'मन की बात' रेडियो प्रोग्राम कई मायनों में खास है. इसके असर को समझने के लिए प्रसार भारती ने IIM रोहतक की मदद से स्टडी करवाई, जिसमें कई अनोखी बातें निकलकर आईं. जैसे, 9 सालों के दौरान इसे 1 अरब लोग कम से कम एक बार सुन चुके हैं. वहीं लगभग 23 करोड़ लोग नियमित तौर पर इस कार्यक्रम को सुनते और कुछ न कुछ नया जानते हैं. इसके अलावा इसकी सबसे खास बात है कि पीएम सीधे ऐसे लोगों से संवाद करते हैं, जिन्हें कोई नहीं जानता, लेकिन जो देश और समाज के लिए कुछ न कुछ कर रहे हैं. जानिए, ऐसे 10 लोगों को, जिनके सामाजिक या क्रिएटिव कामों के खुद पीएम मोदी मुरीद रहे.
इस महिला ने शुरू की नदी को बचाने की मुहिम
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ की रहने वाली बसंती देवी ऐसा ही एक नाम हैं. बाल-विवाह और 14 साल की उम्र में ही पति को खोकर भी इस महिला ने हिम्मत नहीं हारी, बल्कि पढ़ी-लिखी और महिलाओं को एकजुट करने लगी. बसंती देवी ने शुरुआत में बाल-विवाह, घरेलू हिंसा जैसे मुद्दों पर काम किया, फिर वे पर्यावरण से भी जुड़ गईं.
उन्होंने कोसी नदी के अस्तित्व को बचाने के लिए महिला समूह के जरिए मुहिम शुरू की. साल 2003 में शुरू हुई मुहिम से सैकड़ों महिलाएं जुड़ती चली गईं. आज बसंती देवी महिला-सशक्तीकरण और पर्यावरण-प्रेम की मिसाल बन चुकी हैं. इनका जिक्र पीएम मोदी ने मन की बात में भी किया, और इन्हें सर्वोच्च नारी शक्ति पुरस्कार भी मिल चुका है.

पहाड़ों को काटकर खेतों को उपजाऊ बनाने वाला शख्स
कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ में अद्यानाडका गांव के किसान अमाई महालिंग नाइक को बंजर ढलान वाली एक पहाड़ी को उपजाऊ खेत में बदल दिया. पीएम मोदी ने उन्हें टनल मैन के नाम से संबोधित करते हुए बेहद भावुक होकर संघर्ष और जीत की कहानी सुनाई. इस शख्स के पास सिंचाई पर खर्च करने या बोरवेल खोदने के लिए पैसे नहीं थे. इसलिए उसने भूजल तक पहुंचने के लिए कठोर चट्टानों में एक सुरंग खोदना शुरू किया. धीरे-धीरे उन्होंने 6 सुरंगे खोद डालीं और आसपास की पहाड़ियों पर कई सोते बनाए. 4 सालों के दौरान लोगों ने उन्हें पागल पुकारना शुरू कर दिया, लेकिन मेहनत रंग लाई. अब नाइक देश के हर सूखाग्रस्त इलाके में रहते किसानों की प्रेरणा हैं.
पंक्षियों का ठौर छिनने पर अपने घर को ही घोंसला बना डाला
उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहनेवाले इंद्रपाल सिंह बत्रा का एक ही मकसद है- गौरैया बचाना. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते साल मार्च में मन की बात में इस 'स्पैरो मैन' का जिक्र किया. दरअसल पेड़-पौधों और खुले-खुले घरों की जगह अब कंक्रीट के जंगल ले चुके. इसका असर आंगन में फुदकने वाली गौरैया चिड़िया की आबादी पर भी पड़ा. उन्हें बचाने के लिए इंद्रपाल ने अनोखा तरीका खोजा. उन्होंने अपने घर को ही गौरैया के घोंसले में बदल डाला. उनके घर में अब 100 से अधिक घोंसलें हैं, जहां सैकड़ों पंक्षी रहते हैं. अब उनके आसपास से लेकर दूरदराज के लोग भी उनसे गौरैया को बचाने और बढ़ाने की टिप्स लेने लगे हैं.

व्हील चेयर पर चलने वाले युवक ने कोविड में की लोगों की मदद
कोरोना की सेकंड लहर के दौरान जहां सारे लोग डरकर घरों में बैठे हुए थे, पठानकोट का एक दिव्यांग शख्स जरूरतमंद लोगों को राशन बांट रहा था. राजू नाम का ये युवक आर्थिक तौर पर मजबूत नहीं था, बल्कि भीख मांगकर गुजारा किया करता. कोविड के दौरान वो व्हील चेयर पर बैठकर घर से निकलता और मास्क, राशन बांटता चलता. पहले भी वो सोशल वर्क में सक्रिय रहता और अतिरिक्त पैसों को खुद पर खर्च करने की बजाए किसी न किसी काम में लगाता रहा. भीख में मिले पैसों से समाजसेवा करने की वजह से दिव्यांग राजू का जिक्र पीएम मोदी ने मन की बात में कर्मवीर नाम से किया था.
स्थानीय हस्तशिल्प को जीवित रखने वाली मणिपुरी कलाकार
मणिपुर की एक टेक्सटाइल कला है- लीबा. ये राजसी दौर का आर्ट है, जिससे बने कपड़ों को राजघराने के लोग और देवताओं को पहनाया जाता था. वक्त के साथ ये कला खत्म होने लगी, लेकिन उसे सहेज लिया लौरेम्बम बिनो देवी ने. इस हस्तशिल्पी ने जीवन के पांच से ज्यादा दशक इस कला को जीवित रखने के लिए दे दिए. वे लगातार इसे संरक्षित करने के लिए इसपर काम करती और दूसरी महिलाओं को भी जोड़ती रहीं. साल 1944 में जन्मी बिनो देवी अब भी बिना थके मणिपुरी हस्तशिल्प के लिए काम कर रही हैं, जिसकी प्रशंसा खुद पीएम मोदी ने की थी.

