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'चन्नी से हिसाब बराबर करेंगे', दिल्ली के बाद अब किसानों का 'मिशन पंजाब'

किसान नेता जोगिंदर सिंह उगराहां का कहना है कि किसान चाहते हैं कि 2017 के चुनावी घोषणा पत्र में किए गए वादे के मुताबिक कर्ज माफ किया जाए. पंजाब कांग्रेस सरकार का कार्यकाल लगभग खत्म हो चुका है और अब कुछ ही दिन बचे हैं. हमें चन्नी (CM चरणजीत सिंह चन्नी) से हिसाब बराबर करना है.

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किसानों अब पंजाब सरकार की चिंता बढ़ा दी है. (फाइल फोटो)
किसानों अब पंजाब सरकार की चिंता बढ़ा दी है. (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • केंद्र के बाद पंजाब सरकार की घेराबंदी
  • कर्ज माफ करने की मांग

दिल्ली में कृषि कानूनों को वापस करवाने के बाद अब किसानों ने 'मिशन पंजाब' शुरू कर दिया है. दिल्ली से लौटे किसान नेताओं ने 2017 के चुनावी घोषणापत्र में किए गए वादों पर राज्य सरकार से हिसाब बराबर करने की ठान ली है. किसान संघों ने कर्जमाफी, आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा और नौकरी देने के मुद्दे पर पंजाब सरकार को अल्टीमेटम दे दिया है. उधर, सीएम चरणजीत सिंह ने खतरा भांपते हुए पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कर्जमाफी में मदद की मांग कर दी.
 
पंजाब के सबसे बड़े किसान संघ भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां) के पूर्व प्रमुख जोगिंदर सिंह उगराहां ने दिल्ली से लौटने के बाद कहा, "मैं अपने भाइयों (किसानों) से बहुत ज्यादा खुश न होने के लिए कहता हूं, क्योंकि संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है. किसानों के कर्ज का मुद्दा अभी भी अनसुलझा है. पंजाब कांग्रेस सरकार का कार्यकाल लगभग खत्म हो चुका है और अब कुछ ही दिन बचे हैं. हमें चन्नी (CM चरणजीत सिंह चन्नी) से हिसाब बराबर करना है." 

मुआवजे और नौकरी का इंतजार

उगराहां का कहना है कि किसान अपनी कर्ज माफी के अलावा उन परिवारों के मुआवजे का इंतजार कर रहे हैं, जिनके सदस्यों ने आत्महत्या की और उनसे नौकरी देने का वादा किया गया था. उन्होंने कहा कि रोजगार के अवसर नहीं हैं और लोग रोजी रोटी के लिए देश छोड़कर जा रहे हैं.
 
लैंड सीलिंग ऑर्डर वापस लिए

दिलचस्प बात यह है कि चरणजीत सिंह चन्नी सरकार भी अधूरे चुनावी वादों को लेकर किसान समुदाय के गुस्से से वाकिफ है. किसान संघों के डर से अब मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी सहम गए हैं और उन्होंने इन मुद्दों लेकर आगामी 17 दिसंबर को 11 बजे पंजाब भवन में मीटिंग बुला ली है. साथ ही पंजाब सरकार ने अपने लैंड सीलिंग ऑर्डर वापस ले लिए हैं. दरअसल, पंजाब सरकार को अपने शुक्रवार के विवादास्पद आदेशों को वापस लेने के लिए भी मजबूर होना पड़ा, जिसमें उपायुक्तों से उन किसानों की सूची तैयार करने के लिए कहा गया था जिनके पास 17.5 एकड़ की सीमा से अधिक भूमि का स्वामित्व है.
 
कर्जमाफी पर केंद्र सरकार को घसीटा

पंजाब में कर्जमाफी के मुद्दे को मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी भांप गए थे और उन्होंने 30 नवंबर 2021 को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर पूर्ण कर्जमाफी की मांग कर दी. इसको लेकर वरिष्ठ भाजपा नेता विनीत जोशी ने कहा, 'यह शर्मनाक है कि कर्जमाफी के नाम पर लोगों को बेवकूफ बनाने वाली पार्टी अब अपने चुनावी वादे को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार से मदद मांग रही है. पंजाब के लोग जानते हैं कि कर्जमाफी के नाम पर उनके साथ धोखा किया गया है.

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10.25 लाख किसानों से किया था वादा 

पंजाब के किसानों पर विभिन्न बैंकों और निजी साहूकारों का 1,00,000 करोड़ रुपये बकाया है. कांग्रेस ने अपने 2017 के चुनावी घोषणापत्र में राज्य के 10.25 लाख किसानों से वादा किया था कि उनका कर्ज (10,000 करोड़ रुपये) माफ कर दिया जाएगा. जबकि सिर्फ 5,63, 718 किसानों का 4,610.24 करोड़ रुपए कर्ज माफ हुआ है. 

 

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