आर्मी चीफ जनरल एमएम नरवणे शनिवार को इंडिया टुडे कॉन्क्लेव (India Today Conclave 2021) के 19वें संस्करण में पहुंचे. इस दौरान उन्होंने ड्रोन हमले, सेना में महिलाओं की बढ़ती हैसियत और पड़ोसी देश की स्थिति को लेकर काफी कुछ कहा. खासकर उन्होंने आतंकियों के बदलते व्यवहार पर चिंता जताते हुए कहा कि पहले ये लोग सुरक्षाबलों पर निशाना साधते थे, लेकिन इन दिनों ये लोग निर्दोष लोगों को टारगेट कर रहे हैं. मुझे समझ नहीं आता कि अगर वो कश्मीर के लोगों को अपना बताते हैं तो फिर उन्हें ही निशाना क्यों बना रहे हैं?
वहीं LAC पर चीन की स्थिति को लेकर उन्होंने कहा कि हाल ही में MEA ने भी कहा था कि नॉर्दन बॉर्डर पर हुआ, वो चीन द्वारा बॉर्डर पर बनाए जा रहे बड़े निर्माण की वजह से है. हां यह चिंता का विषय है, लगातार वहां पर बड़े निर्माण किए जा रहे हैं. इसका मतलब है कि चीन बॉर्डर वाले इलाकों में ठहरने वाला है. हमलोगों ने अपनी निगाह बनाए रखी है. अगर वे लोग वहां ठहरेंगे तो हमलोग भी वैसा ही करेंगे. बॉर्डर इलाकों में अपने अड्डे गाड़ेंगे. हमलोग अपने हिस्से वाले क्षेत्र में विकास और निर्माण संबंधी गतिविधियां बढ़ाएंगे. इसके साथ ही वहां पर सैन्य टुकड़ियों को भी भेजा जाएगा.
उन्होंने आगे कहा कि मुझे समझ नहीं आ रहा कि वे लोग ऐसा क्यों कर रहे हैं. खासकर तब, जब पूरा विश्व कोरोना जैसी महामारी का सामना कर रहा है. चीन भी अपने स्तर पर काफी चुनौतियों का सामना कर रहा है. इसके बावजूद समझ नहीं आ रहा है कि उन्होंने एक और फ्रंट क्यों खोल रखा है. खैर जो भी कारण हो, लेकिन उन्होंने जो भी लक्ष्य सेट किया है उसे पूरा करने नहीं दिया जाएगा.
वहीं जम्मू-कश्मीर को लेकर आर्मी चीफ ने कहा कि फरवरी में दो डीजीएमओ के बीच यह समझ बनी थी कि हमलोग LOC पर सीजफायर का पालन करेंगे. हालांकि यह पहली बार नहीं हुआ है. सन 2003 के बाद से कई बार दोनों देशों के बीच सीजफायर को लेकर कई बार सहमति बनी है. लेकिन सालों से सीजफायर उल्लंघन की घटना होती रही है. हालांकि फरवरी के बाद चार महीनों तक जून-जुलाई के दौरान इस पर थोड़ा विराम लगा. लेकिन उसके बाद यह फिर से शुरू हो गया.
यानी कि 2003 के बाद के हालात पर चले गए. पिछले महीने, उनकी तरफ से घुसपैठ करने की भी कोशिश हुई. इस तरह की दो-तीन घुसपैठ की घटना को हमने रोका. एक बार तो डेड बॉडी वहीं बॉर्डर पर तीन चार दिनों तक पड़ी रही. क्योंकि उसपर किसी ने दावा नहीं किया. इसके अलावा तीन बार सीजफायर की घटना हुई, जहां एक पोस्ट से दूसरे पोस्ट पर हमला किया गया.
लेकिन क्या इसका अफगानिस्तान से संबंध है? फिलहाल ऐसा नहीं कह सकता. लेकिन अगर पहले के मामले देखें, खासकर 2002-2003 के बीच तो जम्मू-कश्मीर में अफगान ओरिजीन के आतंकी मिले थे. इसलिए ऐसा कहा जा सकता है कि भविष्य में एक बार फिर से इस तरह की चीजें हो सकती हैं. जैसे ही अफगानिस्तान में स्थिरता आएगी, हो सकता है फिर से यह लड़ाके हमारे इलाके में घुसे. लेकिन हमलोग तैयार हैं, किसी भी तरह के घुसपैठ को रोकने और जरूरी कार्रवाई करने को लेकर.
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आर्मी चीफ ने हाल ही में कश्मीर में मारे गए नागरिकों को लेकर कहा कि यह चिंता का विषय है. क्योंकि यह निर्दोष लोगों को निशाना बना रहे हैं. पहले जो भी आतंकी घटना हुई, वह सीआरपीएफ पोस्ट या रोड ओपनिंग पार्टी पर हुई. हालांकि यह भी नहीं होना चाहिए था. लेकिन समझ में आता है कि आप सुरक्षाबलों से लड़ रहे हो. समझ में यह नहीं आता कि आप निर्दोष लोगों को क्यों मार रहे हो, जो अपनी नौकरी कर रहे हैं. यह बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है. इस तरह की घटना उनकी मानसिकता को दर्शाता है. वो नहीं चाहते कि यहां रहने वाले लोग सामान्य तरीके से रहें. ये लोग हत्या आदि की घटनाओं को अंजाम देना चाहते हैं. अगर वो कह रहे हैं कि ये सब वहां के लोगों के लिए कर रहे हैं तो फिर अपने लोगों को ही क्यों मार रहे हैं? मुझे लगता है कि वह इस तरह की वारदात को अंजाम देकर लोगों में दहशत फैलाना चाहते हैं.