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किराना हिल्स में क्या है? जानें- कैसी है पाकिस्तान की वो जगह जहां भारत ने हमले की बात नकारी

एयर मार्शल भारती ने कहा, “हमने किराना हिल्स पर हमला नहीं किया; मैंने कल अपनी ब्रीफिंग में इसका जिक्र नहीं किया.”  ये दोनों स्थान मुश्किल से 7 किलोमीटर की दूरी पर हैं, और सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में ऊबड़-खाबड़ पहाड़ी चोटियों के आधार से घने धुएं के गुबार उठते दिखाई दे रहे हैं.

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भारत ने कहा है कि उसने किराना हिल्स को निशाना नहीं बनाया है
भारत ने कहा है कि उसने किराना हिल्स को निशाना नहीं बनाया है

आतंक के खिलाफ ठोस कदम उठाते हुए भारतीय सेना ने जब से ऑपरेशन सिंदूर की कवायद शुरू की है, तब से सोशल मीडिया तमाम दावों से पटा पड़ा है. सीजफायर के बाद दोनों मुल्कों के बीच युद्ध जैसी स्थितियां भले ही थमी हुई हैं, लेकिन सीमा पर तनाव अभी भी बरकरार है, वहीं सेना की ओर से भी प्रेस ब्रीफिंग के दौरान ये स्पष्ट किया गया है कि "ऑपरेशन सिंदूर" अभी समाप्त नहीं हुआ है.

इसी बीच, सोशल मीडिया पर कई ऐसे दावे भी हो रहे हैं कि, भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान के सरगोधा में एक न्यूक्लियर फैसिलिटी पर अटैक किया. हालांकि सरगोधा में मुशाफ एयरबेस को भारत के मिसाइल अटैक का टार्गेट कहा जा रहा था, लेकिन सोमवार को प्रेस ब्रीफिंग में एयर मार्शल एके भारती ने इस बात से इनकार किया कि भारत ने किराना हिल्स में किसी न्यूक्लियर फैसिलिटी को निशाना बनाया.  

एयर मार्शल भारती ने कहा, “हमने किराना हिल्स पर हमला नहीं किया; मैंने कल अपनी ब्रीफिंग में इसका जिक्र नहीं किया.”  ये दोनों स्थान मुश्किल से 7 किलोमीटर की दूरी पर हैं, और सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में ऊबड़-खाबड़ पहाड़ी चोटियों के आधार से घने धुएं के गुबार उठते दिखाई दे रहे हैं. हाई-रिजॉल्यूशन सैटेलाइट इमेजरी की गैरमौजूदगी के कारण यह स्पष्ट करना मुश्किल है कि किराना हिल्स में, यदि कोई न्यूक्लियर प्रॉपर्टी थी, तो क्या उन्हें निशाना बनाया गया?
  
सोशल मीडिया पर हमले के दिन पोस्ट किए गए फुटेज में आसपास की चोटियों से धुआं उठता दिखा. इंडिया टुडे की ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस (OSINT) टीम द्वारा किए गए जियोलोकेशन के आधार पर धुएं के स्रोत को आसपास की चोटियों के पास रखा जा सकता है. दिलचस्प बात यह है कि एयर मार्शल भारती ने किराना हिल्स में न्यूक्लियर प्रॉपर्टी के अस्तित्व की जानकारी से भी इनकार किया.  

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Inside Kirana Hills


सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में एक व्यक्ति दावा करता है कि भारतीय सेना ने किराना हिल्स पर मिसाइल हमले किए.  

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कब पहचाना गया किराना हिल्स
किराना हिल्स और आसपास के क्षेत्रों को 2023 की एक रिपोर्ट में “सबक्रिटिकल न्यूक्लियर टेस्ट साइट” के रूप में पहचाना गया था, जो बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स नामक एक NGO द्वारा पब्लिश की गई थी. इस रिपोर्ट में कहा गया कि इस साइट पर संभवतः गोला-बारूद स्टोरेज एरिया, टीईएल (ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर) गैरेज, और कम से कम दस अंडरग्राउंड स्टोरेज फैसिलिटी मौजूद हैं. यह निष्कर्ष न्यूक्लियर नोटबुक का हिस्सा थे, जिसे फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स के वैज्ञानिकों ने बुलेटिन के लिए लिखा था, जो ग्लोबल सिक्योरिटी पर एक अंतरराष्ट्रीय थिंक टैंक है.  


