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मुसलमानों से पर्सनल लॉ बोर्ड की अपील- शादी में दहेज की जगह लड़कियों को प्रॉपर्टी में हिस्सा दें

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड कई बार दहेज को गैर-इस्लामिक करार दे चुका है. लेकिन फिर भी यह रीत-रिवाज खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. यही वजह है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने दहेज प्रथा को पूरी तरह से बंद करने के लिए मुसलमानों से अपील की है. 

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मुस्लिम महिलाओं को प्रापर्टी में हक
मुस्लिम महिलाओं को प्रापर्टी में हक
स्टोरी हाइलाइट्स
  • मुसलमानों ने धर्म को नमाज तक सीमित कर रखा है
  • इस्लाम में दहेज लेने और देने की मनाही की गई है
  • मुस्लिम महिलाओं को पिता की प्रापर्टी में अधिकार

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की इस्लाहे मुआशरा (समाज सुधार) कमेटी की मंगलवार को बैठक हुई, जिसमें कई अहम मसलों पर चर्चा हुई. इस दौरान बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना राबे हसनी नदवी ने अफसोस जताते हुए कहा कि मुसलमानों ने इस्लाम धर्म को नमाज तक ही सीमित कर दिया और सामाजिक मामलों की उपेक्षा की जा रही है. उन्होंने कहा कि शादियों में दहेज देने के बजाए लड़किओं को प्रॉपर्टी में उसका असल हक दिया जाए. 

बता दें कि इस्लाम में दहेज लेना और देना दोनों की मनाही है. इसके बावजूद भारत में मुसलमानों के यहां भी  शादियों में दहेज का चलन है. लड़की को उसकी शादी के अवसर पर क्या दहेज के तौर पर कुछ दिया जाना चाहिए? यह मसला हर दौर में बहस का मुद्दा रहा है. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड कई बार दहेज को गैर-इस्लामिक करार दे चुका है. लेकिन फिर भी यह रीत-रिवाज खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. यही वजह है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने दहेज प्रथा को पूरी तरह से बंद करने के लिए मुसलमानों से अपील की है. 

'इस्लाम को सिर्फ नमाज तक सीमित ना रखें'

मौलाना राबे हसन नदवी ने कहा कि इस्लाम धर्म जीवन के सभी क्षेत्रों में हमारा मार्गदर्शन करता है, इसलिए मुसलमानों को हर क्षेत्र में हलाल और हराम का ध्यान रखना चाहिए. इस्लाम को सिर्फ नमाज तक सीमित नहीं रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस्लामी शरीयत को बदनाम किया जा रहा है. 

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उन्होंने कहा कि मुसलमानों को सामाजिक रीति-रिवाजों से बचना चाहिए और सुन्नत व शरीयत के अनुसार शादी करें. शादी में दहेज देने के बजाए जायदाद में लड़की को उसका हक दिया जाए. शादी के दौरान इस्लामी दिशा-निर्देशों का पालन किया जाना चाहिए ताकि कोई मुस्लिम लड़की अपने घर में अविवाहित न बैठे. इसके लिए शादियों को आसान बनाया जाए और बिना किसी दहेज के निकाह हों. 

मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमानी ने कहा कि मौलाना वली रहमानी की देखरेख में देश भर में एक आसान विवाह अभियान शुरू किया गया था, जिसके तहत दर्जनों शादियां सादगी से कराई गईं. उन्होंने कहा कि आसान न‍िकाह अभियान में मुस्लिम लड़कों को जुड़ना चाह‍ि‍ए. ़

महिलाओं में शिक्षा के लिए महिला समिति बने

जमात-ए-इस्लामी के प्रमुख सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने कहा कि शादी को असान और सभी के लिए सुविधाजनक बनाने के लिए सामाजिक दबाव बनाया जाना चाहिए. महिलाओं को शिक्षित किए बगैर बदलाव आसान नहीं है. ऐसे में महिलाओं को शिक्षित करने के लिए एक महिला समिति का गठन किया जाना चाहिए. इस अभियान का जमात-ए-इस्लामी पूरा समर्थन करेगा. उन्होंने सुझाव दिया कि विवाह को सरल तरीके से और बिना दहजे के करने के लिए सामाजिक स्तर पर लोगों को जागरुक करना होगा. 

समाज में अभियान चलाने की जरूरत

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जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष और बोर्ड की कार्यकारी समिति के सदस्य हजरत मौलाना सैयद अरशद मदनी ने कहा कि आसान शादी अभियान को सफल बनाने के लिए प्रभावशाली लोगों की एक समिति बनाई जानी चाहिए. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि कुछ सभाओं, भाषणों और लेखों के माध्यम से विवाह की कमियों को दूर नहीं किया जा सकता है, जिसके लिए एक निरंतर और व्यवस्थित संघर्ष की आवश्यकता है. 


 

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