कोरोना के संक्रमण से ठीक होने के बाद भी महीनों तक लोगों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है. यह जानकारी लैंसेट जनरल की स्टडी में सामने आई है. रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना से संक्रमित होने के बाद अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों में आधे लोगों को 12 महीने बाद भी कम से कम एक लक्षण बना हुआ है.
समाचार एजेंसी के मुताबिक, यह रिसर्च चीन के वुहान में 1,276 मरीजों पर की. इसमें पता चलता है कि हर तीन में से एक व्यक्ति को 12 महीने बाद भी सांस लेने में तकलीफ हो रही है. जबकि कुछ मरीजों को फेफड़ों की शिकायत बनी रही, खासकर से उन मरीजों को जिन्हें गंभीर कोरोना हुआ था.
कोरोना से संक्रमित लोग कम स्वस्थ मिले
रिसर्च में सामने आया है कि कोरोना से रिकवर हुए मरीज उन लोगों की तुलना में कम स्वस्थ पाए गए, जो SARS-CoV-2 वायरस से संक्रमित नहीं हुए थे, जिसकी वजह से कोरोना संक्रमण होता है.
चीन-जापान फ्रेंडशिप हॉस्पिटल के प्रोफेसर बिन काओ ने बताया कि कोरोना से संक्रमित होने के बाद ठीक हुए मरीजों के स्वास्थ्य परिणामों का आकलन करने के लिए हमारी रिसर्च अब तक की सबसे बड़ी रिसर्च है.
ज्यादातर मरीज हुए रिकवर
उन्होंने बताया कि अधिकांश मरीज अच्छे से रिकवर हुए. जबकि कुछ मरीजों को स्वास्थ्य समस्याएं बनी रहीं. खासकर उन मरीजों को, जो गंभीर बीमार थे. इस रिसर्च से पता चला है कि कुछ मरीजों को ठीक होने में एक साल से अधिक समय लगेगा. महामारी के बाद स्वास्थ्य सेवाओं को बनाई जाने वाली योजनाओं में इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए.
इससे पहले इसी टीम ने अस्पताल में भर्ती 1,733 मरीजों पर स्टडी की थी. इसमें पता चला था कि ठीक होने के 6 महीने बाद करीब तीन चौथाई मरीजों को स्वास्थ्य समस्याएं थीं. इस नई रिसर्च में उन मरीजों के डेटा का आकलन किया गया, जो 7 जनवरी से 29 मई 2020 तक अस्पताल से डिस्चार्ज हुए.
कैसे हुई रिसर्च?
रिसर्च के दौरान डिस्चार्ज होने के 6 और 12 महीने बाद मरीजों के लक्षणों और उनके स्वास्थ्य से संबंधित अन्य जानकारी के लिए विस्तृत जांच की गई. इसमें आमने सामने से पूछताछ, शारीरिक परीक्षण, लैब टेस्ट, 6 मिनट तक मरीजों को पैदल चलाने जैसे परीक्षण शामिल हैं. इस स्टडी में औसत 57 साल के मरीजों को शामिल किया गया.
हालांकि, ठीक होने के 6 महीने बाद 68% मरीजों में कम से कम एक लक्षण था. लेकिन एक साल बाद ऐसे मरीजों की संख्या 49% थी. मरीजों में सबसे अधिक थकान या मांसपेशियों में कमजोरी की शिकायत मिली. हर तीन में से एक मरीज को सांस लेने में तकलीफ का सामना करना पड़ रहा है. जबकि कुछ रोगियों में फेफड़ों की शिकायत बनी रही.