सोशल मीडिया फुटेज के जियोलोकेशन से पता चलता है कि धुएं का सोर्स उस मिसाइल ट्रांसपोर्ट वीकल स्टोर से एक किलोमीटर से भी कम दूरी पर हो सकता है, जिसका जिक्र रिपोर्ट में किया गया है. प्रभावित क्षेत्र एक पहाड़ी की चोटी पर मौजूद रडार से लगभग 550 मीटर की दूरी पर है. वीडियो का जियोलोकेशन, जो खास तौर पर हिलटॉप स्ट्रक्टर पर बेस्ड  है, और गूगल अर्थ पर दिखने वाले इलाके से काफी हद तक मेल खाता है. फुटेज में दिखाई देने वाली एक पास की मस्जिद हाई-रिजॉल्यूशन सैटेलाइट इमेजरी के साथ तुलना करने पर स्थान की पुष्टि करती है.

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सरगोधा में क्या है? 

सरगोधा गैरीसन एक बड़ा कैंपस है, जो किराना हिल्स के आसपास और उसके भीतर स्थित है, जिसे 1983 से 1990 के बीच पाकिस्तान द्वारा अपने न्यूक्लियर प्रोग्राम को आगे बढ़ाने के लिए कथित तौर पर इस्तेमाल किया गया था. एक संभावित पारंपरिक गोला-बारूद भंडारण क्षेत्र के ठीक उत्तर-पश्चिम में, दस बिखरे हुए संभावित टीईएल गैरेज दिखाई देते हैं, साथ ही दो एक्सट्रा गैरेज हैं जो रखरखाव के लिए हो सकते हैं.  

वरिष्ठ शोधकर्ता मैट कोर्डा ने अपनी रिपोर्ट में जिक्र किया कि देश भर के अन्य टीईएल सुविधाओं के विपरीत, इस टीईएल क्षेत्र में मानक लेआउट और परिधि की कमी है. पारंपरिक गोला-बारूद साइट के पूर्व में एक अंडरग्राउंड स्टोरेज फैसिलिटी है, जो पहाड़ की ढलान में बनाई गई है. 

Hans M. Kristensen और उनकी टीम ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि “commercial satellite imagery के जरिये से कम से कम 10 अंडरग्राउंड फैसिलिटी एंट्रेस दिखाई देते हैं, साथ ही हथियार और मिसाइल हैंडलिंग के लिए जरूरी फैसिलिटी भी हैं.” हमले के बाद किराना कॉम्प्लेक्स की सैटेलाइट इमेज मौजूद नहीं थी, जिसके कारण आगे का एनिलिसिस संभव नहीं हो सका.  

सरगोधा के अलावा, पाकिस्तान के उन हवाई अड्डों पर भी हमले किए गए, जहां मिराज III और मिराज V फाइटर जेट तैनात हैं, जिनके बारे में माना जाता है कि वे न्यूक्लियर डिलिवरी रोल की भूमिका निभा सकते हैं. इनमें दो प्रमुख ठिकाने शामिल हैं. मसरूर और शोरकोट के पास रफीकी.

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मुशाफ हवाई अड्डे के रनवे पर नुकसान की पुष्टि
हालांकि मसरूर के बारे में कोई ऑफिशियल पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन भारतीय सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी ने पुष्टि की कि भारत ने रफीकी हवाई अड्डे पर हमला किया. इस ठिकाने की एक लो-रिजॉल्यूशन सैटेलाइट इमेज में एक गड्ढा दिखाई देता है. सैटेलाइट इमेजरी और ऑफिशियल सोर्स ने 10 मई को हुए हमले के बाद मुशाफ हवाई अड्डे के रनवे को हुए नुकसान की पुष्टि की. 

यह ठिकाना लाहौर से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और यहां F-16A/B फाइटर जेट तैनात हैं. इन विमानों की रेंज 1600 किलोमीटर है और संभावना है कि ये सेंटरलाइन पायलन पर सिंगल परमाणु बम ले जाने में सक्षम हैं. हालांकि, पाकिस्तान अमेरिका के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के तहत इन विमानों की परमाणु हथियार ले जाने की क्षमता को संशोधित नहीं कर सकता.  

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नए F-16C/D विमान जैकोबाबाद के पास शाहबाज हवाई अड्डे पर तैनात हैं, जिसका 2004 के बाद से काफी विस्तार हुआ है, जिसमें कई हथियार बंकरों को जोड़ा गया है. हाई-रिजॉल्यूशन सैटेलाइट इमेजरी से पता चलता है कि मुख्य एप्रन पर स्थित एक हैंगर पर सटीक हमला किया गया, जिसमें संभवतः एयर ट्रैफिक कंट्रोल बिल्डिंग को भी आंशिक नुकसान पहुंचा.  

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