ही हुआ था.

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2. इसी मार्केट में कार पार्किंग को लेकर उनकी 65 साल के बुजुर्ग गुरनाम सिंह से कहासुनी हो गई. बात हाथापाई तक जा पहुंची. सिद्धू ने गुरनाम सिंह को घुटना मारकर गिरा दिया. उसके बाद गुरनाम सिंह को अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई. रिपोर्ट में आया कि गुरनाम सिंह की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई थी.

3. उसी दिन सिद्धू और उनके दोस्त रूपिंदर पर कोतवाली थाने में गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज हुआ. सेशन कोर्ट में केस चला. 1999 में सेशन कोर्ट ने केस को खारिज कर दिया. 

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4. साल 2002 में पंजाब सरकार ने सिद्धू के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की. इसी बीच सिद्धू राजनीति में आ गए. 2004 के लोकसभा चुनाव में अमृतसर सीट से बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ा और जीते. 

5. दिसंबर 2006 को हाईकोर्ट का फैसला आया. हाईकोर्ट ने सिद्धू और संधू को दोषी ठहराते हुए 3-3 साल कैद की सजा सुनाई. साथ ही 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया. सिद्धू ने लोकसभा से इस्तीफा दे दिया.

6. हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. सिद्धू की ओर से बीजेपी के दिवंगत नेता अरुण जेटली ने केस लड़ा. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई. 2007 में सिद्धू फिर अमृतसर से चुनाव जीते.

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1988 के मामले में दो केस हैं

- 1988 के मामले में सिद्धू और संधू पर दो केस हैं. पहला गैर इरादतन हत्या का और दूसरा रोड रेज का. इसमें सिद्धू पर चोट पहुंचाने की धारा लगी थी. 

- मई 2018 में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सिद्धू और संधू को रोड रेज के मामले में दोषी ठहराते हुए 3-3 साल कैद की सजा सुनाई.

- मामला फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू और संधू को सभी आरोपों से बरी कर दिया. हालांकि, कोर्ट ने रोड रेज मामले में सिद्धू पर 1 हजार रुपये का जुर्माना लगाया. इसी फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की गई है.

 

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