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'भारत की डिफेंस स्ट्रैटेजी को पूरी तरह बदल देगी सऊदी-PAK डील', बोले जियो-पॉलिटिकल एक्सपर्ट इयान ब्रेमर

सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच किसी रक्षा समझौते के संदर्भ में भारत ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि वह अपने साझेदारों के साथ आपसी हितों को प्राथमिकता देता है.

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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (L) और सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान. (Photo: AP)
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (L) और सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान. (Photo: AP)

सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए ऐतिहासिक रक्षा समझौते ने रीजनल जियो-पॉलिटिक्स को नया मोड़ दे दिया है. प्रमुख जियो-पॉलिटिकल एनालिस्ट और यूरेशिया ग्रुप के चेयरमैन इयान ब्रेमर ने आज तक को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि यह समझौता न केवल इस्लामाबाद को मजबूत बनाएगा, बल्कि नई दिल्ली की डिफेंस स्ट्रैटेजी को भी पूरी तरह बदल देगा.

इयान ब्रेमर ने जोर देकर कहा, 'यह समझौता भारत के लिए जियो पॉलिटिक्स में बहुत बड़ा बदलाव है, इसमें कोई शक नहीं.' उन्होंने हाल की तनावपूर्ण स्थिति का जिक्र करते हुए कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर गंभीर सुरक्षा समस्या बनी हुई है. अगर आप भारत की जगह हैं और पाकिस्तान के साथ सीमा विवाद चल रहा है... तो एक और सैन्य टकराव की संभावना बहुत ज्यादा है. अब अगर ऐसा होता है और सऊदी अरब पाकिस्तान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है, तो भारत को अपनी रणनीति में इसे शामिल करना पड़ेगा. यह भारत के लिए बड़ा बदलाव लाएगा.'

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समझौते की मुख्य बातें

रियाद में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की यात्रा के दौरान 17 सितंबर को हस्ताक्षरित इस स्ट्रैटेजिक म्यूचुअल डिफेंस एग्रीमेंट (SMDA) के तहत दोनों देश किसी एक पर हमले को दूसरे पर हमला मानेंगे. रिपोर्ट्स के अनुसार, यह समझौता पाकिस्तान की परमाणु क्षमताओं को भी कवर करता है, जिससे आपात स्थिति में इन्हें सऊदी अरब की रक्षा का हिस्सा माना जा सकता है. सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और शहबाज शरीफ ने अल यमामा पैलेस में इस समझौते पर हस्ताक्षर किए.

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इयान ब्रेमर ने कहा कि यह समझौता रियाद और इस्लामाबाद के लंबे समय से चले आ रहे संबंधों को मजबूत करता है. उन्होंने कहा, 'पाकिस्तान का मुख्य सहयोगी चीन ही रहेगा. वहां से उन्हें सबसे ज्यादा सैन्य सहायता और खुफिया जानकारी मिलती है.' लेकिन ब्रेमर ने पाकिस्तान के नए रिश्तों का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, 'ट्रंप के साथ क्रिप्टो इंवेस्टमेंट और अन्य निवेशों के जरिए बेहतर रिश्ते पाकिस्तान को और मजबूत महसूस कराते हैं.'

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परमाणु सहयोग का पुराना इतिहास

ब्रेमर ने सऊदी अरब के पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम को समर्थन देने का जिक्र किया. उन्होंने कहा, 'हां, यह सच्चाई है कि सऊदी अरब कई वर्षों से पाकिस्तान के प्लूटोनियम प्रोग्राम को फंड कर रहा है. यह एक खुला राज था कि संकट की स्थिति में सऊदी अरब पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम को अपना आपातकालीन परमाणु कार्यक्रम मानता है. यह ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से बहुत पहले की बात है. यह समझौता इस समझ को औपचारिक रूप देता है. सामूहिक सुरक्षा समझौते की खुली घोषणा एक बहुत बड़ा नया कदम है.'

सऊदी अरब की रणनीति में बदलाव

इयान ब्रेमर के अनुसार, यह कदम रियाद की सुरक्षा नीति में बदलाव दर्शाता है. यह अमेरिका पर पूरी तरह निर्भर नहीं रहने और गठबंधनों को विविध बनाने का प्रयास है. यह समझौता इस्लामाबाद को जियो-पॉलिटिकली मजबूत बनाता है. यह समझौता कतर में इजरायल के हमले के ठीक बाद आया है, जिसमें एक कतरी सुरक्षा अधिकारी मारा गया था. इयान ब्रेमर ने कहा कि सऊदी अरब, कतर पर इजरायली हमले के बाद अमेरिकी की सुस्त प्रतिक्रिया से असंतुष्ट था. अमेरिका ने इजरायल को रोकने के लिए कुछ नहीं किया और हमले के बाद भी ज्यादा शिकायत नहीं की. कोई सजा नहीं मिली, जो सऊदी अरब के लिए अस्वीकार्य है.

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भारत की प्रतिक्रिया

भारत ने कहा है कि वह इस समझौते (पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच)  पर करीब से नजर रख रहा है. विदेश मंत्रालय ने दोहराया कि सऊदी अरब के साथ भारत की साझेदारी मजबूत बनी हुई है, लेकिन देश अपनी सुरक्षा के लिए सभी जरूरी कदम उठाएगा. विदेश मंत्रालय ने कहा, 'भारत और सऊदी अरब के बीच हाल के वर्षों में स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप काफी मजबूत हुई है. यह साझेदारी आपसी हितों और संवेदनशीलताओं को ध्यान में रखकर आगे बढ़ेगी.' सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच किसी रक्षा समझौते के संदर्भ में भारत ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि वह अपने साझेदारों के साथ आपसी हितों को प्राथमिकता देता है.

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