24 दिसंबर 1999 को इंडियन एयरलाइंस के एक प्लेन IC-814 को आतंकियों ने हाइजैक कर लिया था. उस समय विमान में 191 लोग सवार थे. आतंकियों ने भारत की जेल में बंद खूंखार आतंकी मसूद अजहर सहित तीन आतंकवादियों की रिहाई के बदले आठ दिन बाद 31 दिसंबर को सभी यात्रियों को रिहा कर दिया था. अब उस घटना के 25 सालों बाद वेब सीरीज IC-814: द कंधार हाइजैक के नेटफ्लिक्स पर रिलीज के बाद से यह मामला फिर सुर्खियों में बना हुआ है. रिलीज के साथ ही यह पूरा मामला फिर विवादों में आ गया है. आतंकियों के महिमामंडन और हिंदू नामों को लेकर उपजे इस विवाद पर अब 1999 में हाइजैक हुए प्लेन की सर्वाइवर महिला ने कई बातें उजागर की हैं.
एक वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में इप्शिता मेनन (Ipsita Menon) नाम की यह महिला बताती हैं कि 24 दिसंबर 1999 को मैं और मेरे पति काठमांडू से दिल्ली के लिए इंडियन एयरलाइंस की इसी फ्लाइट में सवार हुए थे. मैं उस वक्त 24 साल की थी और हम लोग अपने हनीमून से घर लौट रहे थे.
वह बताती हैं कि उस हादसे को 25 साल गुजर गए हैं. मुझे लगा था कि इस घटना को याद करते हुए मैं इमोशनल नहीं होऊंगी. मैं प्लेन में बिल्कुल पीछे बैठी थी और मुझे आज भी उस घटना का एक-एक पल याद है.
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यह पूछने पर कि आपको उस समय कितनी बार लगा कि आप मौत के करीब हैं? इस पर मेनन कहती हैं कि ईमानदारी से कहूं तो प्लेन हाइजैक होने के पहले दिन और सबसे आखिरी दिन.
वह बताती हैं कि प्लेन को जब हाइजैक कर अफगानिस्तान ले जाया गया तो हाइजैकर अल्ट्रा कूल हो गए थे. हाइजैक के तीसरे और चौथे दिन हमने हाइजैकर के साथ अंत्याक्षरी भी खेली थी. बर्गर (हाइजैकर आतंकी) आकर हमारे पास बैठ गया था. मुझे याद है कि मैंने उससे पूछा था कि आपका नाम बर्गर क्यों है? आपको बर्गर खाना पसंद है क्या? तो इस तरह की हमारी हाइजैकर से दोस्ती हो गई थी.
क्या आतंकियों से किए गए थे फोन नंबर एक्सचेंज?
इस दौरान जब मिसेज मेनन से पूछा गया कि ऐसा भी सुनने में आया था कि हाइजैकर के साथ फोन नंबर भी एक्सचेंज किए थे तो इस पर वह कहती हैं कि हां, कुछ लोगों के साथ ऐसा हुआ था क्योंकि हमारे अंदर इंसानियत तो है ही ना.
वह बताती हैं कि 29 दिसंबर को आतंकियों ने हमसे कहा था कि आप जिन भी भगवान को मानते हैं, उन्हें याद कर लो क्योंकि अब हम एक के बाद एक लोगों को शूट करना शुरू करेंगे तो मुझे अपने मां-बाप याद आने लगे. मैं उस वक्त रोते-रोते सो गई थी. आठ दिन हो गए थे, बहुत ज्यादा थकावट थी. जब उन्होंने मुझे जगाया तो मुझे लगा कि अब मेरी मरने की बारी है. तो हम सब बहुत ट्रॉमा में भी थे.
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वह बताती हैं कि हम 31 दिसंबर 1999 की शाम को रिहा हुए थे. वह मेरी जिंदगी का अब तक सबसे सुनहरा और यादगार सनसेट था. वो एक शताब्दी के अंत का सबसे शानदार सनसेट भी था. वो सनसेट मैं जिंदगी में कभी भूल नहीं सकती. क्योंकि हमें उस दिन आजादी मिली थी और हम अपने देश वापस लौट सके थे. उसी नाम से मेरे पति ने एक किताब भी लिखी थी, जिसका नाम है, The Last Sunset of Millenium IC 814.
बता दें कि 1999 में हाइजैक किए गए इंडियन एयरलाइंस के प्लेन में सवार सभी लोगों को रिहा कराने के लिए उस समय भारत सरकार ने मसूद अजहर सहित तीन आंतकियों को रिहा कर दिया था.