बेटियों को बचाने की मुहिम को दिया अनोखा चेहरा
साल 2015 के जून में, हरियाणा के बीबीपुर गांव के तत्कालीन सरपंच सुनील जागलान ने एक अभियान शुरू किया, जिसे नाम दिया – ‘सेल्फी विद डॉटर’. अपनी बेटी के साथ सेल्फी पोस्ट करते हुए जागलान ने अपने समुदाय से बच्चियों के लिए नजरिया बदलने की गुजारिश की. बता दें कि हरियाणा एक वक्त पर लैंगिक भेदभाव और बेटियों की भ्रूणहत्या के लिए कुख्यात था. अब बदलाव तो है लेकिन उतना नहीं. इसी बात पर जागरुकता लाने के लिए जागलान ने पिता की बेटियों के साथ सेल्फी को प्रमोट किया.
ये नया ढंग था, जिसने युवाओं को भी आकर्षित किया. पीएम मोदी ने न सिर्फ इस युवा लीडर का जिक्र किया, बल्कि वे 100वें एपिसोड के मेहमान के तौर पर आमंत्रित भी हैं.
सपने को टूटता देखने के बाद लगा दी पुस्तकालयों की कतार
झारखंड के संजय कच्छप को पीएम मोदी ने लाइब्रेरी मैन के नाम से संबोधित किया. चाईबासा के रहने वाले लगभग 42 साल के कच्छप ने ग्रेजुएशन के दौरान आईएएस बनने का सपना देखा लेकिन गरीबी की वजह से वे किताबें खरीदकर पढ़ नहीं सके. बाद में सरकारी विभाग में ही नौकरी करते हुए कच्छप ने तय किया कि जिस वजह से उनका सपना अधूरा रहा, वो किसी और की वजह न बने. इसके बाद वे लाइब्रेरी बनाने में जुट गए. पैतृक गांव से लेकर अपनी पोस्टिंग वाले हर इलाके में उन्होंने पुस्तकालय बना दिया. अब तक 40 लाइब्रेरी बना चुकने के बाद भी उनका काम जारी है.

सूखी-बंजर जमीन पर लहलहा दी स्ट्रॉबेरी की फसल
जहां चाह, वहां राह की बात को झांसी की युवती गुरलीन चावला ने सच कर दिखाया. वहां की तपती जमीन पर गुरलीन ने स्ट्रॉबेरी की खेती की. लॉकडाउन के दौरान उन्होंने प्रयोग के तौर अपने घर के गमलों में स्ट्रॉबेरी उगाई थी. कोशिश कामयाब हुई. फिर क्या था, उन्होंने बाकायदा इसकी खेती शुरू कर दी. इसके लिए वहां के मौसम के अनुरूप स्ट्रॉबेरी की खेती के तौर-तरीकों में बदलाव किए. पानी देने के लिए ड्रिप इरिगेशन तकनीक अपनाई और बंजर-तपती धरती पर स्ट्राबेरी की फसल लहलहा दी. मन की बात में युवती के जिक्र के बाद पूरे बुंदेलखंड में नई बात दिखी. वहां के कई किसानों ने परंपरागत खेती को छोड़, स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू कर दी है.
नए आयाम छूने वाली महिला वैज्ञानिक
मन की बात के 99वें एपिसोड में एक खास महिला का जिक्र हुआ- ओडिशा की वैज्ञानिक ज्योतिर्मयी मोहंती. ये देश की पहली महिला साइंटिस्ट हैं जिन्हें इंटरनेशनल यूनियन ऑफ प्योर एंड एप्लाइड केमिस्ट्री (IUPAC) अवार्ड 2023 से सम्मानित किया गया है. कटक में जन्मी ज्योतिर्मयी के नाम यही अकेली उपलब्धि नहीं. वे भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, मुंबई में हैं, और विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड में फेलोशिप प्राप्त करने वाली पहली महिला भी हैं. मन की बात में पीएम मोदी ने इन जैसी महिलाओं को सशक्तिकरण के नए चैप्टर लिखने वाली बताया था.
जम्मू के छोटे किसान ने शुरू किया नया ट्रेंड
देश की पहली सौर ऊर्जा पंचायत पल्ली को सिर्फ इसी वजह से ही नहीं, बल्कि वहां के रहवासी विनोद कुमार के नाम से भी जाना जाता है. मधुमक्खी पालन के जरिए जम्मू के विनोद न केवल अपना जीवन चला रहे हैं, बल्कि कई लोगों को रोजगार दिया हुआ है. एक बेहद आम किसान के तौर पर विनोद ने काम शुरू किया था. वे कृषि मेलों में इस रोजगार के बारे में सुना करते, फिर हिम्मत करके खुद प्रयोग करने की ठानी और कामयाब भी हुए. आज वे 12 हजार से ज्यादा पेटियां देश-विदेश में सप्लाई करते हैं. पीएम ने उन्हें आत्मनिर्भरता की मिसाल बताते हुए दूसरों को भी कुछ नया आजमाने और डटे रहने की सलाह दी थी.