scorecardresearch
 

नए वैरिएंट पर भारत ने नजरअंदाज की थी चेतावनी, इसलिए कोरोना ने फिर बरपाया कहर: एक्सपर्ट

हेल्थ एक्सपर्ट्स ने भारतीय अधिकारियों को मार्च में ही चेतावनी दी थी कि कोरोना वायरस का नया वैरिएंट तेज़ी से फैल रहा है, जो ग्रामीण इलाकों में अपना असर दिखा रहा है.

Advertisement
X
कोरोना की ताजा लहर पर एक्सपर्ट्स ने दी राय (फाइल फोटो)
कोरोना की ताजा लहर पर एक्सपर्ट्स ने दी राय (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कोरोना की दूसरी लहर को लेकर एक्सपर्ट्स की राय
  • भारत ने चेतावनी को नज़रअंदाज किया: एक्सपर्ट्स
  • 80 दिनों में 40 देशों में पहुंच गया B.1.617 वैरिएंट

कोरोना की दूसरी लहर ने भारत में बहुत तबाही मचाई. हजारों लोगों की जान चली गई, लाखों लोग इलाज के लिए तड़पते दिखाई दिए. लेकिन हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें, तो भारत को कोरोना की ताजा लहर और नए वैरिएंट के बारे में काफी वक्त पहले ही चेताया गया था, लेकिन भारत की सरकार ने इस अलार्म को मिस कर दिया जिसकी वजह से कोरोना के वैरिएंट अपना पैर पसारते गए.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स का दावा है कि हेल्थ एक्सपर्ट्स ने भारतीय अधिकारियों को मार्च में ही चेतावनी दी थी कि कोरोना वायरस का नया वैरिएंट तेज़ी से फैल रहा है, जो ग्रामीण इलाकों में अपना असर दिखा रहा है. ये कोरोना का B.1.617 वैरिएंट था, जिसने भारत के ग्रामीण इलाकों में तबाही मचाई और देखते ही देखते दुनिया के 40 से ज्यादा देशों में फैल गया.

अमरावती में दिखा था असर

पिछले करीब 30 साल से हेल्थ के क्षेत्र में काम कर रहे डॉ. सुभाष सालूके, जो कि महाराष्ट्र सरकार को कोरोना के मामलों में सलाह दे रहे थे. उन्होंने मार्च की शुरुआत में ही केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों जिसमें डॉ. वीके पॉल, सुजीत कुमार सिंह भी शामिल थे, उन्हें आगाह किया था. 

फरवरी में इस वैरिएंट का असर महाराष्ट्र के अमरावती में दिखा था, जिसका जिक्र डॉ. सालूके ने वरिष्ठ अधिकारियों से किया था. अब डॉ. सालूके का दावा है कि उनकी चेतावनी को किसी ने सीरियसली नहीं लिया. हालांकि, रॉयटर्स का कहना है कि डॉ. वीके पॉल ने इस मसले पर उन्हें बताया कि डॉ. सालूके ने सिर्फ जानकारी दी थी, कोई चेतावनी नहीं दी थी. डॉ. पॉल के मुताबिक, पुणे के लैब में इसको लेकर तभी स्टडी शुरू हो गई थी.

Advertisement

80 दिन में 40 देशों में पहुंचा

बता दें कि कोरोना का यही B.1.617 वैरिएंट देखते ही देखते भारत के अन्य इलाकों में फैलने लगा. करीब 80 दिन के भीतर ये वैरिएंट दुनिया के 40 देशों तक पहुंच गया. जिसके बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे बेहद चिंताजनक करार दिया. जनवरी के आसपास भारत में कोरोना के केस में काफी हदतक कमी आ गई थी, जिसके बाद सरकारों ने भी कोरोना पर जीत का दावा किया था.

इसे भी क्लिक करें --- कोविशील्ड के दो डोज के बीच 12-16 हफ्ते का गैप सरकार ने अपनी मर्जी से बढ़ाया?

अमरावती के अधिकारियों के मुताबिक, जनवरी के वक्त हर कोई रिलेक्स हो गया था, लेकिन फरवरी में अचानक से ही केस बढ़ने लगे. पहले 200 केस प्रतिदिन से अचानक से 400 से अधिक केस एक दिन में आने लगे. 

एक्सपर्ट्स ने दावा किया कि अमरावती के वैरिएंट को हल्के में लेना बड़ी चूक थी. क्योंकि उसके बाद कई राज्यों में चुनाव आ गए, जिसका बाद हर किसी का फोकस चुनावों पर था. महाराष्ट्र में भी राज्य स्तर पर गतिविधियां जारी थीं, महाराष्ट्र जैसे राज्य पहले ही लॉकडाउन लगा सकते थे लेकिन अप्रैल तक का इंतजार किया गया. 

गौरतलब है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान भारत में जमकर तबाही हुई. देश में एक दिन में चार लाख से अधिक तक केस दर्ज किए गए, जबकि एक्टिव केस की संख्या 40 लाख तक पहुंच गई. हालांकि, अब जाकर कुछ हदतक सुधार हुआ है और अब नए केस की संख्या एक लाख से कम है, जबकि एक्टिव केस भी 10 लाख से कम हो गए हैं. 
 

Advertisement

 

Advertisement
Advertisement