scorecardresearch
 

NCERT की किताब से हटे मुगलों का महिमामंडन, याचिका पर सुनवाई से HC का इनकार, कहा- वक्त बर्बाद न करें

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को उस जनहित याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया जिसमें एनसीईआरटी को अपनी कक्षा 12 की इतिहास की टेक्स्ट बुक से उन हिस्सों के हटाने की मांग की गई थी, जिसमें बताया गया है कि शाहजहां और औरंगजेब ने अपने शासनकाल में मंदिरों की मरम्मत के लिए दान दिया था. 

Advertisement
X
Delhi High Court
Delhi High Court
स्टोरी हाइलाइट्स
  • NCERT की किताब के खिलाफ जनहित याचिका
  • NCERT की किताब से हटे मुगलों का महिमामंडन

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को उस जनहित याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया जिसमें एनसीईआरटी को अपनी कक्षा 12 की इतिहास की टेक्स्ट बुक से उन हिस्सों के हटाने की मांग की गई थी, जिसमें बताया गया है कि शाहजहाँ और औरंगजेब ने अपने शासनकाल में मंदिरों की मरम्मत के लिए दान दिया था. 

मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने कहा कि खुद के "मेहनती और ईमानदार छात्र" होने का दावा करने वाले याचिकाकर्ता चाहते हैं कि अदालत उनके तरीके से मुगल शासकों की नीतियों की समीक्षा करे. आप कह रहे हैं कि आपको समस्या है कि शाहजहां और औरंगजेब की मंदिर मरम्मत आदि के लिए अनुदान देने के लिए ऐसी कोई नीति नहीं थी? ...आप चाहते हैं कि हम शाहजहां और औरंगजेब की नीतियों के बारे में निर्णय लें? हाई कोर्ट ये सब फैसला करेगा?”  

अदालत ने टिप्पणी की कि ये याचिका न्यायिक समय बर्बाद कर रही है और बाद में याचिकाकर्ता को बिना शर्त याचिका वापस लेने को भी कहा. याचिकाकर्ता संजीव विकल और दपिंदर सिंह विर्क ने दावा किया है कि एनसीईआरटी के पास छात्रों को सिखाई जा रही सामग्री के संबंध में कोई रिकॉर्ड या जानकारी नहीं है और मुगलों के कृत्यों को गलत तरीके से पेश किया गया है. याचिका में कहा गया है, "भारतीय इतिहास में विषय-वस्तु भाग 2' पाठ्यपुस्तक के पैरा 2 से पृष्ठ 234 को बिना किसी वैध स्रोत के प्रकाशित किया गया था और इसे केवल मुगल सम्राट शाहजहां और औरंगजेब के शासनकाल को महिमामंडित करने के लिए डाला गया था."

Advertisement

कोर्ट ने कहा- यह सर्वविदित तथ्य है कि अधिकांश मुगल सम्राटों ने हिंदू धर्म के लोगों से धार्मिक समारोह और तीर्थ यात्राओं के प्रदर्शन पर भारी कर वसूला था. यह कोई नई बात नहीं है कि मुगल बादशाहों ने भी गैर-मुस्लिम लोगों को इस्लामिक धर्म अपनाने के लिए मजबूर किया था. याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि उन्होंने एनसीईआरटी के जन सूचना अधिकारी के समक्ष एक आरटीआई आवेदन भी दायर किया था, जिसमें कहा गया था कि उनकी फाइलों में "मुगलों के लिए एनसीईआरटी के निष्कर्ष के स्रोत" के संबंध में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं थी.

 

Advertisement
Advertisement