जम्मू क्षेत्र में बढ़े हुए आतंकवादी हमलों ने दिखाया है कि कैसे पाकिस्तान आतंकवादियों को भारत में प्रवेश करने के लिए समर्थन जारी रखता है. किश्तवाड़ के छत्तरू क्षेत्र में आतंकवादियों से अमेरिकी एम4 कार्बाइन असॉल्ट राइफल की बरामदगी एक बार फिर पाकिस्तान में हथियार आपूर्ति नेटवर्क की ओर इशारा करती है.
सुरक्षा बलों ने किश्तवाड़ में एक मुठभेड़ में 1 एम4 राइफल, 2 एके 47 राइफल, 11 मैगज़ीन, 65 एम4 गोलियां और 56 एके 47 गोलियां बरामद कीं. गर्मियों की शुरुआत के साथ, जम्मू और कश्मीर में आतंकवादी घुसपैठ की कोशिशें बढ़ गई हैं. भारतीय सेना के आतंकवाद विरोधी अभियान भी तेज हो गए हैं.
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जब खुद पर हथियार इस्तेमाल हुआ तो रोने लगा पाकिस्तान
भारतीय सेना ने किश्तवाड़ में एक मुठभेड़ में 3 आतंकवादियों को मार गिराया. इस अभियान में आतंकवादियों से बड़ी मात्रा में हथियार और अन्य उपकरण बरामद किए गए. एक अमेरिकी एम4 कार्बाइन भी बरामद किया गया. इस बरामदगी ने एक बार फिर पाकिस्तान के आतंकवाद के प्रति दोहरे चरित्र को उजागर किया है. कुछ दिन पहले, पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में अफगानिस्तान में छोड़े गए हथियारों पर चिंता व्यक्त की थी.
पाकिस्तान ने शिकायत की थी कि अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना द्वारा छोड़े गए हथियार आतंकवादियों द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ इस्तेमाल किए जा रहे हैं. अब अफगानिस्तान से बरामद किए गए समान हथियारों की बरामदगी से पता चलता है कि आईएसआई और पाकिस्तानी सेना ने इन हथियारों को खरीदा और अपने आतंकवादियों को सौंप दिया. ये हथियार अब जम्मू और कश्मीर में बरामद हो रहे हैं.
2021 में अफगानिस्तान से गई थी अमेरिकी सेना
अमेरिकी सेना ने अगस्त 2021 में अफगानिस्तान में 20 साल की तैनाती के बाद वापसी की. अमेरिकी सेना के पीछे छोड़े गए हथियार और आपूर्ति को लेकर खबरें आईं थीं. ये अमेरिकी हथियार तालिबान के हाथों में चले गए. धीरे-धीरे आतंकवादियों तक पहुंच गए. अब कश्मीर में आतंकवादियों के पास एम4 राइफल की बरामदगी आम हो गई है. एक रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू और कश्मीर में पहली एम4 राइफल 2017 में पुलवामा में जैश प्रमुख मसूद अजहर के भतीजे तलहा राशिद मसूद के मारे जाने के बाद बरामद हुई थी.
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भरोसेमंद असॉल्ट राइफलों में से एक
ये दुनिया की अत्यधिक भरोसेमंद असॉल्ट राइफलों में से एक है. 1987 से इसका प्रोडक्शन हो रहा है. अब तक 5 लाख से ज्यादा M4 Carbine बन चुकी हैं. 30 राउंड गोलियों वाली मैगजीन के साथ इसका वजन 3.52 किलोग्राम होता है. जिसे लेकर चलना आसान है. अमेरिकी सेना के लिए बनाई गई यह असॉल्ट राइफल क्लोज कॉम्बैट यानी नजदीकी लड़ाई में इस्तेमाल होती आई है. यह अमेरिकी इन्फ्रैंट्री का पहला हथियार है.
एम4 कार्बाइन की क्षमताओं के बारे में सेना के सूत्रों का कहना है कि सभी आतंकवादी समूह वर्तमान में एके-47 राइफल और एम4 कार्बाइन का इस्तेमाल कर रहे हैं. एम4 से स्टील बुलेट दागे जा सकते हैं. पिछले साल जम्मू में सेना के काफिले पर एम4 और स्टील बुलेट से हमला किया गया था. सेना के वाहनों पर पहली गोली एम4 से ही चलाई गई थी. यह स्टील शीट को आसानी से भेद सकती है. एम4 का इस्तेमाल पिछले साल कठुआ और रियासी में आतंकवादी हमलों में भी किया गया था.
जानते हैं इस हथियार की खासियत...
राइफल का पिछला हिस्सा (Stock) खोलने पर यह करीब 33 इंच लंबी हो जाती है. बंद करने पर चार इंच छोटी. इसकी बैरल यानी नली की लंबाई 14.5 इंच है. इसमें 5.56x45 mm की नाटो ग्रेड गोलियां लगती हैं. यह बंदूक एक मिनट में 700 से 970 राउंड गोलियां दाग सकती है. यह निर्भर करता है उसे चलाने वाले पर.
