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टमाटर के बाद अब प्याज के दाम बढ़ने की आशंका! केंद्र सरकार ने लिया बड़ा फैसला

टमाटर की तरफ प्याज के दामों में आग न लगे, इसके लिए सरकार पहले से ही अलर्ट है. इसको लेकर तरह-तरह के कदम उठाए जा रहे हैं. इस क्रम में पिछले हफ्ते ही सरकार ने अक्टूबर में नई फसल के आने तक कीमतों को नियंत्रण में रखने के उद्देश्य से विशिष्ट क्षेत्रों में अपने बफर स्टॉक से प्याज बाजार में उतारने की घोषणा की थी.

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प्याज की कीमतों को लेकर सरकार का बड़ा फैसला (फाइल फोटो)
प्याज की कीमतों को लेकर सरकार का बड़ा फैसला (फाइल फोटो)

टमाटर की कीमतें अब जाकर कहीं कम होने लगी हैं. हालांकि अब भी टमाटर 100 रुपये किलो से अधिक में बिक रहा है. इस बीच प्याज की कीमतें बढ़ने की आशंका के मद्देनजर केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. टमाटर की तरह प्याज की कीमतें आसमान में न पहुंचे, इसके लिए सरकार पहले से अलग-अलग कदम उठा रही है. सरकार ने प्याज के निर्यात पर 40 प्रतिशत शुल्क लगा दिया है. शनिवार को जारी एक अधिसूचना में कहा गया है कि सरकार 31 दिसंबर तक प्याज निर्यात पर 40 फीसदी शुल्क लगाएगी. यानी प्याज को विदेश में बेचने पर विक्रेता को 40 फीसदी शुल्क सरकार को देना होगा.

दरअसल, पिछले हफ्ते ही सरकार ने अक्टूबर में नई फसल के आने तक कीमतों को नियंत्रण में रखने के उद्देश्य से विशिष्ट क्षेत्रों में अपने बफर स्टॉक से प्याज बाजार में उतारने की घोषणा की थी. सरकार प्याज के वितरण के लिए अलग-अलग माध्यम खोज कर रही है, जिसमें ई-नीलामी, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और उपभोक्ता सहकारी समितियों और निगमों द्वारा संचालित अपने खुदरा दुकानों के माध्यम से छूट की पेशकश करने के लिए राज्य अधिकारियों के साथ साझेदारी शामिल है.

प्याज की कीमत में बढ़ोतरी दिखनी शुरू!

वर्तमान में, सरकार ने कम आपूर्ति की अवधि के दौरान कीमतों में किसी भी अप्रत्याशित उछाल से निपटने के लिए मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) के भीतर 3 लाख टन प्याज का स्टॉक किया हुआ है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, प्याज की कीमत में थोड़ी बढ़ोतरी दिखनी शुरू हो गई है. 10 अगस्त तक, प्याज की अखिल भारतीय खुदरा कीमत 27.90 रुपये प्रति किलोग्राम थी, जो पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 2 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक की वृद्धि दर्शाती है.

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घरेलू आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए लगाया निर्यात शुल्क

बता दें कि निर्यात शुल्क यह सुनिश्चित करने में मदद कर सकता है कि सामान का एक निश्चित हिस्सा घरेलू बाजार में उपलब्ध रहे. अत्यधिक निर्यात को हतोत्साहित करके, सरकार देश में वस्तु की कमी को रोक सकती है और यह सुनिश्चित कर सकती है कि स्थानीय उपभोक्ताओं के लिए आवश्यक वस्तुओं की पर्याप्त आपूर्ति हो.

महाराष्ट्र और एमपी से खरीदी गई थी 1.50 लाख टन प्याज

इससे पहले, भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ (एनसीसीएफ) और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नेफेड) ने भी महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश से 1.50 लाख टन प्याज की खरीद की थी. इसके अलावा, प्याज की शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए सरकार ने पायलट आधार पर भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) की मदद से इसका विकिरण शुरू किया.

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 2020-21 से 2023-24 के बीच उच्च खपत वाले क्षेत्रों में रबी सीजन की खरीद के कारण प्याज का वार्षिक बफर एक लाख टन से तीन लाख टन तक होगा. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है, "प्याज बफर ने उपभोक्ताओं को सस्ती कीमतों पर प्याज की उपलब्धता सुनिश्चित करने और मूल्य स्थिरता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है."

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भारत को प्याज की लगभग 65 प्रतिशत आपूर्ति रबी सीजन से प्राप्त होती है, जिसकी कटाई अप्रैल-जून के दौरान होती है और अक्टूबर-नवंबर में खरीफ फसल की कटाई होने तक उपभोक्ताओं की मांग को पूरा किया जाता है.

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