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दिल्ली: फर्जी फार्मा कंपनियों की आड़ में हो रही थी ड्रग तस्करी, पाकिस्तान से जुड़े सिंडिकेट के तार

दिल्ली पुलिस कोकीन तस्करी के मामले में चार्जशीट दायर कर दी है. चार्जशीट में पुलिस में खुलासा किया कि 15,000 करोड़ रुपये की ड्रग्स जब्ती के तार पाकिस्तान से जुड़े हुए हैं. पुलिस ने बताया कि तस्करों ने फार्मा कंपनियों के नाम पर फर्जी वेबसाइटें और पहचान बनाकर कोकीन की खेप को केमिकल्स पदार्थों  के रूप में छिपाकर मंगवाई थी.

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सांकेतिक फोटो.
सांकेतिक फोटो.

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने पिछले साल की सबसे बड़ी कोकीन तस्करी के मामले में चार्जशीट दायर की है, जिसमें एक सनसनीखेज खुलासा हुआ है. 15,000 करोड़ रुपये की ड्रग्स जब्ती के तार सीधे पाकिस्तान से जुड़े पाए गए हैं. पुलिस को इंटरनेशनल ड्रग सिंडिकेट की जांच में पता चला है कि तस्करों ने फर्जी फार्मा कंपनियों की आड़ में कोकीन की तस्करी की और उनके द्वारा इस्तेमाल किए गए ईमेल और विदेशी सर्वर के लॉग-इन पाकिस्तान के लाहौर, सियालकोट और मियांवाली जैसे शहरों से ट्रेस किए गए.

दिल्ली पुलिस के मुताबिक, ये ड्रग सिंडिकेट पूरी तरह से पेशेवर तरीके से ऑपरेट हो रहा था. तस्करों ने फार्मा कंपनियों के नाम पर फर्जी वेबसाइटें और पहचान बनाकर कोकीन की खेप को केमिकल्स पदार्थों  के रूप में छिपाकर मंगवाई थी.

विशेष ईमेल का इस्तेमाल कर रहे थे तस्कर

जांच में ये भी पता चला कि इस रैकेट के लिए एक विशेष ईमेल आईडी (saadtrikeyemail.com) का इस्तेमाल किया गया, जिसके जरिए फर्जी फार्मा फर्म का परिचय भेजा गया था. गूगल से प्राप्त डेटा ने इस ईमेल के पाकिस्तान से संचालित होने की पुष्टि की, जिसमें पहली बार लॉग-इन 6 और 12 सितंबर 2024 को लाहौर से हुआ था. 

इसके अलावा अप्रैल और मई 2024 में सियालकोट और मियांवाली से भी लॉग-इन दर्ज किए गए. मलेशिया और पोलैंड से भी कुछ लॉग्स मिले जो इस नेटवर्क की दुनिया में पहुंच को दिखाते हैं.

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तीन मुख्य आरोपी

पुलिस ने इस इंटरनेशनल ड्रग सिडिकेट का पर्दाफाश करते हुए तीन मुख्य आरोपियों की पहचान की है. पहले आरोपी की पहचान राणा तरनदीप सिंह के रूप में हुई है जो फर्जी नाम से 'फार्मा सॉल्यूशन सर्विसेज' का मालिक. दूसरे आरोपी की पहचान संदीप ढिल्लो के रूप में हुई है जो रैकेट का अहम सदस्य बताया जा रहा है. तीसरे आरोपी की पहचान वीरेंद्र बैसोया के रूप में हुई है जो दुबई बेस्ड कारोबारी है और वीरेंद्र तो इस सिंडिकेट का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है.

पुलिस ने बताया कि इन तीनों ने मिलकर एक संगठित गिरोह बनाया जो नकली फार्मा फर्म्स के जरिए कोकीन की सप्लाई करता था.

कैसे मिला पुलिस को सुराग

पुलिस को एक ईमेल आईडी की जांच से इस पूरे रैकेट का पता चला. ये ईमेल आईडी (saadtrikeyemail.com) के जरिए एक फार्मा फर्म का परिचय भेजा गया था, जिसके बाद गूगल से मिले डाटा में यह ईमेल पाकिस्तान से चलता हुआ पाया गया. 

फरार आरोपी विदेश भाग गए

राणा और बैसोया 2024 की शुरुआत में ही देश छोड़कर विदेश भाग गए थे. सूत्रों के मुताबिक, ये दोनों 2024 की शुरुआत में देश छोड़कर फरार हो गए और वर्तमान में यूके में छिपे हो सकते हैं. जानकारी के मुताबिक, ये लोग थाईलैंड होते हुए पनामा पहुंच गए. पुलिस इंटरपोल के जरिए फरार आरोपियों की तलाश कर रही है.

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पुलिस के मुताबिक, इन लोगों ने मुंबई के अंधेरी इलाके में फर्जी डॉक्यूमेंट्स पर फर्में बनवाईं और ड्रग्स को केमिकल्स नाम पर मंगवाया था.

1,300 किलो कोकीन बरामद

पुलिस ने बताया कि पिछले साल अक्टूबर में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने दो महीने चले ऑपरेशन के बाद 1,300 किलो कोकीन बरामद की थी, जिसकी इंटरनेशनल कीमत करीब ₹15,000 करोड़ आंकी गई है. 

  • 1 अक्टूबर 2024: 562 किलो कोकीन, महरौली, साउथ दिल्ली से जब्त
  • 10 अक्टूबर: 208 किलो कोकीन, रमेश नगर, वेस्ट दिल्ली से जब्त
  • 13 अक्टूबर: 518 किलो कोकीन, अंकलेश्वर, गुजरात से जब्त

पुलिस ने बताया कि इस केस में अब तक 14 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, लेकिन मुख्य आरोपी राणा तरनदीप सिंह और वीरेंद्र बैसोया फरार हैं. पुलिस को शक है कि इन्होंने नकली पहचान बनाकर देश छोड़ दिया और अब नाम बदलकर विदेश में रह रहे हैं.

मनी ट्रेल खंगाल रही है पुलिस

जांच में पता चला कि इन लोगों ने फार्मा कंपनियों की आड़ में ड्रग्स की तस्करी का जाल बिछाया था. कुछ फर्म्स ने जांच के दौरान खुद को निर्दोष साबित करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस की फॉरेंसिक जांच और ईमेल रिकॉर्ड्स ने इनका झूठ पकड़ लिया.

पुलिस ने ये भी बताया कि NCB और ED भी इस केस की अलग-अलग एंगल से जांच कर रहे हैं. साथ ही ईमेल और बैंक रिकॉर्ड्स की मदद से इंटरनेशनल लिंक और मनी ट्रेल खंगाला जा रहा है.

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