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ज्ञानवापी मामले पर हिंदू और मुस्लिम पक्ष ने रखीं दलीलें, पढ़ें- किसने क्या कहा

मुस्लिम पक्ष ने कहा कि दक्षिणी तहखाने में पूजा करने का अदालत का 31 जनवरी का आदेश बिना आवेदन के पारित किया गया था. मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट को बताया कि आवेदन 9जी को 17 जनवरी के आदेश द्वारा पहले ही निपटा दिया गया था. क्या जिला जज के पास नए आवेदन के बिना 31 जनवरी को के आदेश को पारित करने की शक्ति थी?

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ज्ञानवापी मामला
ज्ञानवापी मामला

वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में हिंदू पक्ष को पूजा करने की अनुमति देने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में मंगलवार को मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई हुई. इस दौरान हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों ने अपनी दलीलें रखीं. 

मुस्लिम पक्ष ने कहा कि दक्षिणी तहखाने में पूजा करने का अदालत का 31 जनवरी का आदेश बिना आवेदन के पारित किया गया था. मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट को बताया कि आवेदन 9जी को 17 जनवरी के आदेश द्वारा पहले ही निपटा दिया गया था. क्या जिला जज के पास नए आवेदन के बिना 31 जनवरी को के आदेश को पारित करने की शक्ति थी?

इस दौरान जस्टिस आरआरए ने कहा कि एक बार जब 17 जनवरी को आदेश द्वारा आवेदन का निपटारा कर दिया गया है, तो दूसरा आदेश कैसे पारित किया जा सकता है? इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 17 जनवरी का वाराणसी जिला अदालत के उस आदेश को देखा जिसमें जिला मजिस्ट्रेट को संपत्ति का रिसीवर नियुक्त किया गया.

बता दें कि मुस्लिम पक्ष ने हिंदू पक्ष को वाराणसी जिला जज द्वारा पूजा की अनुमति वाले आदेश को चुनौती दी है. यह याचिका अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की तरफ से दाखिल की गई है. 

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इससे पहले पिछली सुनवाई में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की पूजा पर रोक लगाने वाली याचिका पर अंतरिम रोक लगाने से इंकार कर दिया था. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष से पूछा था कि आपने 17 जनवरी के आदेश डीएम को रिसीवर नियुक्त करने को चुनौती नहीं दी है जबकि 31 जनवरी का आदेश एक परिणामी आदेश है, जब तक उस आदेश को चुनौती नहीं दी जाएगी तब तक यह अपील कैसे सुनवाई योग्य होगी?

मुस्लिम पक्ष ने हिंदू पक्ष की याचिका पर क्या कहा?

न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी को अपील में संशोधन अर्जी के जरिए 17 जनवरी के डीएम को रिसीवर नियुक्त करने के मूल आदेश को चुनौती देने की अनुमति दी थी. महाधिवक्ता ने कानून व्यवस्था बनाए रखने का आश्वासन दिया था. मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा कि हाई कोर्ट में दायर अपील में यह अनुरोध किया गया है कि हिंदू पक्ष का मुकदमा स्वयं सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 7 नियम 11 के तहत वर्जित है.

तहखाने में हिंदू पक्ष को मिली पूजा की इजाजत

याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि मुकदमा दायर करने के पीछे मुख्य उद्देश्य ज्ञानवापी मस्जिद पर विवाद पैदा करना था जहां नियमित नमाज अदा की जाती है. मामले को लेकर हिंदू पक्ष की ओर से कैविएट भी दाखिल की गई थी. वाराणसी कोर्ट ने बुधवार को फैसला सुनाया कि एक हिंदू पुजारी ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में मूर्तियों के सामने प्रार्थना कर सकता है. आदेश के मुताबिक, पूजा काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट द्वारा नामित एक "पुजारी" द्वारा आयोजित की जाएगी. बुधवार की रात यहां पूजा आयोजित की गई थी.

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हिंदू पक्ष ने पूरे मामले पर क्या कहा?

हिंदू पक्ष के वकील शैंलेद्र पाठक ने इस मामले में सबसे पहले याचिका दायर की थी. वाराणसी कोर्ट के फैसले के बाद मुस्लिम पक्ष के हाई कोर्ट जाने पर हिंदू पक्ष ने बताया था कि पूजा से मुस्लिम पक्ष को आपत्ति थी, जिस पर मुस्लिम पक्ष स्थगन प्रस्ताव चाह रहा था और कोर्ट के समक्ष हिंदू पक्ष ने आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि जब हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है तो अभी यहां (एससी) उस विषय पर सुने जाने का औचित्य नहीं है. अब इस मामले की सुनवाई 7 जनवरी 2024 यानी बुधवार को होगी.

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