जम्मू-कश्मीर में बने गुपकार गठबंधन के नेताओं के बयान पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता राम माधव ने कहा कि गुपकार ग्रुप का जो रवैया रहा है वो शुरू से ही जम्मू-कश्मीर के हितों के लिए घातक ही रहा है. वे लोग जम्मू-कश्मीर खासकर घाटी की जनता को गुमराह कर रहे हैं और उन्हें मूर्ख बनाने का प्रयास कर रहे हैं.
राम माधव ने आजतक के साथ खास बातचीत में कहा, 'मैं गुपकार गठबंधन के नेताओं के ग्रुप को ग्रुप कहूंगा. गुपकार ग्रुप का जो रवैया रहा है वो शुरू से ही जम्मू-कश्मीर के हितों के लिए घातक ही रहा है. एक प्रकार से वे लोग जम्मू-कश्मीर विशेषकर घाटी की जनता को गुमराह कर रहे हैं और उन्हें मूर्ख बनाने का प्रयास कर रहे हैं.'
उन्होंने कहा कि वे जानते हैं कि यहां अनुच्छेद 370 वापस नहीं आनी है, और ना ही चीन और अन्य देशों का हस्तक्षेप संभव है. फिर भी ऐसी बातें करके अपना राजनीतिक अस्तित्व बचाने का प्रयास कर रहे हैं. मुख्य बात यह है कि इस ग्रुप के नेता जनता की नजर में डिस्क्रेडिट हो चुके हैं. इसलिए जनता के सामने अनेक प्रकार की बातें कर रहे हैं. जो अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं उन पर तो जनता भरोसा करने वाली नहीं है.
गुपकार गठबंधन के नेताओं पर बरसते हुए राम माधव ने कहा कि जम्मू-कश्मीर का झंडा वापस आएगा, ये इस प्रकार की बातें कहते रहे और ये अपने अस्तित्व को बचाए रखने के चक्कर में थे. ये अपने अस्तित्व को बचाने की बातें थी. यह दोगलापन है. वहां की जनता इसको अच्छी तरह समझ ले कि ये इनका दोगलापन है.
क्या संविधान की व्यवस्था मानेंगेः माधव
पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के बयान पर राम माधव का कहना है कि राष्ट्रीय ध्वज उठाना, यह कोई मेहरबानी हो ऐसी सोच रखना बहुत गलत बात है. ये रवैया ठीक नहीं है. यह देश की एकता और अखंडता के विरोध में रहा है. गुपकार ग्रुप उस स्थान पर आकर खड़ा हो गया है कि क्या वे चुनाव भी लड़ेंगे और संविधान व्यवस्था को मानेंगे.
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उन्होने कहा कि इस दृष्टि से देखा जाए तो मैं नरेंद्र मोदी और अमित शाह की विजय मानता हूं. अंततोगत्वा उनको यह मानना पड़ा. गुपकार ग्रुप को संविधान के अंतर्गत रह करके प्रक्रिया आगे बढ़ाने की बात अच्छी बात है. हमारे और ग्रुप के दोनों के बीच में एक मूलभूत एक मौलिक भिन्नता है.
कांग्रेस के रवैए पर राम माधव ने कहा कि पार्टी अपना डबल फेस दिखा रही है. जब गुपकार ग्रुप बना था उसमें कांग्रेस के प्रतिनिधि भी बैठे थे, लेकिन बाद में उनको ध्यान में आया कि घाटी में तो कुछ मिलना नहीं है. जो भी मिलना है जम्मू में है. जम्मू में वोट मिला है तो उसके साथ बैठेंगे तो नामोनिशान नहीं रहेगा. इसलिए राजनीतिक स्वार्थ के लिए अब दूसरी बात कह रहे हैं. अब कांग्रेस कह रही है कि हम उसमें भागीदार नहीं है. अपने राजनीतिक वजूद के चलते वे सफाई दे रहे हैं. यह उनकी राजनीतिक चाल है.