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J-K: पुंछ में सेना का बड़ा आपरेशन, सुरनकोट में छिपे आतंकियों को घेरा, मुठभेड़ जारी

कश्मीर के पुंछ जिले में सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ हुई है. बताया जा रहा है कि यहां सुरनकोट इलाके में कुछ आतंकी छिपे हैं, जिनके बारे में सेना को जानकारी मिली और फिर उनकी तलाश की गई. सेना ने बताया कि आतंकी को दबोचने के लिए इलाके में ऑपरेशन चल रहा है.

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पुंछ में चला सेना का ऑपरेशन
पुंछ में चला सेना का ऑपरेशन

जम्मू और कश्मीर के पुंछ जिले के सुरनकोट इलाके में सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ चल रही है. भारतीय सेना ने एक बयान में बताया कि ऑपरेशन 'लसाना' के तहत, जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ तालमेल बिठाते हुए, जवानों ने लसाना इलाके में आतंकियों के खिलाफ एक संयुक्त अभियान चलाया है. सेना ने बताया कि कल रात दुश्मनों के साथ संपर्क स्थापित किया गया था, और इस अभियान में अतिरिक्त सैनिकों की मदद भी ली गई.

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जम्मू-कश्मीर में आतंकी घुसपैठ की कोशिशें बढ़ गई हैं. इस क्षेत्र में भारतीय सेना के आतंकवाद विरोधी अभियान भी तेज हो गए हैं. पहले अधिकारियों ने बताया था कि आतंकियों को दबोचने के लिए इलाके में लगातार सर्च अभियान चलाया जा रहा है.

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किश्तवाड़ में तीन आतंकियों को किया गया ढेर

बीते दिनों, किश्तवाड़ के छत्रू इलाके में हुई एक मुठभेड़ में भारतीय सेना ने तीन आतंकवादियों को मार गिराया. मुठभेड़ के बाद सुरक्षा बलों ने जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में आतंकियों से एक अमेरिकी M4 कार्बाइन असॉल्ट राइफल और अन्य हथियार बरामद किए गए थे. इनमें एक M4 राइफल, दो AK-47 राइफलें, 11 मैगजीन, 65 M4 गोलियां और 56 AK-47 गोलियां शामिल थीं.

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अमेरिकी राइफल कैसे पहुंचा कश्मीर?

गौरतलब है कि, अमेरिकी मूल के M4 कार्बाइन का इस क्षेत्र में बरामद होना कोई नई घटना नहीं है. पहले भी ऐसी हथियार बरामद हुए हैं. पहली बार 2017 में पुलवामा में यह देखा गया था. ये राइफल तब जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर के भतीजे तालह राशिद मसूद के पास से बरामद किया गया था, जब एक आपरेशन में उसे मार गिराया गया था.

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रिपोर्ट्स की मानें तो ये हथियार आतंकियों के पास अफगानिस्तान से मिले हो सकते हैं, जहां अमेरिका ने सैन्य वापसी के दौरान बड़ी संख्या में हथियार छोड़ दिए थे. अगस्त 2021 में अमेरिकी सेना की वापसी के दौरान ये हथियार तालिबान और अन्य समूहों के कब्जे में आ गए थे. इसी वजह से पिछले कुछ समय से जम्मू-कश्मीर में इन हथियारों की बढ़ती मौजूदगी देखी गई है.

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