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दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचा 'आई लव मोहम्मद' का मामला, गिरफ्तार लोगों की रिहाई की मांग

'आई लव मोहम्मद' संदेश वाले पोस्टर और बैनर को लेकर दर्ज मामलों और गिरफ्तारियों को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करते हुए पुलिस ने क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम का दुरुपयोग किया है.

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याचिका में गिरफ्तारी वापस लेने और आरोपों को हटाने की मांग की गई है. (File Photo: ITG)
याचिका में गिरफ्तारी वापस लेने और आरोपों को हटाने की मांग की गई है. (File Photo: ITG)

'आई लव मोहम्मद' मैसेज वाले पोस्टर-बैनर प्रदर्शन को लेकर दर्ज मामलों और इस वजह से की गई गिरफ्तारियों को चुनौती देते हुए दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. दिल्ली हाई कोर्ट में भारतीय मुस्लिम छात्र संगठन और रजा अकादमी की तरफ से दाखिल याचिका में कहा गया है कि उनकी भक्ति की अभिव्यक्ति को सांप्रदायिक प्रकृति का बताते हुए मुकदमे दर्ज कर गिरफ्तारी की जा रही है. यह उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है.

'पुलिस की कार्रवाई क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम का दुरुपयोग'

'आई लव मोहम्मद' संदेश वाले पोस्टर और बैनर को लेकर दर्ज किए गए मामलों के खिलाफ दाखिल याचिका में कहा गया है कि वो सभी आम नागरिक हैं. अधिकतर मुस्लिम समुदाय के हैं. वो पोस्टर, बैनर के साथ शांतिपूर्वक धार्मिक त्योहार मना रहे थे.

याचिका के अनुसार, उन पर दंगा करने, आपराधिक धमकी देने और शांति भंग करने का झूठा आरोप लगा कर उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 187, 188, 351 और 356 और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के तहत मुकदमे दर्ज किए गए हैं. यह क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम का दुरुपयोग है.

याचिका में गिरफ्तार लोगों की रिहाई की मांग

याचिका में सवाल उठाया गया है कि क्या धार्मिक आधार पर अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ आपराधिक कानून का चुनिंदा रूप से उपयोग किया जा सकता है? क्या पुलिस अधिकारी जांच के दौरान BNSS के तहत वैधानिक सुरक्षा उपायों को दरकिनार कर सकते हैं? याचिका में मांग की गई है कि जिन लोगों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए हैं उन्हें वापस लिया जाए और गिरफ्तार किए गए लोगों को तत्काल रिहा किया जाए.

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