Delhi: Haryana Chief Minister Manohar Lal Khattar and Deputy Chief Minister Dushyant Chautala arrive at Ministry of Home Affairs (MHA) to meet Home Minister Amit Shah. pic.twitter.com/sLbQntlozL
— ANI (@ANI) January 12, 2021
भारतीय किसान यूनियन (आर) के नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि हमने कल ही कहा था कि हम ऐसी किसी समिति के समक्ष उपस्थित नहीं होंगे. हमारा आंदोलन हमेशा की तरह आगे बढ़ेगा. इस समिति के सभी सदस्य सरकार समर्थक हैं और कृषि कानूनों को सही ठहरा रहे हैं. क्रांति किसान यूनियन के प्रमुख दर्शन पाल ने कहा कि हमने कल रात एक प्रेस नोट जारी किया था जिसमें कहा गया था कि हम मध्यस्थता के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित किसी भी समिति को स्वीकार नहीं करेंगे. हमें विश्वास था कि केंद्र को उनके कंधों से बोझ उठाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से एक समिति का गठन किया जाएगा.
We had said yesterday itself that we won't appear before any such committee. Our agitation will go on as usual. All the members of this Committee are pro-govt and had been justifying the laws of the Government: Balbir Singh Rajewal, Bhartiya Kisan Union (R) https://t.co/KE9vMGUKjl pic.twitter.com/n2FFh5oj9k
— ANI (@ANI) January 12, 2021
सुप्रीम कोर्ट के आज के फ़ैसले पर कांग्रेस मीडिया इंचार्ज रणदीप सुरजेवाला ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जो चिंता ज़ाहिर की उसका हम स्वागत करते हैं. लेकिन जो चार सदस्यीय कमेटी बनाई वो चौंकाने वाला है. ये चारों सदस्य पहले ही काले कानून के पक्ष में अपना मत दें चुके हैं. ये किसानों के साथ क्या न्याय कर पाएंगे ये सवाल है. ये चारों तो मोदी सरकार के साथ खड़े हैं. ये क्या न्याय करेंगे. एक ने लेख लिखा. एक ने मेमेरेंडम दिया. एक ने चिट्ठी लिखी. एक पेटिशनर है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कानून पारित होने से पहले जो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) था वो अगले आदेश तक जारी रहेगा. कोर्ट ने गठित कमेटी से कहा कि वो दो महीने में अपनी रिपोर्ट सौंप दें. शीर्ष अदालत ने कहा कि समिति, सरकार के साथ-साथ किसान संगठनों और अन्य हितधारकों के प्रतिनिधियों को सुनने के बाद इस न्यायालय के समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी. रिपोर्ट में कमेटी की सिफारिशें होंगी. यह काम दो महीने में पूरा किया जाना है. पहली बैठक आज से दस दिनों के भीतर आयोजित की जाएगी.
कोर्ट के फैसले पर किसान संगठनों ने असहमति जताई है. किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि देश के किसान कोर्ट के फैसले से निराश हैं. अशोक गुलाटी की अध्यक्षता में कमेटी ने सिफारिश की थी. गुलाटी ने ही कृषि कानूनों की सिफारिश की थी. राकेश टिकैत ने ट्वीट किया, माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित कमेटी के सभी सदस्य खुली बाजार व्यवस्था या कानून के समर्थक रहे है. अशोक गुलाटी की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने ही इन कानून को लाये जाने की सिफारिश की थी. देश का किसान इस फैसले से निराश है. राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों की मांग कानून को रद्द करने व न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानून बनाने की है. जब तक यह मांग पूरी नहीं होती तब तक आंदोलन जारी रहेगा. माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का परीक्षण कर कल संयुक्त मोर्चा आगे की रणनीति की घोषणा करेगा.
