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कोलकाता कांडः नाइट ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर ने उठाए कई सवाल, पूछा- किसी को कुछ पता नहीं चला...ऐसा कैसे संभव?

डॉक्टर तपस ने कहा कि सेमिनार रूम का वायरल वीडियो है. डॉक्टरों ने इन 2-3 घंटों में हुई घटनाओं को लेकर विरोध प्रदर्शन किया है. यह भी सवाल उठता है कि जब पुलिस घटनास्थल पर मौजूद थी, तो प्रिंसिपल के पीए वहां क्या कर रहे थे? मुझे इस घटना की जानकारी समय पर क्यों नहीं मिली, जबकि मैं उसी अस्पताल में काम कर रहा था?

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कोलकाता कांड को लेकर में हो रहे प्रदर्शन.
कोलकाता कांड को लेकर में हो रहे प्रदर्शन.

कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में हुई दरिंदगी को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. लंबे समय से इस घटना के विरोध में देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं. इसी बीच, 8 अगस्त को यानी कि जिस दिन ये घटना हुई उस दिन नाइट ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर ने कई राज खोले हैं. घटना वाले दिन तपस प्रमाणिक अस्पताल के इमरजेंसी वॉर्ड में ड्यूटी पर थे. उन्होंने ट्रेनी डॉक्टर का शव मिलने के बाद से जांच को लेकर कई तरह की विसंगतियों पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि ऐसा कैसे हो सकता है कि इतनी जघन्य घटना अस्पताल में हो जाए और किसी को कोई आवाज नहीं आए. 

क्या बोले नाइट शिफ्ट में मौजूद डॉक्टर तपस

उन्होंने उस दिन की घटना के बारे में बताते हुए कहा कि मैं आठ अगस्त की रात 8 बजे से अगली सुबह 8 बजे तक ड्यूटी पर था. घर जाने के बाद सुबह 11.45 बजे मुझे व्हॉट्सएप ग्रुप के जरिए पता चला कि रात में हॉस्पिटल में इस तरह का एक एक्सीडेंट हुआ है. मैंने हॉस्पिटल में फोन किया तो पता चला कि हॉस्पिटल के थर्ड फ्लोर से डेड बॉडी मिली है. मैंने 'मैडम' और दूसरों को कॉल किया और पता चला कि एक महिला जो चेस्ट विभाग में पोस्ट ग्रेजुएट ट्रेनी थी, उसकी मौत हो गई है और यह संभवतः बलात्कार और हत्या का मामला है.
 

उन्होंने कहा कि इस मामले में डेथ सर्टिफिकेट 12.45 बजे जारी हुआ था. लेकिन कोलकाता के टाला पुलिस स्टेशन के मुताबिक सुबह 9.45 बजे डेड बॉडी मिली. लेकिन यहां सवाल ये है कि सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा गया है कि नौ अगस्त की सुबह 10 बजे के आसपास डेड बॉडी मिली. लेकिन दोपहर 12.45 में Brought Dead डिक्लेयर किया गया तो ऐसे में इन तीन घंटे में यानी 9.45 से 12.45 में क्या-क्या हुआ?

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डॉक्टर ने उठाए ये सवाल

डॉक्टर तपस ने कहा कि सेमिनार रूम का वायरल वीडियो है. डॉक्टरों ने इन 2-3 घंटों में हुई घटनाओं को लेकर विरोध प्रदर्शन किया है. यह भी सवाल उठता है कि जब पुलिस घटनास्थल पर मौजूद थी, तो प्रिंसिपल के पीए वहां क्या कर रहे थे? मुझे इस घटना की जानकारी समय पर क्यों नहीं मिली, जबकि मैं उसी अस्पताल में काम कर रहा था? बाद में कुछ डॉक्टर अन्य अस्पतालों से घटनास्थल पर आए. यह कैसे संभव है कि एक गंभीर और वीभत्स अपराध होने के बावजूद कोई आवाजें नहीं सुनाई दीं? ऐसा कैसे हो सकता है कि किसी को पता ही न चले?

यह भी पढ़ें: कोलकाता कांड: TMC ने संदीप घोष के करीबी जूनियर डॉक्टर को पार्टी से निकाला

डॉक्टर्स का प्रदर्शन जारी

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुए लेडी डॉक्टर रेप-मर्डर केस में इंसाफ की मांग करते हुए जूनियर डॉक्टरों ने सोमवार को एक विरोध मार्च निकाला. इसमें विभिन्न मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर शामिल हुए. कोलकाता पुलिस मुख्यालय लालबाजार तक निकाली गई इस रैली में डॉक्टरों ने पुलिस कमिश्नर विनीत गोयल के इस्तीफे की मांग की है. उनका कहना है कि 14 अगस्त को मेडिकल कॉलेज में हुई हिंसा के दौरान पुलिस ने लापरवाही की है. 

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इस रैली को बीच में ही रोकने के लिए कोलकाता पुलिस ने बीबी गांगुली स्ट्रीट पर बैरिकेडिंग लगा दी. इसके बाद प्रदर्शन में भाग लेने वाले डॉक्टरों ने कहा कि उनकी रैली शांतिपूर्ण है. उनके प्रतिनिधि पुलिस कमिश्नर से मिलना चाहते हैं. उन्होंने मांग की कि रैली को पुलिस मुख्यालय की ओर आगे बढ़ने दिया जाए, लेकिन पुलिस ने उन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया. इसके बाद आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टर सड़क पर ही बैठ गए और पुलिस विरोधी नारे लगाने लगे. 

डॉक्टर्स का आरोप है कि 9 अगस्त को हुई इस वारदात की जांच के दौरान पुलिस ने पर्याप्त कदम नहीं उठाए. यही वजह है कि हाई कोर्ट को इस केस की जांच सीबीआई को सौंपनी पड़ी. इतना ही नहीं मेडिकल कॉलेज में हुई हिंसा और तोड़फोड़ के दौरान भी पुलिस ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए.

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