scorecardresearch
 

तमिलनाडु सरकार का बढ़ा कर्ज, महात्मा गांधी की वेशभूषा में 2.63 लाख का चेक लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचा शख्स

तमिलनाडु के वित्त मंत्री ने दावा किया था कि राज्य सरकार वित्तीय संकट का सामना कर रही है. उसके एक दिन बाद महात्मा गांधी की तरह ही कपड़े पहने एक व्यक्ति ने नामक्कल में जिला अधिकारियों को 2.63 लाख रुपये का चेक सौंपने की कोशिश की.

Advertisement
X
महात्मा गांधी के अनुयायी हैं गांधी रमेश.
महात्मा गांधी के अनुयायी हैं गांधी रमेश.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • तमिलनाडु में बढ़ा है प्रति व्यक्ति कर्ज
  • वित्तीय संकट का सामना कर रही सरकार
  • अधिकारियों ने पैसे लेने से किया इनकार

तमिलनाडु के वित्त मंत्री पी त्याग राजन ने सोमवार को कहा था कि राज्य में सार्वजनिक कर्ज बढ़कर प्रति परिवार 2.63 लाख रुपये पर पहुंच गया है. वित्त मंत्री के बयान के एक दिन बाद महात्मा गांधी की तरह वेशभूषा पहने एक शख्स नामक्कल में जिला कलेक्टर के कार्यालय पंहुचा और 2.63 लाख रुपये का चेक सौंपने की कोशिश की. अधिकारियों ने पैसे लेने से इनकार कर दिया.

महात्मा गांधी के प्रबल अनुयायी गांधी रमेश ने सरकार के कर्ज को चुकाने में मदद करने के लिए राज्य को 2,63,976 रुपये दान करने का फैसला किया. उन्होंने राज्य के अधिकारियों से चेक लेने का अनुरोध किया. उन्होंने यह भी अनुरोध किया कि प्रशासन उनके परिवार को शून्य ऋण रसीद दे.

गांधी रमेश ने कहा कि उन्होंने यह कदम इसलिए उठाया है कि जिससे लोग ऐसा करें जिससे सरकार पर कर्ज का बोझ कम हो. हालांकि अधिकारियों ने ऐसा करने से इनकार दिया था. वे महात्मां गांधी की ही वेशभूषा में चेक लेकर कार्यालय पहुंचे थे. उनके हाथ में चेक का एक बड़ा सा प्रतीकात्मक बोर्ड भी था.

हाइवे का जाल बिछाने वाला NHAI कर्ज के बोझ से दबा, रिकॉर्ड 3.2 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचा 

क्या था वित्त मंत्री का बयान?

तमिलनाडु के वित्त मंत्री पी त्याग राजन ने सोमवार को ऐलान किया था कि राज्य सरकार वित्तीय संकट का सामना कर रही है. उन्होंने इसके लिए राज्य में पूर्व अन्नाद्रमुक सरकार के अनुचित शासन को जिम्मेदार ठहराया था. वित्त मंत्री ने कहा था कि आंकड़े बताते हैं कि मार्च 2022 तक राज्य का कुल बकाया कर्ज 5,70,189 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा.

Advertisement

हर परिवार पर 2,63,976 सार्वजनिक कर्ज

वित्त मंत्री के मुताबिक तमिलनाडु में 2,16,24,238 परिवार हैं, इसका मतलब है कि प्रत्येक परिवार पर सार्वजनिक कर्ज का बोझ 2,63,976 रुपये होगा. 122 पन्नों के श्वेत पत्र में 2011 के बाद के डेटा शामिल हैं. आंकड़ों के जरिए यह दिखाने की कोशिश की गई है कि कैसे अनुचित प्रबंधन ने मौजूदा संकट को जन्म दिया है.

यह भी पढ़ें-

 

Advertisement
Advertisement