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Central Railway: ऑपरेशन 'नन्हे फरिश्ते' का कमाल, रेलवे ने 1399 बच्चों को परिवार से मिलाया

Bhartiya Railways: ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते के तहत वर्ष 2022 के दौरान जनवरी-2022 से दिसंबर-2022 तक 1399 बच्चों को बचाया है. वहीं, चाइल्डलाइन जैसे गैर सरकारी संगठनों की मदद से इन बच्चों को अपने माता-पिता से फिर मिलवाया गया. आइए जानते हैं क्या है रेलवे का नन्हे फरिश्ते ऑपरेशन.

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रेलवे का ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते
रेलवे का ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते

देश में लंबी यात्रा के लिए रेलवे को लोगों की पहली पसंद माना जाता है. रेल यात्रा करना किफ़ायती और आरामदायी भी होती है. लोग अपने परिवार, बच्चों के साथ भी ट्रेन में यात्रा करते हैं, कई बार दुर्भाग्यपूर्ण बच्चे रेलवे स्टेशन और ट्रेन में खो जाते हैं. वहीं, ऐसे बच्चों को ढूंढने और उनके परिवार से मिलाने के लिए रेलवे द्वारा मिशन नन्हे फ़रिश्ते शुरू किया था. इस पहल के तहत रेल सुरक्षा बल रेल यात्रियों की सुरक्षा में अपराधियों के खिलाफ लगातार प्रयासरत रहते हुए महिलाओं और बच्चों की तस्करी को रोकने के लिए सतर्क है. साथ ही रेलवे क्षेत्रों में पाए जाने वाले निराश्रित बच्चों के पुनर्वास के लिए उचित कार्रवाई भी कर रहा है. 

इस मुहिम के तहत रेल सुरक्षा बल द्वारा विभिन्न कारणों से अपने परिवार से बिछड़े/खोए हुए बच्चों की पहचान करने और उन्हें बचाने का नेक कार्य किया जा रहा है. इसी दिशा में एक गहन अभियान 'ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते' ट्रेनों/रेलवे स्टेशनों पर पाए जाने वाले जरूरतमंद बच्चों को बचाने के लिए भारतीय रेल पर शुरू किया गया था. इसके उल्लेखनीय परिणाम भी सामने आए हैं. वर्ष 2022 में 1399 बच्चों को आरपीएफ जवानों द्वारा बचाया गया है. 

मध्य रेलवे के रेलवे सुरक्षा बल (RPF) ने सरकार के साथ समन्वय में 1399 बच्चों को बचाया है. जनवरी 2022 से दिसंबर 2022 तक "ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते" के तहत मध्य रेलवे के रेलवे स्टेशन प्लेटफार्मों से रेलवे पुलिस और अन्य फ्रंटलाइन रेलवे कर्मचारियों ने 949 लड़के और 450 लड़कियां को बचाया और चाइल्डलाइन जैसे गैर सरकारी संगठनों की मदद से अपने माता-पिता के साथ फिर से मिलवाया है. 

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Indian Railways
इन बच्चों को उनके माता-पिता के साथ वापस मिलवाया गया

मध्य रेलवे पर जनवरी-दिसंबर 2022 से छुड़ाए गए बच्चों का मंडलवार ब्यौरा इस प्रकार है-

  •  सेंट्रल रेलवे के मुंबई मंडल ने सबसे ज्यादा 615 बच्चों को रेस्क्यू किया, जिनमें 441 लड़के और 174 लड़कियां शामिल हैं.
  •  भुसावल मंडल ने 284 बच्चों को बचाया जिसमें 150 लड़के और 134 लड़कियां शामिल हैं. 
  •  पुणे मंडल ने 285 बच्चों को बचाया जिसमें 233 लड़के और 52 लड़कियां शामिल हैं. 
  •  नागपुर मंडल ने 157 बच्चों को बचाया जिसमें 89 लड़के और 68 लड़कियां शामिल हैं. 
  •  सोलापुर डिवीजन ने बचाए गए 58 लोगों में 36 लड़के और 22 लड़कियां शामिल हैं. 

 

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