गोलियां 2986 फीट प्रति सेकेंड की गति से टारगेट की तरफ बढ़ती हैं. यानी दुश्मन को भागने का मौका नहीं मिलता. 600 मीटर की रेंज तक निशाना चूकने का सवाल ही नहीं उठता लेकिन 3600 मीटर तक गोली मारी जा सकती है. इसमें 30 राउंड की स्टेनैग मैगजीन लगती है. साथ ही कई तरह के साइट्स भी लगा सकते हैं.
आतंकियों को क्यों पसंद है ये अमेरिकी राइफल
पूरी दुनिया में मौजूदगी... M4 Carbine दुनिया के बहुत सारे देशों में इस्तेमाल की जाती है. कई देशों की मिलिट्री, पुलिस और अर्धसैनिक बल इसका इस्तेमाल करते हैं. इसलिए यह आसानी से ब्लैक मार्केट में मिल जाती है.
भरोसेमंद और टिकाऊ... यह असॉल्ट राइफल एके-47 की तरह ही भरोसेमंद और टिकाऊ मानी जाती है.
आसानी से चलने वाली... M4 Carbine की हैंडलिंग और एक्टीवेशन आसान है. इसे चलाने के लिए बहुत ज्यादा मिलिट्री ट्रेनिंग की जरूरत नहीं है. मैन्युअल पढ़कर या एक बार यूट्यूब वीडियो देखकर इसे चलाना सीखा जा सकता है.
फायरपावर... यह असॉल्ट राइफल कई तरह के एम्यूनिशन की फायरिंग कर सकता है. इसमें ग्रैनेड लॉन्चर भी सेट हो जाता है. कई तरह के टैक्टिकल मिशन में इस्तेमाल किया जा सकता है.
इज्जत की बात... एम4 कार्बाइन का इस्तेमाल यह दिखाता है कि आतंकियों की पैठ पश्चिमी देशों के हथियार भंडार तक भी है. वो उन्हें नीचा दिखाने के लिए उनका हथियार इस्तेमाल करते हैं. साथ ही दुश्मन को यह बताते हैं कि हमारे पास घातक हथियार है, बच कर रहना.
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ट्रेनिंग और संचालन... अमेरिका के समर्थन वाली सेनाओं ने कई आतंकी संगठनों को शुरुआत में हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी है. इसलिए आतंकियों को इसे चलाने की ट्रेनिंग या संचालन के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती.
स्मगलिंग और अवैध व्यापार... आतंकी गुट कमजोर सीमाओं और भ्रष्टाचारी नेटवर्क का फायदा उठाकर ऐसे हथियारों की खरीद-फरोख्त करते हैं. या फिर उनपर कब्जा करते हैं. जिसमें एम4 कार्बाइन भी शामिल है.
कहां-कहां आतंकियों ने किया है इसे इस्तेमाल?
1. ईराक-सीरिया... ईराक युद्ध और सीरिया गृह युद्ध के समय हजारों एम4 कार्बाइन या तो लूट ली गईं. या चोरी हो गईं. आतंकी समूहों ने इन्हें अमेरिकी और ईराकी सैनिकों के डिपो से चुराया. हजारों असॉल्ट राइफल ISIS और अलकायदा के पास पहुंचीं.
2. अफगानिस्तान... तालिबान और अन्य आतंकी समूहों ने अलग-अलग तरीकों से M4 Carbine जुटाए हैं. इसमें अमेरिकी और अफगानिस्तानी मिलिट्री फोर्सेस के जवानों को किडनैपिंग, उन्हें मारना वगैरह शामिल है.
3. यमन... हूती विद्रोहियों ने यमनी सरकार और सऊदी नेतृत्व वाली सेना के जंग के बीच M4 Carbine का इस्तेमाल किया था. उनके पास ये कहां से आई, इसका खुलासा अब तक नहीं हो पाया है.
4. अफ्रीका... Al-Shabaab और बोको हराम जैसे आतंकी समूह भी इस असॉल्ट राइफल का इस्तेमाल अपने हमलों में करते हैं.
आतंकी समूहों के पास कितनी M4 Carbine
दुनिया भर के आतंकियों के पास कितनी M4 कार्बाइन है, यह बता पाना मुश्किल है. क्योंकि यह जानकारी कहीं भी सार्वजनिक तौर से मौजूद नहीं है. एक अनुमान के हिसाब से दुनिया भर में आतंकियों के पास करीब 10 हजार या उससे ज्यादा M4 कार्बाइन हैं. इसके अलावा अन्य खतरनाक असॉल्ट राइफलें, मशीन गन, आदि मौजूद हैं.
लेकिन ज्यादातर और सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली असॉल्ट राइफल AK-47 है. या फिर स्थानीय स्तर पर बनाए जाने वाले हथियार. यह बेहद चिंताजनक बात है कि इस तरह के हथियार आतंकियों के पास जा रहे हैं. क्योंकि इससे ग्लोबल सिक्योरिटी को खतरा है.