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J-K: पर्यटकों के लिए खुशखबरी, पहली बार सर्दी में उठा सकेंगे सोनमर्ग का मजा

जम्मू-कश्मीर में घूमने जाने वाले लोगों के लिए खुशखबरी है. दरअसल, जोजिला परियोजना और जेड मोड़ के निर्माण की वजह से कश्मीर में सबसे अधिक मांग वाला पर्यटन स्थल सोनमर्ग पहली बार इस सर्दी में खोला जा सकता है.

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सर्दियों में भी जा सकेंगे सोनमर्ग
सर्दियों में भी जा सकेंगे सोनमर्ग
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पहली बार सर्दियों में भी जा सकेंगे सोनमर्ग
  • जेड मोड़ प्रोजेक्ट की वजह से पर्यटकों को मिली राहत

जम्मू-कश्मीर में घूमने जाने वाले लोगों के लिए खुशखबरी है. दरअसल, जोजिला परियोजना और जेड मोड़ के निर्माण की वजह से कश्मीर में सबसे अधिक मांग वाला पर्यटन स्थल सोनमर्ग पहली बार इस सर्दी में खोला जा सकता है. श्रीनगर से सोनमर्ग तक बड़ी संख्या में लैंडस्लाइड वाले इलाके हैं, जिसकी वजह से सड़कें आधे साल तक बंद रहती हैं. नेशनल हाईवे एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवेलपमेंट कॉर्पोरेशन के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर ब्रिगेडियर जीएस काम्बो ने बताया कि एग्जिट, टाइमिंग, ड्यूरेशन आदि जम्मू कश्मीर प्रशासन द्वारा तय किया जाएगा.

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी नीलग्रार स्थल पर टनल 1 और टनल 2 की समीक्षा करेंगे. मंत्री पहली बार मंगलवार को 435 मीटर लंबाई की ट्विन ट्यूब टनल से गुजरेंगे. वह पूर्व और पश्चिम छोर से जोजिला का भी दौरा करेंगे. उन्होंने आगे बताया कि सोनमर्ग के लोगों को अधिक रहने योग्य क्षेत्रों में जाना पड़ता है. जेड-मोड़ सुरंग जो कि 6.5 किमी लंबी है, सोनमर्ग को 5 किमी संपर्क सड़क के साथ जोड़ेगी. यह एक दो दिशाओं वाली सुरंग के साथ-साथ किसी भी घटना के दौरान बचाने वाली सुरंग है.

पहला हिस्सा 18.5 किलोमीटर के हाईवे के डेवेलपमेंट का है, जबकि दूसरा हिस्सा सुरंग का है, जिसकी लंबाई 14.5 किलोमीटर की है. पहला हिस्सा जेड-मोड़ से जोजिला सुरंग तक 3.018 किमी हाईवे का विकास और विस्तार है. इसके अलावा 150 मीटर की दो स्नो गैलरीज का भी निर्माण होना है. परियोजना की कुल लागत की बात करें तो जेड मोड़ की कीमत 2300 करोड़ रुपये है. इसमें लेन के बढ़ने की वजह से 300 करोड़ रुपये का और अंतर आ गया है. वहीं, 13.5 किलोमीटर की लंबाई वाले जोजिला परियोजना की लागत 4600 करोड़ रुपये है. इस प्रोजेक्ट में तीन अहम और छोटे पुल भी बनाए गए हैं.

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अधिकारी ने कहा कि हर मौसम में कनेक्टिविटी होने की वजह से स्थानीय लोगों के साथ-साथ सशस्त्र बलों को भी काफी फायदा होगा. यहां तक कि अगर हिमस्खलन हो जाता है, तो भी इससे सड़क पर यातायात प्रभावित नहीं होगा. उन्होंने कहा, "हमें विश्वास है कि सुरंगों की कट एंड कवर टेक्नोलॉजी की वजह से यातायात चलता रहेगा.'' 

इस प्रोजेक्ट पर यूं तो साल 2012 से ही काम चल रहा था, लेकिन केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने साल 2018 में फैसला लिया कि परियोजना को आगामी तीन-चार सालों में पूरा कर लेना है. अधिकारी ने जानकारी दी कि परियोजना का पूरा होने का समय दिसंबर 2023 है और हम शेड्यूल से आगे चल रहे हैं.

 

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