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तिरुपति बाला जी में अब नंदिनी घी से नहीं बनाए जाएंगे लड्डू, ये है बड़ा कारण

मंदिर में बनाए जाने वाले महाप्रसाद को बनाने के लिए केएमएफ का नंदिनी देशी घी प्रयोग में लाया जाता है. लेकिन अब केएमएफ का कहना है कि घी की कीमत बढ़ गई है तो उसे नुकसान हो जाएगा. केएमएफ का कहना है कि तिरूपति के बीच समझौता डेढ़ साल पहले खत्म हो गया है.

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तिरुपति बाला जी में अब नंदिनी घी से नहीं बनाए जाएंगे लड्डू
तिरुपति बाला जी में अब नंदिनी घी से नहीं बनाए जाएंगे लड्डू

आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित तिरुपति बाला जी का मंदिर लाखों-करोड़ों लोगों की आस्था का बड़ा केंद्र है. यह मंदिर लड्डू के लिए भी जाना जाता है. यह लड्डू शुद्ध बेसन, बूंदी, चीनी, काजू और शुद्ध घी आदि की मदद से तैयार किया जाता है. लेकिन जो लड्डू बनाने के लिए उपयोग में लाए जाने वाला घी है वह अब मंदिर को नहीं मिल पाएगा. इसे लेकर संकट पैदा होने की आशंका है. क्योंकि इसकी आपूर्ति करने वाली कंपनी केएमएफ (कर्नाटका मिल्क फेडरेशन) ने रियायत दर पर देवास्थानम को घी की आपूर्ति करने के लिए मना कर दिया है.

मंदिर में बनाए जाने वाले महाप्रसाद को बनाने के लिए केएमएफ का नंदिनी देशी घी प्रयोग में लाया जाता है. लेकिन अब केएमएफ का कहना है कि घी की कीमत बढ़ गई है तो उसे नुकसान हो जाएगा. केएमएफ का कहना है कि तिरूपति के बीच समझौता डेढ़ साल पहले खत्म हो गया है. केएमएफ के एमडी जगदीश ने तिरूपति को नंदिनी घी की आपूर्ति पर कहा कि जब टेंडर बुलाई जाती है, तो हर कोई टेंडर में भाग लेता है. सबसे कम कीमत वाले को ही टेंडर मिलेगा.

हम लगभग 400 रुपये प्रति किलो की बोली लगाते हैं. यदि कोई 1-2 रुपये कम बोली लगाता है, तो वे कम कीमत लगाने वाले बोलीदाता के साथ जाएंगे. मुझे नहीं पता, वे इसे किस कीमत पर खरीद रहे हैं. लेकिन हमने अपनी खरीद के हिसाब से 400 रुपये से ज्यादा का भाव लगाया है.

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उन्होंने कहा कि हर 6 माह में टेंडर बदला जाता है. इसका सरकार से कोई लेना-देना नहीं है और सप्लाई कल या आज बंद नहीं हुई है. यह डेढ़ साल पहले ही बंद हो चुका है. केएमएफ के एमडी ने कहा कि आखिरी बार हमने आपूर्ति वर्ष 2021-22 में की थी. उन्होंने 6 महीने के लिए 2050 मीट्रिक टन का टेंडर बुलाया था. उसमें से हम L3 यानी सबसे कम बोली लगाने वाले थे. तो पहले सबसे कम बोली लगाने वाले को टेंडर आवंटित किया जाएगा.

एमडी ने कहा कि इसके बावजूद, उन्होंने हमारे साथ बातचीत की और हमने जो कीमत बताई, उसके लिए हमने कीमत दी. हमने 21-22 में 350 मीट्रिक टन घी सप्लाई किया है. इसके बाद जो भी कम दाम में दे रहा है, वह टेंडर जारी रखे हुए है.

उन्होंने कहा कि यह एक ऐसी संस्था है जो किसानों के लाभ पर चलती है और हम इससे कम कीमत नहीं दे सकते. बोलीदाताओं द्वारा कम कीमत पर बोली लगाने के कारण वे हमारी तुलना में कम बताए गए कीमत पर जा सकते हैं. अगले 6 महीनों में बोली लग सकती है, और हम भाग लेंगे और अपनी कीमत बताएंगे.

एमडी ने कहा कि केएमएफ एक स्वतंत्र संस्था है, हम स्वतंत्र रूप से कार्य करते हैं और खरीदारी करते हैं. इसका सरकार से कहीं कोई लेना-देना नहीं है. हम विनिर्माण कीमतों के आधार पर मूल्य तय करते हैं और उद्धरण देते समय अन्य सभी कीमतें जोड़ दी जाती हैं. मैं इसकी कम कीमत नहीं दे सकता, क्योंकि यह हमारे लिए नुकसानदेह है.

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