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अर्द्धसैनिक बलों के जवानों को भी मिलेगा पुरानी पेंशन योजना का लाभ... दिल्ली HC के फैसले का क्या होगा असर?

दिल्ली हाईकोर्ट ने अर्द्धसैनिक बलों के जवानों को पुरानी पेंशन योजना के तहत पेंशन का लाभ देने का आदेश दिया है. हाईकोर्ट ने 8 हफ्ते में केंद्र सरकार को जरूरी आदेश जारी करने को कहा है. हाईकोर्ट ने कहा कि अर्द्धसैनिक बल भी सशस्त्र बल हैं, इसलिए वो पुरानी पेंशन योजना के दायरे में आते हैं.

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अर्द्धसैनिक बलों में BSF, CISF, CRPF, AR, SSB और ITBP के जवान आते हैं. (फाइल फोटो-PTI)
अर्द्धसैनिक बलों में BSF, CISF, CRPF, AR, SSB और ITBP के जवान आते हैं. (फाइल फोटो-PTI)

दिल्ली हाईकोर्ट ने पुरानी पेंशन योजना को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने कहा कि केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स यानी अर्द्धसैनिक बलों के जवान भी पुरानी पेंशन योजना के दायरे में आएंगे. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने आठ हफ्ते में केंद्र सरकार को जरूरी आदेश जारी करने को कहा है. 

इसके साथ ही अदालत ने वित्त मंत्रालय के 2003 के नोटिफिकेशन और पेंशन और पेंशनर्स विभाग के 2020 के उस ऑफिस ऑफ मेमोरेंडम को रद्द कर दिया, जो 2004 के बाद अर्द्धसैनिक बलों में भर्ती हुए जवानों को पुरानी पेंशन स्कीम के दायरे से बाहर करता था.

दिल्ली हाईकोर्ट ने ये फैसला उन 82 याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कहा, जिसमें 2003 के नोटिफिकेशन और 2020 के ऑफिस ऑफ मेमोरेंडम को निरस्त करने की मांग की गई थी.

हाईकोर्ट ने क्या दिया आदेश?

दिल्ली हाईकोर्ट की जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की बेंच ने ये आदेश दिया है. बेंच ने कहा कि 22 दिसंबर 2003 का नोटिफिकेशन और 17 फरवरी 2020 का ऑफिस ऑफ मेमोरेंडम अर्द्धसैनिक बलों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ देता है. 

हाईकोर्ट ने कहा, 22 दिसंबर 2003 को जो नोटिफिकेशन जारी किया गया था, उसमें लिखा था कि 1 जनवरी 2004 के बाद केंद्र सरकार की भर्तियों में नई पेंशन योजना लागू होगी, लेकिन इससे सशस्त्र बलों को बाहर रखा गया था. 

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अदालत ने कहा, इसका मतलब हुआ कि सशस्त्र बलों पर नई पेंशन योजना लागू नहीं होगी और उन्हें पुरानी पेंशन योजना के तहत ही पेंशन का लाभ मिलेगा. इसके अलावा 6 अगस्त 2004 को गृह मंत्रालय ने अर्द्धसैनिक बलों को सशस्त्र बल घोषित किया था. लिहाजा उन्हें पुरानी पेंशन योजना के तहत ही पेंशन का लाभ दिया जाए.

जस्टिस कैत और जस्टिस कृष्णा की बेंच ने कहा कि इसलिए 22 दिसंबर 2003 के नोटिफिकेशन और 17 फरवरी 2020 के नोटिफिकेशन को सही तरीके से लागू करने की जरूरत है. अदालत ने आठ हफ्ते के भीतर जरूर आदेश जारी करने को कहा है.

इससे कितने जवानों को फायदा मिलेगा?

अर्द्धसैनिक बलों में 6 सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF), सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी फोर्स (CISF), बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF), सशस्त्र सीमा बल (SSB) और इंडो तिब्बतन बॉर्डर पुलिस (ITBP) आती है. म्यांमार बॉर्डर पर असम राइफल्स तैनात हैं, जिसका प्रशासनिक नियंत्रण भी केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास है.

गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, 31 दिसंबर 2021 तक अर्द्धसैनिक बलों में 9.29 लाख से ज्यादा जवान थे. इनमें से ज्यादातर वो जवान थे जो 1 जनवरी 2004 के बाद अर्द्धसैनिक बलों में भर्ती हुए थे.

हाईकोर्ट में याचिकाकर्ताओं ने क्या कहा?

1 जनवरी 2004 के बाद केंद्र सरकार के विभागों और मंत्रालयों में भर्ती होने वाले लोग नई पेंशन योजना के दायरे में आते हैं. हालांकि, इससे थल सेना, नौसेना और वायुसेना के जवानों को बाहर रखा गया है. 

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दिल्ली हाईकोर्ट में 82 याचिकाएं दायर हुई थीं और इसमें कहा था कि अर्द्धसैनिक बल भी सशस्त्र बल हैं, इसलिए उन्हें भी पुरानी पेंशन योजना के दायरे में लाया जाए.

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए एडवोकेट अंकुर छिब्बर ने अदालत में कहा कि जून 2002 में BSF, CRPF, ITBP और SSB में ग्रुप A के लिए भर्ती निकाली गई. 30 जून 2002 तक एग्जाम के लिए अप्लाई करना था और इसका रिजल्ट जुलाई 2004 में घोषित किया गया.

उन्होंने कहा कि अक्टूबर 2004 से 2005 के बीच ये भर्तियां हुईं. इस बीच 22 दिसंबर 2003 के नोटिफिकेशन के तहत 1 जनवरी 2004 से नई पेंशन योजना लागू कर दी गई. लेकिन ये सशस्त्र बलों पर लागू नहीं होती क्योंकि ये पुरानी पेंशन योजना के दायरे में आते हैं.

केंद्र का क्या कहना था?

दिल्ली हाईकोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए एडवोकेट हरीश विद्यानाथन शंकर ने कहा कि याचिकाकर्ता 2004 और 2005 में भर्ती हुए थे और दिसंबर 2003 के वित्त मंत्रालय के नोटिफिकेशन के मुताबिक सशस्त्र बलों को छोड़कर केंद्र में नई भर्तियां नई पेंशन योजना के दायरे में आएंगी.

केंद्र ने दलील दी कि याचिकाकर्ताओं ने 2003 के नोटिफिकेशन के बाद ज्वॉइन किया था, इसलिए वो सीसीएस (पेंशन) रूल्स, 1972 के तहत पुरानी पेंशन योजना के दायरे में नहीं आते हैं.

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क्या है पेंशन योजना का विवाद?

पुरानी पेंशन योजना को अक्सर नई पेंशन योजना से ज्यादा फायदेमंद बताया जाता है. उसकी वजह ये है कि पुरानी पेंशन योजना के तहत पेंशनर्स को रिटायरमेंट के वक्त सैलरी का 50% हिस्सा पेंशन के रूप में मिलता है. 

पुरानी पेंशन का फायदा ये है कि इसके लिए कर्मचारी की सैलरी से कोई रकम नहीं कटती है. इसके साथ ही महंगाई भत्ता भी मिलता रहता है. इतना ही नहीं, रिटायरमेंट के बाद 20 लाख रुपये तक की ग्रेच्युटी भी मिलती है. 

जबकि, नई पेंशन योजना में कर्मचारी की बेसिक सैलरी और डीए का 10 फीसदी हिस्सा कटता है. ये पैसा एनपीएस फंड में जमा होता है. रिटायरमेंट के बाद पेंशन पाने के लिए एनपीएस फंड का 40 फीसदी निवेश करना होता है. ये शेयर मार्केट पर आधारित है, इसलिए इसे उतना ज्यादा सुरक्षित नहीं माना जाता.

 

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