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कोरोना के चलते हुआ भारी नुकसान, 45 रुपये प्रति किलो में बसें बेच रहे व्यापारी

कॉन्ट्रैक्ट कैरिज ऑपरेटर्स एसोसिएशन केरल के प्रदेश अध्यक्ष बीनू जॉन ने बताया कि कोरोना की तीसरी लहर के दौरान पिछले दो महीनों में ही बैंकों ने हजार से अधिक पर्यटक बसें कुर्क की हैं. इसकी भी सटीक संख्या मार्च के बाद सामने आएगी. उन्होंने कहा कि हाल ही में लागू किए गए रविवार के लॉकडाउन से 8-10 दिनों के कुछ पैकेज टूर पर बुरा प्रभाव पड़ा है और उन्हें बुरी तरह से नुकसान पहुंचा है.

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Kerala bus
Kerala bus
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कोविड के चलते बस संचालकों को भारी नुकसान
  • बस 45 रुपये किलो बेचने को मजबूर

कोरोना महामारी के चलते लगे लॉकडाउन से कई बड़े व्यापारियों को भी नुकसान हुआ है. ऐसे में छोटे मोटे बिजनेस का तो बुरा हाल है. केरल में पर्यटक बस ऑपरेटर्स का भी ऐसा ही एक ग्रुप है जो इस नुकसान से उबर नहीं पा रहा. उनमें से एक तो अपनी बसें 45 रुपये किलो बेच रहा है. जब कोई इस तरह के विज्ञापन को पहली बार देखता है तो यह हास्यास्पद लग सकता है, लेकिन यह वास्तविकता है. केरल में एक बस ओनर एसोसिएशन, कॉन्ट्रैक्ट कैरिज ऑपरेटर्स (CCOA) के अनुसार, राज्य में पर्यटकों की बसों की कुल संख्या 14,000 से घटकर 12,000 हो गई है.

स्क्रैप दर पर अपनी बसों को बेचने के लिए तैयार ऑपरेटर रॉय टूरिज्म के मालिक कोच्चि स्थित ऑपरेटर रॉयसन जोसेफ हैं. उन्होंने कहा कि पिछले 12-18 महीनों में उन्होंने अपनी 20 पर्यटक बसों में से 10 को बेच दिया है. उन्होंने कहा, "इस सप्ताह के पहले तीन दिनों में केवल तीन बसों को मुन्नार की यात्राएं मिलीं. आमतौर पर फरवरी में मुन्नार की सड़कों पर भारी ट्रैफिक देखा जाता है, क्योंकि पर्यटक आते थे. अब ऐसा नहीं है." उन्होंने आगे कहा कि पर्यटक बस मालिक आत्महत्या के कगार पर हैं.
 
सीसीओए के प्रदेश अध्यक्ष बीनू जॉन के अनुसार, पिछले दो महीनों में ही बैंकों या साहूकारों द्वारा हजार से अधिक पर्यटक बसें कुर्क की गई हैं. सटीक संख्या मार्च के बाद सामने आएगी. हाल ही में लागू किए गए रविवार के लॉकडाउन से 8-10 दिनों के कुछ पैकेज टूर के प्रभावित होने के साथ उन्हें बुरी तरह से नुकसान पहुंचा था. भारी रोड टैक्स का भुगतान करने वाले पर्यटन बस ऑपरेटर निश्चित रूप से इस स्थिति से खुश नहीं हैं.

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उन्होंने कहा कि हर पर्यटक बस ऑपरेटर सड़क और वाहन कर के रूप में प्रति तिमाही कम से कम 40,000 रुपये का भुगतान करता है. ईंधन की उच्च लागत उन पर एक और बोझ है. पर्यटन बस ऑपरेटरों को उम्मीद है कि सरकार कम से कम तब तक करों को वापस लेगी जब तक कि सभी कोविड प्रतिबंध नहीं हटा लिए जाते.

(इनपुट- रिक्सन ओमेन)

 

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