पीओके के रावलकोट के खाई गाला में 18 अप्रैल को एक रैली में लश्कर-ए-ताइबा (LeT) के कमांडर अबू मूसा ने कश्मीर में हिंसा और जिहाद का खुला आह्वान किया था. यह रैली भारतीय सेनाओं द्वारा मारे गए दो LeT आतंकवादियों, आकिफ हलीम और अब्दुल वहाब, की याद में की गई थी. इस रैली में कई आतंकी नेताओं की मौजूदगी देखी गई. यह आयोजन पहलगाम में हुए भयानक नरसंहार से महज कुछ दिन पहले हुआ था. बता दें कि पहलगाम में मंगलवार को हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की जान चली गई है.
'युद्ध का मैदान मुजाहिदीन का है, आजमा लो'
जम्मू कश्मीर यूनाइटेड मूवमेंट (JKUM) का नेतृत्व करने वाले अबू मूसा ने रैली में Article 370 और 35A को खत्म करने और कश्मीर की जनसांख्यिकी बदलने की भारत की कथित कोशिशों का हवाला देते हुए घाटी में हमलों की बात कही. भारतीय खुफिया एजेंसियों द्वारा सत्यापित एक वायरल वीडियो में मूसा ने कहा, "भारत ने Article 370 और 35A हटाकर जनसांख्यिकी बदलने की कोशिश की. तुमने 10 लाख सैनिक तैनात किए. तुम पुलवामा, पुंछ, राजौरी में 'राम राम' की गूंज चाहते थे. लश्कर-ए-ताइबा तुम्हारी चुनौती स्वीकार करता है. मोदी, तुमने अपने बंद कोर्टरूम में आदेश पारित किए, लेकिन युद्ध का मैदान मुजाहिदीन का है. आजमाकर देखो, इंशाल्लाह, हम गोलियों की बौछार करेंगे, तुम्हारी गर्दनें काटेंगे और अपने शहीदों के शहादत का बदला लेंगे."
मूसा का भड़काऊ भाषण और उसकी टाइमिंग
मूसा के हिंसा भड़काने वाले बयान की टाइमिंग पर ध्यान देना जरूरी है, क्योंकि यह बयान पहलगाम में हुए नरसंहार से ठीक पहले आया था. मंगलवार को जो आतंकी हमला हुआ, वह हाल वर्षों में कश्मीर में पर्यटकों पर हुए सबसे घातक आतंकी हमलों में से एक है. 18 अप्रैल का यह आयोजन "श्रद्धांजलि सम्मेलन" के रूप में आयोजित किया गया था, जो ऑपरेशन ऑल-आउट के तहत भारतीय सेनाओं द्वारा मारे गए दो आतंकियों - आकिफ हलीम और अब्दुल वहाब - की याद में था. हलीम को 17 मार्च को कुपवाड़ा में राष्ट्रीय राइफल्स की 21वीं बटालियन ने मार गिराया था, जबकि लश्कर और इसके छद्म संगठन पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट (PAFF) से जुड़े वहाब को 24 अप्रैल 2024 को सोपोर में एक मुठभेड़ में ढेर किया गया था. दोनों आतंकी PoK के एक ही परिवार से थे.
पाकिस्तानी अफसरों से मिला समर्थन!
आवामी एक्शन कमेटी ने सार्वजनिक रूप से आश्वासन दिया था कि इस आयोजन में कोई आतंकी संगठन शामिल नहीं होगा, लेकिन रैली लश्कर-ए-ताइबा के समर्थकों के लिए ताकत प्रदर्शन का मौका बन गई. खुफिया सूत्रों के अनुसार, मंच पर कई सक्रिय LeT आतंकी मौजूद थे, जो खुले तौर पर अपने "शहीदों" की मौत का बदला लेने और हमलों की धमकी दे रहे थे. खाई गाला की रैली को पाकिस्तानी अधिकारियों से रसद और जमीनी सुरक्षा सहायता मिलने के संकेत मिले हैं.
अबू मूसा की भड़काऊ बयानबाजी और भारत विरोधी हिंसा के खुले महिमामंडन ने गर्मियों के मौसम से पहले घुसपैठ की कोशिशों को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं, जब कुपवाड़ा, पुंछ और राजौरी के पारंपरिक घुसपैठ मार्ग अधिक सुलभ हो जाते हैं.