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Drone Festival: आपदा में काम आएंगे ड्रोन, भारतीय सेना को करेंगे मजबूत, 2030 तक देश बनेगा ड्रोन का हब

दिल्ली के प्रगति मैदान में लगे दो दिन के इस महोत्सव में 70 से ज्यादा ड्रोन प्रदर्शित किए जा रहे हैं, जो अलग-अलग काम करते हैं. इस समय देश में करीब 270 कंपनियां ड्रोन बना रही हैं.

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महोत्सव में प्रदर्शित किया गया ड्रोन
महोत्सव में प्रदर्शित किया गया ड्रोन
स्टोरी हाइलाइट्स
  • दिल्ली में दो दिवसीय ड्रोन महोत्सव
  • देश में फिलहाल 270 ड्रोन कंपनी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के प्रगति मैदान में देश के सबसे बड़े ड्रोन महोत्सव का उद्घाटन किया. इस दौरान उन्होंने जियो प्लेटफॉर्म्स के Asteria Aerospace का एक ड्रोन भी उड़ाया. पीएम मोदी ने ड्रोन उड़ाकर संदेश दिया कि भारत ड्रोन के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है. इसके साथ ही पीएम मोदी ने कहा कि भारत 2030 तक ड्रोन का हब बन जाएगा.

दो दिन के महोत्सव में 70 से ज्यादा ड्रोन 

दिल्ली के प्रगति मैदान में लगे दो दिन के इस महोत्सव में 70 से ज्यादा ड्रोन प्रदर्शित किए जा रहे हैं, जो अलग-अलग काम करते हैं. माना जाता है ड्रोन का इस्तेमाल केवल डिफेंस के लिए होगा, लेकिन ऐसा नहीं है. भारत एक ऐसे देश के तौर पर उभर रहा है जहां हर क्षेत्र में ड्रोन का इस्तेमाल होगा. इसकी मदद से किसान अपने खेतों में दवाई भी छिड़केंगे और खाद भी डाल सकेंगे. इसके लिए अपने खेतों तक जाने की ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी. 

फाइल फोटो

आपदा में भी काम आएंगे ड्रोन 

आपदा प्रबंधन के लिए एक खास ड्रोन तैयार किया गया है. इसकी मदद से जरूरत का कोई भी सामान, चाहे वो वैक्सीन हो, दवाइयां हों या फिर खाने पीने का चीजें, सबको बड़ी ही आसानी से एक साथ कई ड्रोन उड़ाकर कई लोगों तक पहुंचाया जा सकेगा. विक्रम सिंह ने बताया कि हाइब्रिड ड्रोन बिना रनवे के हेलिकॉप्टर की तरह उड़ते हैं और पार्सल डिलिवरी करते हैं. आने वाले समय में लोग बैटरी पावर्ड ड्रोन से 100 से 200 किमी की दूरी का सफर भी करेंगे. इससे सड़क पर लगने वाले जाम से छुटकारा मिलेगा. इसके अलावा डिफेंस के लिए अलग से विशेष ड्रोन तैयार किए गए हैं. ये ड्रोन बाकी ड्रोन के मुकाबले कुछ बड़े हैं और हमला करने में सक्षम बनाए गए हैं.

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डिफेंस में इस्तेमाल होने वाले बड़े ड्रोन 

सेना ने केवल हमले करने वाले ड्रोन ही नहीं बनाए, बल्कि ऐसे भी बनाए हैं, जो दुश्मन के ड्रोन हमले को भी नाकाम कर सकते हैं. रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में जो भी युद्ध होगा, उसमें कई तरह के ड्रोन इस्तेमाल होंगे, जिसमें दुश्मन की निगरानी से लेकर उन पर हमला करना और हमले रोकना, सब शामिल होगा. ऐसे में भारतीय सेना को इस क्षेत्र में भी मजबूत होना होगा. 

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देश में ड्रोन की 270 ड्रोन कंपनी 

देश में फिलहाल ड्रोन की 270 ड्रोन कंपनियां चल रही हैं. साल 2026 तक ड्रोन इंडस्ट्री के 15,000 करोड़ रुपए के टर्न ओवर का अनुमान लगाया जा रहा है. माना जा रहा है कि अगले 5 साल में ड्रोन  इंडस्ट्री 5 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार दे सकती है. 

भारत में ड्रोन की श्रेणियां 

भारत में डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन ने ड्रोन की 5 श्रेणियां बनाई हुई हैं. जो वजन के हिसाब से तय होती हैं.
नैनो(250 ग्राम), माइक्रो (250 ग्राम से 2 किलो तक), स्मॉल(2 किलो से 25 किलो तक), मीडियम (25 किलो से 150 किलो तक) और लार्ज (150 किलो से ज़्यादा). 250 ग्राम वाले ड्रोन को छोड़कर बाकी सभी ड्रोन को अलग पहचान देने वाला नंबर हासिल करना होता है. ये नंबर ड्रोन पर लिखा होना चाहिए. 

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ड्रोन का इतिहास 

आज के दौर में इस्तेमाल होने वाले ड्रोन को बनाने का श्रेय इराकी मूल के अमेरिकी इंजीनियर अब्राहम करीम को जाता है. उन्हें ड्रोन टेक्नोलॉजी का पितामह भी कहा जाता है. अब्राहम करीम ने पहला ड्रोन 1973 में इज़राइली सेना के लिए बनाया था. फोर्ब्स की रिपोर्ट के अनुसार 84 साल के अब्राहम करीम कुछ वर्षों से उड़ने वाली कार की टेक्नोलॉजी पर काम कर रहे हैं. ड्रोन का इस्तेमाल उन जगहों पर करते हैं जहां इंसान आसानी से नहीं पहुंच सकता. इसीलिए इसे UAV यानी Unmanned Aerial Vehicle भी कहते हैं.
 

 

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