हैदराबाद (Hyderabad) में केंद्रीय उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क और सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण (CESTAT) की क्षेत्रीय बेंच में ज्वाइंट कमिश्नर के रूप में तैनात एक महिला IRS अधिकारी को अब आधिकारिक तौर पर पुरुष सिविल सेवक माना जाएगा. यह केस राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के करीब 10 साल बाद सामने आया है, जिसमें तीसरे लिंग को मान्यता दी गई थी और कहा गया था कि लिंग पहचान एक व्यक्तिगत पसंद है.
केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को एक आदेश में कहा, "हैदराबाद में सीईएसटीएटी के मुख्य आयुक्त (AR) के कार्यालय में संयुक्त आयुक्त के रूप में तैनात, 2013 बैच की आईआरएस अधिकारी, एम अनुसूया ने अपना नाम एम अनुसूया से एम अनुकाथिर सूर्या किया है. उन्होंने अपने लिंग को महिला से पुरुष में बदलने की गुजारिश की थी.
राजस्व विभाग के केंद्रीय इनडायरेक्ट टैक्स एवं सीमा शुल्क बोर्ड के आदेश में कहा गया है कि एम अनुसूया की गुजारिश पर विचार कर लिया गया है. अब अधिकारी को सभी ऑफिसियल रिकॉर्ड्स में 'एम अनुकाथिर सूर्या' के रूप में मान्यता दी जाएगी.
क्या है सुप्रीम कोर्ट को इससे जुड़ा फैसला?
सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कहा गया है, "सेक्सुअल ओरिएंटेशन का मतलब किसी व्यक्ति के स्थायी शारीरिक, रोमांटिक और भावनात्मक आकर्षण से है. सेक्सुअल ओरिएंटेशन में भारी सेक्सुअल ओरिएंटेशन वाले ट्रांसजेंडर और जेंडर-वेरिएंट वाले लोग शामिल हैं और उनका सेक्सुअल ओरिएंटेशन जेंडर ट्रांसमिशन के दौरान या बाद में बदल भी सकता है.
फैसले में कहा गया है, "अगर किसी व्यक्ति ने अपनी लिंग विशेषताओं और धारणा के अनुरूप अपना लिंग परिवर्तन किया है और कानूनी अनुमति दी गई है, तो हमें सर्जरी के बाद फिर से निर्दिष्ट लिंग के आधार पर लिंग पहचान को उचित मान्यता देने में कोई कानूनी या अन्य बाधा नहीं दिखती है."
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तीसरे लिंग को मान्यता देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, "ऐसी कोई वजह नहीं दिखती कि ट्रांसजेंडर को बुनियादी मानवाधिकारों से वंचित किया जाए, जिसमें सम्मान के साथ जीवन और आजादी का अधिकार, प्राइवेसी और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार, शिक्षा और सशक्तिकरण का अधिकार, हिंसा के खिलाफ अधिकार, शोषण के खिलाफ अधिकार और भेदभाव के खिलाफ अधिकार शामिल हैं. संविधान ने ट्रांसजेंडरों को अधिकार देने का अपना कर्तव्य पूरा किया है. अब वक्त आ गया है कि हम इसे मान्यता दें और इस तरह से संविधान की व्याख्या करें कि ट्रांसजेंडर लोगों के लिए सम्मानजनक जिंदगी सुनिश्चित हो सके. यह सब तभी हासिल किया जा सकता है, जब शुरुआत ट्रांसजेंडर को तीसरे लिंग के रूप में मान्यता देने से की जाए."