रेलवे सेवा बाधित होने के बावजूद देश के अलग-अलग हिस्सों से किसानों का आना लगातार जारी है. संयुक्त किसान मोर्चा ने जारी बयान में कहा कि आंध्र प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के किसान आ गए हैं, परसों केरल के किसान भी आ रहे हैं. किसानों ने केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन को बदनाम करने व दो-तीन राज्यों तक सीमित बताकर आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश की निंदा की.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि जबतक कानून वापसी नहीं होगा, तबतक किसानों की घर वापसी नहीं होगी. उन्होंने कहा कि हम अपनी बात रखेंगे, जो दिक्कत हैं सब बता देंगे.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के बाद अब अकाली दल ने अहम बैठक बुलाई है. जो आगे की रणनीति पर मंथन करेगी, बैठक में सुखबीर सिंह बादल भी शामिल होंगे.
केंद्र सरकार द्वारा पास किए गए तीनों कृषि कानून के लागू होने पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. सर्वोच्च अदालत ने मंगलवार को ये फैसला सुनाया, साथ ही अब इस मसले को सुलझाने के लिए कमेटी का गठन कर दिया गया है. इस कमेटी में कुल चार लोग शामिल होंगे, जिनमें भारतीय किसान यूनियन के भूपेंद्र सिंह मान, डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, अशोक गुलाटी (कृषि विशेषज्ञ) और अनिल घनवंत शामिल हैं.
अटॉर्नी जनरल की ओर से कमेटी बनाने का स्वागत किया गया. इसपर हरीश साल्वे कहा कि सुप्रीम कोर्ट यह स्पष्ट कर सकता है कि ये किसी पक्ष के लिए जीत नहीं होगी, बल्कि कानून की प्रक्रिया के जरिए जांच का प्रयास ही होगा.
चीफ जस्टिस की ओर से इसपर कहा गया कि ये निष्पक्षता की जीत हो सकती है.

याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि प्रदर्शन में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो रहा है, ऐसे में बड़ी जगह मिलनी चाहिए. वकील ने रामलीला मैदान का नाम सुझाया, तो अदालत ने पूछा कि क्या आपने इसके लिए अर्जी मांगी थी.
अदालत ने किसान संगठनों को भी नोटिस जारी किया है, जिसमें उन्होंने दिल्ली पुलिस से ट्रैक्टर रैली निकालने की परमिशन मांगी है. सुप्रीम कोर्ट में अब ये मामला सोमवार को सुना जाएगा.
चीफ जस्टिस की ओर से अटॉर्नी जनरल से कहा गया है कि वो प्रदर्शन में किसी भी बैन संगठन के शामिल होने को लेकर हलफनामा दायर करें.
सांसद तिरुचि सीवा की ओर से जब वकील ने कानून रद्द करने की अपील की तो चीफ जस्टिस ने कहा कि हमें कहा गया है कि साउथ में कानून को समर्थन मिल रहा है. जिसपर वकील ने कहा कि दक्षिण में हर रोज इनके खिलाफ रैली हो रही हैं. चीफ जस्टिस ने कहा कि वो कानून सस्पेंड करने को तैयार हैं, लेकिन बिना किसी लक्ष्य के नहीं.

किसानों के एक वकील ने कहा कि इस तरह का मानना है कि कमेटी मध्यस्थ्ता करेगी. जिसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि कमेटी मध्यस्थ्ता नहीं करेगी, बल्कि मुद्दों का समाधान करेगी.
अदालत में हरीश साल्वे की ओर से कहा गया कि 26 जनवरी को कोई बड़ा कार्यक्रम ना हो, ये सुनिश्चित होना चाहिए. जिसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि दुष्यंत दवे की ओर से पहले ही कहा जा चुका है कि रैली-जुलूस नहीं होगा. हरीश साल्वे ने इसके अलावा सिख फॉर जस्टिस के प्रदर्शन में शामिल होने पर आपत्ति जताई और कहा कि ये संगठन खालिस्तान की मांग करता आया है.
चीफ जस्टिस ने कहा कि वो ऐसा फैसला जारी कर सकते हैं जिससे कोई किसानों की जमीन ना ले सके.
सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन को लेकर सुनवाई शुरू हो गई है. अदालत में किसानों की ओर से ML शर्मा ने कहा कि किसान कमेटी के पक्ष में नहीं हैं, हम कानूनों की वापसी ही चाहते हैं.
एमएल शर्मा की ओर से अदालत में कहा गया कि आजतक पीएम उनसे मिलने नहीं आए हैं, हमारी जमीन बेच दी जाएंगी. जिसपर चीफ जस्टिस ने पूछा कि जमीन बिक जाएंगी ये कौन कह रहा है? वकील की ओर से बताया गया कि अगर हम कंपनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट में जाएंगे और फसल क्वालिटी की पैदा नहीं हुई, तो कंपनी उनसे भरपाई मांगेगी.

चीफ जस्टिस की ओर से अदालत में कहा गया कि हमें बताया गया कि कुल 400 संगठन हैं, क्या आप सभी की ओर से हैं. हम चाहते हैं कि किसान कमेटी के पास जाएं, हम इस मुद्दे का हल चाहते हैं हमें ग्राउंड रिपोर्ट बताइए. कोई भी हमें कमेटी बनाने से नहीं रोक सकता है. हम इन कानूनों को सस्पेंड भी कर सकते हैं. जो कमेटी बनेगी, वो हमें रिपोर्ट देगी.
चीफ जस्टिस की ओर से कहा गया कि अगर समस्या का हल निकालना है, तो कमेटी के सामने जाना होगा. सरकार तो कानून लागू करना चाहती है, लेकिन आपको हटाना है. ऐसे में कमेटी के सामने चीजें स्पष्ट होंगी. चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान किसानों की मांग पर कहा कि पीएम को क्या करना चाहिए, वो तय नहीं कर सकते हैं. हमें लगता है कि कमेटी के जरिए रास्ता निकल सकता है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि अदालत के फैसले के बाद हमारी कमेटी की बैठक होनी है. इसी बैठक में हम आगे का फैसला करेंगे और रणनीति बनाएंगे.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को एक बार फिर सरकार को किसानों के मुद्दे पर घेरा. राहुल ने ट्वीट कर लिखा, ‘सरकार की सत्याग्रही किसानों को इधर-उधर की बातों में उलझाने की हर कोशिश बेकार है. अन्नदाता सरकार के इरादों को समझता है; उनकी माँग साफ़ है- कृषि-विरोधी क़ानून वापस लो, बस!’
सरकार की सत्याग्रही किसानों को इधर-उधर की बातों में उलझाने की हर कोशिश बेकार है।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 12, 2021
अन्नदाता सरकार के इरादों को समझता है; उनकी माँग साफ़ है-
कृषि-विरोधी क़ानून वापस लो, बस!
केंद्र ने फैसले से पहले कोर्ट में अपना हलफनामा दिया, जिसमें सफाई दी गई कि कानून बनने से पहले व्यापक स्तर पर चर्चा की गई थी. सरकार ने कहा कि कानून जल्दबाजी में नहीं बने हैं बल्कि ये तो दो दशकों के विचार-विमर्श का परिणाम है.
हलफनामे में कहा गया कि देश के किसान खुश हैं क्योंकि उन्हें अपनी फसलें बेचने के लिए मौजूदा विकल्प के साथ एक अतिरिक्त विकल्प भी दिया गया है. इससे साफ है कि किसानों का कोई भी निहित अधिकार इन कानूनों के जरिए छीना नहीं जा रहा है.
सुप्रीम कोर्ट के द्वारा सोमवार को केंद्र सरकार को फटकार लगाई गई, साथ ही जिस तरह के किसान आंदोलन को सरकार ने संभाला उसपर नाराजगी व्यक्त की गई. ऐसे में अदालत ने कहा है कि अब वो ही इसका निर्णय करेंगे, इसीलिए बीते दिन कमेटी के लिए नामों को मांगा गया. जबतक कमेटी कोई निर्णय नहीं देगी, कानून लागू होने पर रोक लगी रहेगी.
किसानों ने हालांकि किसी कमेटी के सामने पेश होने से इनकार किया है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आज हर किसी की नज़र है.