
मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री नोंगथोम्बम बीरेन सिंह ने मणिपुर के राज्यपाल को एक पत्र लिखकर राज्य में बांग्लादेश और म्यांमार से आए अवैध प्रवासियों की पहचान और निर्वासन की प्रक्रिया को तेज करने और जारी रखने की मांग की है. साथ ही उन्होंने बांग्लादेश और म्यांमार के अवैध प्रवासियों की 30 दिनों के अंदर पहचान करने के लिए दिए गए गृह मंत्रालय के दिशा-निर्देशों की सराहना की और इसे जारी रखने की मांग की है. उन्होंने राज्यपाल को 2021 में पहचान किए गए अवैध प्रवासियों से जुड़े डॉक्यूमेंट भी सौंपे हैं. वहीं, पुलिस महानिदेशक ने बीरेन सिंह की सुरक्षा में कटौती कर दी है.
बीरेन सिंह ने अपने पत्र में लिखा कि मणिपुर में अवैध प्रवासियों की मौजूदगी एक गंभीर समस्या बन गई है. उन्होंने केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय द्वारा जारी गाइडलाइन को जारी रखने की मांग की, जिसमें 30 दिनों के अंदर बांग्लादेश और म्यांमार से आए अवैध प्रवासियों की पहचान और निर्वासन के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किया गया है.
'मेरा लंबे वक्त से रहा है सपना'
उन्होंने पत्र में कहा, 'मेरा लंबे समय से सपना रहा है कि हम अपने देश को अवैध प्रवासियों की समस्या से मुक्त करें.' उन्होंने अपने पत्र में मणिपुर के इतिहास का भी उल्लेख किया. उन्होंने बताया कि मणिपुर का इतिहास 30 ईस्वी (ईसवी सन्) से शुरू होता है, जैसा कि चीथारोल कुंबाबा (मणिपुर का शाही इतिहास) में दर्ज है. इसके अलावा 1886 में मणिपुर के राजकुमार राज्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जैसा कि कैप्टन ई.डब्ल्यू. डन (बी.एस.सी.) ने गजेटियर ऑफ मणिपुर में उल्लेख किया है.

उन्होंने 1826 के एंग्लो-मणिपुरी संधि का भी जिक्र किया, जो हरिदास गोसाईं और जय सिंह (भाग्यचंद्र), मेकले (मणिपुर) के राजा के बीच हुई थी.
बीरेन सिंह ने मणिपुर के इतिहास पर दिया जोर
बीरेन सिंह ने मणिपुर के भूगोल और प्रशासनिक इतिहास पर भी प्रकाश डाला. उन्होंने डॉ. ब्राउन के 1873 के सांख्यिकीय खाते का हवाला देते हुए कहा कि मणिपुर की सीमाओं को भारत सरकार के डॉ. ब्राउन (एफआरसीएसई) और थंगल जनरल ने निर्धारित किया था. इस दौरान मणिपुर की नदियों जैसे जिरी, मुक्रू, बराक, इरंग, लेंगबा और लिमतक का भी उल्लेख किया गया.

उन्होंने मेजर जनरल सर जेम्स जॉनस्टोन की किताब "मणिपुर एंड द नागा हिल्स" का हवाला देते हुए मणिपुर के प्रशासनिक इतिहास पर भी टिप्पणी की. जॉनस्टोन ने 1877 से 1886 के बीच मणिपुर में ब्रिटिश राजनीतिक एजेंट के रूप में कार्य किया था.
उन्होंने लिखा, 'मणिपुर का आंतरिक प्रशासन कभी-भी हमारे हस्तक्षेप से प्रभावित नहीं हुआ. थंगल मेजर एक मजबूत और सक्षम राजनीतिक एजेंट थे.'
बीरेन सिंह ने अपने पत्र में जोर देकर कहा कि मणिपुर में अवैध प्रवासियों की समस्या को हल करना राज्य और देश की सुरक्षा के लिए जरूरी है. उन्होंने राज्यपाल से इस मामले में तत्काल कार्रवाई की मांग की है. पूर्व सीएम का ये पत्र मणिपुर में अवैध प्रवास के मुद्दे पर एक बार फिर से चर्चा को तेज कर सकता है.

पूर्व सीएम की सुरक्षा में की गई कटौती
इसके इतर मंगलवार को पूर्व मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की सुरक्षा में कटौती कर दी. मणिपुर पुलिस ने एक आदेश जारी कर उनके सुरक्षा दस्ते से 17 पुलिस कर्मियों को वापस बुला लिया. ये आदेश पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) द्वारा हस्ताक्षरित था, जिसमें कर्मियों को तत्काल प्रभाव से अपनी मूल इकाइयों में वापस लौटने का निर्देश दिया गया. एक अलग आदेश में कहा गया कि पूर्व मुख्यमंत्री के साथ अब केवल छह सुरक्षा कर्मी रहेंगे, जिनमें तीन सहायक उप-निरीक्षक, एक हेड कांस्टेबल और दो कांस्टेबल शामिल हैं. यह व्यवस्था अगले आदेश तक लागू रहेगी. यह कदम बीरेन सिंह के 9 फरवरी 2025 को इस्तीफे और इसके बाद 13 फरवरी को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद उठाया गया है.