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Farmers Protest: शंभू बॉर्डर पर किसान नेे की सुसाइड की कोशिश, खाई सल्फास की गोलियां

किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के सदस्य किसान रेशम सिंह, तरण तारन जिले के रहने वाले हैं और पिछले दिनों उन्होंने शंभू बॉर्डर पर किसानों द्वारा किया जा रहा प्रोटेस्ट ज्वाइन किया था.

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किसान आंदोलन (फाइल फोटो)
किसान आंदोलन (फाइल फोटो)

शंभू बॉर्डर पर पिछले काफी दिनों से किसानों का आंदोलन जारी है. इस बीच किसानों से जुड़ी एक बड़ी खबर आ रही है. जानकारी के मुताबिक, किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के सदस्य रेशम सिंह ने शंभू मोर्चा पर आत्महत्या करने की कोशिश की है. हालत गंभीर होने के बाद राजपुरा सरकारी हॉस्पिटल में ले जाया जा रहा है.

किसान रेशम सिंह, तरण तारन जिले के रहने वाले हैं और पिछले कई दिनों से शंभू बॉर्डर पर किसान आंदोलन में शामिल थे. आज सुबह उन्होंने सल्फास की गोलियां खा ली हैं, जिसके बाद उनकी हालत गंभीर बनी हुई है.

फरवरी से शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डटे हैं किसान

सुरक्षा बलों द्वारा दिल्ली की ओर मार्च रोके जाने के बाद पिछले साल 13 फरवरी से किसान पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा बिंदुओं पर डेरा डाले हुए हैं. किसानों ने इससे पहले 13 फरवरी और 21 फरवरी को दिल्ली की ओर मार्च करने का प्रयास किया था, लेकिन सीमा बिंदुओं पर तैनात सुरक्षा बलों ने उन्हें रोक दिया था.

इसके बाद संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले 101 किसानों के जत्थे ने 6 और 8 दिसंबर को पैदल दिल्ली जाने की दो कोशिशें की थीं, लेकिन हरियाणा के सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया. इस दौरान किसानों और सुरक्षाबलों के बीच टकराव जैसी स्थिति बनी, जिसके बाद किसानों को पीछे धकेलने के लिए आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल किया गया. इस दौरान कई किसान घायल भी हुए.

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यह भी पढ़ें: दिल्ली पर फिर मंडरा रहा है किसान आंदोलन का साया, डल्लेवाल के अनशन से मामला हो रहा खतरनाक| Opinion

क्या हैं किसानों की मांगें?

फसलों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी के अलावा, किसान कर्ज माफी, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं, पुलिस मामलों को वापस लेने और 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए "न्याय" की मांग कर रहे हैं. भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को बहाल करना और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मरने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा देना भी उनकी मांगों का हिस्सा है. 

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