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ईडी ने PFI और SDPI से जुड़ी 67.03 करोड़ की संपत्ति जब्त की, मनी लॉन्ड्रिंग केस में कार्रवाई

ईडी ने प्रतिबंधित संगठन पीएफआई और उसके राजनीतिक मार्चे एसडीपीआई से जुड़े ट्रस्टों की 67.03 करोड़ की संपत्तियां अस्थायी जब्त कर ली हैं. संघीय एजेंसी ने यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में की है, जिसके तहत अब तक पीएफआई के 28 सदस्यों को गिरफ्तार किया जा चुका है.

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ईडी ने पीएफआई से जुड़े ट्रस्टों की 67.03 करोड़ रुपये की संपत्ति अस्थायी रूप से जब्त की. (Photo: ITG/GFX)
ईडी ने पीएफआई से जुड़े ट्रस्टों की 67.03 करोड़ रुपये की संपत्ति अस्थायी रूप से जब्त की. (Photo: ITG/GFX)

ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के स्वामित्व और नियंत्रण वाली आठ और अचल संपत्तियों को अस्थायी तौर पर कुर्क किया है. इन संपत्तियों का मार्केट वैल्यू 67.03 करोड़ रुपये आंका गया है, जो पीएफआई से जुड़े विभिन्न ट्रस्टों और उसके राजनीतिक मोर्चे, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) के नाम पर रजिस्टर थीं.

केंद्रीय एजेंसी ने एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) द्वारा दर्ज एफआईआर के साथ-साथ संगठन के खिलाफ अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों (Law Enforcement Agencies) द्वारा दर्ज विभिन्न एफआईआर के आधार पर पीएमएलए, 2002 के तहत पीएफआई और अन्य के खिलाफ जांच शुरू की थी. अधिकारियों के अनुसार, जांच में पता चला है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के पदाधिकारी, सदस्य और कैडर कथित तौर पर देश भर में आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने की साजिश रच रहे थे और फंडिंग के लिए बैंकिंग चैनलों, हवाला, डोनेशन आदि के माध्यम से भारत और विदेशों से धन जुटाने थे.

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इसी जांच में पता चला था कि सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया, पीएफआई का ही राजनीतिक मोर्चा है. पीएफआई ही एसडीपीआई की गतिविधियों को नियंत्रित और वित्तपोषित करता था. फेडरल एजेंसी की जांच में पता चला कि एसडीपीआई अपने दैनिक कार्यों, नीति निर्माण, चुनाव के लिए उम्मीदवारों के चयन, सार्वजनिक कार्यक्रमों, कैडर जुटाने और अन्य संबंधित गतिविधियों के लिए मुख्य रूप से पीएफआई पर निर्भर थी. एसडीपीआई के लिए और उसकी ओर से पीएफआई द्वारा किए गए खर्चों का लेखा-जोखा गुप्त रूप से डायरियों में मेंटेन किया जाता था. पीएफआई के बैंक खातों में इन खर्चों को नहीं दर्शाया गया था.

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खाड़ी देशों से होती थी फंडिंग

पीएफआई और एसडीपीआई द्वारा विदेशों से, मुख्यतः खाड़ी देशों से और स्थानीय स्तर पर भी राहत और सामाजिक गतिविधियों के नाम पर बड़े पैमाने पर फंडिंग जुटाई गई. इन पैसों का उपयोग भारत में हिंसक और आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने तथा कथित रूप से धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को खतरे में डालने के उद्देश्य से आपराधिक षड्यंत्र रचने के लिए किया जा रहा था. ईडी ने अपनी जांच में पीएफआई द्वारा अपराध से प्राप्त आय के तहत 131 करोड़ रुपये जुटाने का आरोप लगाया है. अब तक, पीएफआई के 28 नेताओं, सदस्यों और कार्यकर्ताओं को ईडी द्वारा गिरफ्तार किया जा चुका है, और इस संबंध में अदालतों के समक्ष कई शिकायतें दायर की गई हैं.

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जांच के दौरान, ईडी ने पीएफआई के स्वामित्व और नियंत्रण वाली कई संपत्तियों की पहचान की. यह भी पता चला कि पीएफआई के कर्ताधर्ता स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) के पूर्व सदस्य थे. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आतंकी गतिविधियों में संलिप्त होने के चलते इस संगठन को 2001 में प्रतिबंधित कर दिया था. इससे पहले, ईडी ने पीएफआई से जुड़े परिसरों में रेड के दौरान कई लिखित और डिजिटल रिकॉर्ड जब्त किए थे. इनकी जांच में पीएफआई, उससे जुड़े ट्रस्टों और इसके राजनीतिक मोर्चे एसडीपीआई की कई अचल संपत्तियों के बारे में ईडी को पता लगा था.

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कई संपत्तियां पीएफआई से जुड़े लोगों के नाम पर रजिस्टर्ड पाई गईं. जब्त किए गए दस्तावेजों और डिजिटल रिकॉर्ड से यह भी पता चला कि पीएफआई ने विभिन्न संपत्तियों पर शेड बनाए थे, इनमें फिजिकल ट्रेनिंग आयोजित किए थे. ईडी ने अपनी जांच रिपोर्ट में बताया है कि पीएफआई अपने कैडर को हथियार चलाने और ​सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग देता था. इसके लिए प्रतिबंधित संगठन ने डमी मालिकों के नाम पर संपत्तियां रजिस्टर कराईं और इन्हीं में ट्रेनिंग आयोजित कर रहा था.

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