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मिजोरम के CM बोले- हिमंता मेरे भाई जैसे, हम शांति से निपटा लेंगे असम के साथ सीमा विवाद

26 जुलाई को हुई हिंसक झड़प के बाद से असम और मिजोरम के बीच सीमा विवाद जारी है. हालांकि, मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथंगा ने इंडिया टुडे टीवी के कंसल्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई से खास बातचीत में कहा कि असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा उनके भाई की तरह हैं और वे इस विवाद को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझा लेंगे.

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मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथंगा (फाइल फोटो- पीटीआई)
मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथंगा (फाइल फोटो- पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • मिजोरम के सीएम बोले- असम के 200 पुलिसकर्मियों ने हमला किया
  • हम इस विवाद का शांतिपूर्ण हल चाहते हैं- जोरमथंगा

26 जुलाई को हुई हिंसक झड़प के बाद से असम और मिजोरम के बीच सीमा विवाद जारी है. हालांकि, मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथंगा ने इंडिया टुडे टीवी के कंसल्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई से खास बातचीत में कहा कि असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा उनके भाई की तरह हैं और वे इस विवाद को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझा लेंगे. 

सवाल- असम और मिजोरम के बीच ये क्या चल रहा है? ऐसा लग रहा है कि दोनों राज्य एक दूसरे के साथ वर्चुअली युद्ध लड़ रहे.

जवाब- मिजोरम-असम बॉर्डर विवाद लंबे वक्त से है. 24 जुलाई को शिलॉन्ग में केंद्रीय गृहमंत्री की अध्यक्षता में पूर्वोत्तर के सभी मुख्यमंत्री इकट्ठा हुए थे. इस दौरान हम सभी सहमत हुए थे कि बॉर्डर विवाद को शांतिपूर्ण ढंग से हल कर लिया जाएगा. इसके बाद हम शिलॉन्ग बैठक से लौट आए. हमें आशा थी कि सब कुछ अच्छे से होगा. लेकिन अगले दिन ही हथियारों से लैस 200 पुलिसकर्मी मिजोरम में दाखिल होते हैं और मिजोरम सीआरपीएफ और मिजोरम पुलिस की पोस्ट पर कब्जा कर लेते हैं. इस दौरान दोनों पक्षों में फायरिंग हुई. इसमें असम के 6 पुलिसकर्मी मारे गए और कई लोग जख्मी हो गए. वहीं, मिजोरम की ओर से 2 लोग जख्मी हुए हैं. 

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सवाल: असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने हाल ही में असम-मिजोरम सीमा पर हुई झड़पों के लिए सशस्त्र नागरिकों को जिम्मेदार ठहराया. इसके लिए कौन जिम्मेदार था?

जवाब- जब असम के 200 पुलिसकर्मी सीमापार कर सीआरपीएफ और मिजोरम पुलिस की पोस्ट पर कब्जा कर रहे थे. तो क्या वहां फायरिंग नहीं होती. क्या वे सफेद झंडा दिखाकर आत्मसमर्पण करते. इसके बाद फायरिंग हुई. दोनों पुलिस फोर्सेज ने एक दूसरे पर मशीनगन्स से फायरिंग की. क्या किसी नागरिक की हिम्मत थी, वहां जाने की. किसी भी नागरिक के पास मशीनगन नहीं है. 

सवाल: वे ऐसा क्यों करेंगे? असम के मुख्यमंत्री ने सशस्त्र नागरिक समूहों को जिम्मेदार ठहराया है, उनका कहना है कि इनमें से कई ड्रग्स स्मगलिंग में शामिल हैं ?

जवाब- यह बहुत कमजोर बहाना है. पहले वे कहते हैं कि बर्मा (अब म्यांमार) शरणार्थी असम में बसना चाहते हैं और असम ने इस पर आपत्ति जताई और इसीलिए मिजोरम की ओर नजरबंदी बढ़ा दी. यह पूरी तरह से गलत है. कोई भी बर्मा शरणार्थी असम में नहीं जाना चाहता. दूसरा वे कह रहे हैं कि ड्रग्स डीलर्स ने मिजोरम पुलिस पर असम पुलिस से लड़ने का दबाव डाला. मिजोरम पुलिस और वहां के लोग कई दशकों से ड्रग्स के खिलाफ लड़ रहे हैं. ये बेहूदा आरोप हैं. 

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सवाल- क्या आप भी मिजोरम के लोगों को सलाह दे रहे हैं कि वे असम की यात्रा ना करें?

जवाब- मैं इसका उलट कर रहा हैं. मिजोरम की ओर से हम फंसे हुए ट्रकों को वापस भेज रहे हैं. मेरे प्रशासन ने एक नोटिस जारी किया है कि कोई भी मिजोरम आना चाहता है या असम जाना चाहता है, जा सकता है. हम उसकी मदद करेंगे. 

सवाल- आप असम के मुख्यमंत्री से क्या कहना चाहते हैं, जब देश और केंद्र सरकार देख रहे हैं कि एनडीए सरकार से जुड़े दोनों राज्य लड़ रहे हैं?

जवाब- मैं हिमंता जी को अपना भाई और दोस्त मानता हूं. हमने फोन पर बात की है. हम एक दूसरे के विरोध में नहीं हैं. लेकिन इस समय राजनीतिक स्थिति की वजह से असम रोड ब्लॉक कर रहा है और रेलवे लाइनों को नुकसान पहुंचा रहा है. ताकि मिजोरम पर आर्थिक प्रतिबंध हो सके. वहीं हम इसके विपरीत काम कर रहे हैं. हमने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को पत्र लिखा है कि हम भारत के हिस्सा हैं और हमें इस तरह अलग- थलग नहीं किया जाना चाहिए. इस तरह किसी राज्य पर आर्थिक नाकेबंदी सही नहीं है. हम इन सभी मामलों को आपसी बातचीत से सुलझा लेंगे. 

सवाल: आप और असम के मुख्यमंत्री ट्विटर के जरिए बात कर रहे हैं, क्या आपने इस मामले को हल करने के लिए केंद्र से बात की?

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जवाब- शिलॉन्ग की बैठक और परेशानी शुरू होने के बाद भी हमने कई बार हिमंता जी और गृह मंत्री के साथ फोन पर बात की और मैंने उन्हें बताया कि हम इस मुद्दे को बंदूक से नहीं, बातचीत से सुलझा सकते हैं.  पूर्वोत्तर के सभी सीएम नाराज हैं. हम सब भाई हैं. वक्त आ गया है, जब केंद्र को इस मुद्दे को सुलझाना चाहिए. 


 

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