दिल्ली के उप राज्यपाल वीके सक्सेना ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक पत्र लिखा है. उन्होंने दिल्ली सरकार के वित्त से संबंधित नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की 5 रिपोर्ट दिल्ली विधानसभा में तत्काल जमा करने पर जोर दिया है. दरअसल, 2021-2022 के वित्त खातों और विनियोग खातों और ऑडिट प्रमाणपत्रों के साथ ये रिपोर्ट अगस्त 2023 से लंबित हैं.
पत्र में एलजी ने ज्यादा देर होने पर चिंता जाहिर की है. उन्होंने जीएनसीटीडी अधिनियम, 1991 की धारा 48 में मेंशन संवैधानिक जरूरत पर जोर डाला है. यह सरकार को CAG रिपोर्ट उपराज्यपाल को पेश करने का आदेश देती है. जो फिर बाद में विधान सभा में पेश की जाएगी.
किन मामलों से संबंधित हैं रिपोर्ट्स
हालात की गंभीरता को बताते हुए एलजी ने भारतीय संविधान के आर्टिकल 151 का हवाला दिया. यह एलजी को CAG रिपोर्ट विधानमंडल में पेश करने के लिए बाध्य करता है. एलजी के मुताबिक ये रिपोर्ट महत्वपूर्ण राज्य वित्त मामलों से संबंधित हैं. इसमें राज्य के वित्तीय प्रदर्शन का ऑडिट, गाड़ियों के वायु प्रदूषण शमन उपायों की दक्षता और प्रभाविकता और बच्चों की देखभाल और सुरक्षा शामिल है.
रणनीति तैयार करने के लिए अहम दस्तावेज
एलजी ने कहा है कि CAG की रिपोर्ट जनता के सामने सरकार के वित्तीय प्रदर्शन का ऑब्जेक्टिव व्यू प्रस्तुत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. इसलिए यह सुधारात्मक उपायों और रणनीतियों को तैयार करने के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है. इसके अलावा ये रिपोर्टें जनता को सरकार के राजस्व और सार्वजनिक धन के व्यय का निष्पक्ष अवलोकन प्रदान करके पारदर्शिता को प्रोत्साहित करती हैं.
विधानसभा के समक्ष रखने का किया आग्रह
एलजी ने विधानसभा के जारी बजट सत्र के दौरान लंबित रिपोर्ट्स पर त्वरित कार्रवाई करने की बात कही. उन्होंने सीएम केजरीवाल से वित्त मंत्री को इन महत्वपूर्ण रिपोर्ट्स की प्रक्रिया में तेजी लाने और उन्हें मौजूदा सत्र में विधानसभा के समक्ष रखने की सलाह देने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि इस महत्वपूर्ण कदम से पारदर्शिता, जवाबदेही और सुशासन को बढ़ावा मिलेगा. इससे दिल्ली सरकार को अपने नागरिकों को बेहतर सेवा देने और भविष्य में वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी.