तमिलनाडु में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) के संस्थापक एम करुणानिधि, जिन्हें कलैगनार (कला का विद्वान) के नाम से जाना जाता है, के शताब्दी समारोह के बाद राजनीतिक अटकलें तेज हो गई हैं. इस कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा पांच बार के मुख्यमंत्री की जोरदार प्रशंसा ने दक्षिण के इस राज्य में राजनीतिक समीकरणों में संभावित बदलावों की चर्चाओं को जन्म दे दिया है.
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने राजनाथ सिंह की तारीफों का जवाब देते हुए कहा कि वह उनके द्वारा की गई कलैगनार की प्रशंसा से हैरान और अभिभूत हुए. स्टालिन ने कहा, 'राजनाथ सिंह ने हमारे नेता करुणानिधि के बारे में इतनी बड़ी बातें कहीं कि हमारे DMK कार्यकर्ताओं ने भी नहीं कही होंगी.' भाजपा और DMK के बीच अचानक बढ़ी इस दोस्ती ने तमिलनाडु की राजनीतिक हलकों में नई चर्चाओं को जन्म दे दिया है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा DMK के संस्थापक के सम्मान में एक विशेष सिक्के के विमोचन ने भी इन अटकलों को और हवा दी. एआईएडीएमके ने तुरंत इस कदम को बीजेपी और DMK के बीच 'गुप्त समझौता' बता दिया. इसके बाद नए गठबंधन के संभावित संकेतों को लेकर बातें होने लगी.
कांग्रेस खेमे में शांति
इन अफवाहों के बावजूद कांग्रेस पार्टी शांत नजर आ रही है. कांग्रेस को विश्वास है कि उसका DMK के साथ गठबंधन 2026 के विधानसभा चुनाव तक कायम रहेगा. इंडिया टुडे को सूत्रों ने बताया कि कुछ स्थानीय कांग्रेस नेताओं ने एआईएडीएमके के साथ नए गठबंधन की संभावनाओं का सुझाव दिया, लेकिन ऐसे विचारों को राज्य के नेतृत्व ने तुरंत खारिज कर दिया .
एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने जोर देकर कहा कि गठबंधन के फैसले राज्य नेतृत्व के नहीं बल्कि केंद्रीय नेतृत्व के अधिकार क्षेत्र में आते हैं. उन्होंने कहा, 'ये आकस्मिक प्रस्ताव राजनीतिक हितों से प्रेरित होते हैं और इनका कोई विशेष महत्व नहीं होता. गठबंधन के मामले में निर्णय राज्य के नेताओं का नहीं बल्कि केंद्रीय नेतृत्व का होता है और इसे उनके पास ही छोड़ देना चाहिए.'
एक अन्य नेता ने बताया कि कांग्रेस तमिलनाडु में किसी भी पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण सहयोगी है. यहां तक कि एआईएडीएमके भी उन्हें लुभाने की कोशिश कर रही है. फिर भी DMK, BJP को नाराज करने से बचते हुए कांग्रेस के साथ अपने भरोसेमंद गठबंधन के प्रति प्रतिबद्ध बनी हुई है.
गठबंधन धर्म
कांग्रेस और DMK के बीच राज्य और केंद्र के स्तर पर अपेक्षाकृत अच्छे एवं सुचारू कामकाजी संबंध रहे हैं. हाल ही में कांग्रेस राज्य अध्यक्ष को तमिलनाडु सरकार की सार्वजनिक रूप से आलोचना करने के लिए कथित तौर पर फटकार भी लगाई गई थी. DMK अधिकारियों के साथ एक बैठक के दौरान इस मामले का आंतरिक रूप से समाधान किया गया और कांग्रेस ने अपने नेताओं को सलाह दी कि वे किसी भी मुद्दे को गठबंधन के भीतर ही हल करें. न कि सार्वजनिक रूप से शिकायत करें.
तमिलनाडु के राज्य प्रभारी डॉ. अजय रॉय ने इंडिया टुडे को बताया कि यह मूल रूप से वित्त मंत्रालय द्वारा आयोजित एक सरकारी कार्यक्रम था, जिस पर काफी अटकलें लगाई गईं.
कांग्रेस-DMK: समय की कसौटी पर कसा हुआ गठबंधन
कांग्रेस-DMK गठबंधन तमिलनाडु के इतिहास में सबसे स्थायी चुनावी साझेदारी में से एक है. इसमें दशकों से चली आ रही एक मजबूत साझेदारी है. हालांकि कभी-कभी उतार-चढ़ाव आए, लेकिन यह गठबंधन हमेशा मजबूत साबित हुआ है. 2004 से 2013 तक इन दोनों पार्टियों ने एक द्रविड़ पार्टी और एक राष्ट्रीय पार्टी के बीच सबसे लंबे समय तक राजनीतिक गठबंधन बनाए रखा. यह उनकी आपसी निर्भरता को दर्शाता है.
कांग्रेस भली-भांति जानती है कि DMK के साथ होना अक्सर तमिलनाडु में उसके लिए फायदेमंद साबित हुआ है. राज्य में पार्टी की स्थिति DMK के साथ गठबंधन के दौरान काफी बेहतर हुई. 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया था. तब उसने केवल 4 प्रतिशत वोट ही हासिल हो सका था.
2024 के लोकसभा चुनाव में भी दोनों पार्टियों के बीच हुए गठबंधन की सफलता साफ दिखाई दी. राज्य में एआईएडीएमके को कोई सीट नहीं मिली. एमके स्टालिन और राहुल गांधी ने खुले तौर पर एक-दूसरे की प्रशंसा की है. इसके अलावा कई अहम मौकों पर दोनों नेता अक्सर सोशल मीडिया पर गर्मजोशी भरे संदेश साझा करते रहते हैं.
इतना ही नहीं, स्टालिन ने राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद के लिए समर्थन देने से भी परहेज नहीं किया. इसी साल अप्रैल में उन्होंने राहुल गांधी से भारत को एक नए युग में ले जाने का आह्वान किया. स्टालिन ने एक रैली में अपने भाषण की शुरुआत 'अमिनी' शब्द से करते हुए कहा कि राहुल, आइए और एक नया भारत पेश कीजिए. यह दोनों नेताओं के बीच गहरे संबंध का संकेत देता है.