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ऑनलाइन ट्रेडिंग घोटालों में करोड़ों का फ्रॉड, साइबराबाद में देश के सबसे बड़े गिरोह का भंडाफोड़

साइबराबाद पुलिस ने 400 से ज्यादा ऑनलाइन ट्रेडिंग फ्रॉड से जुड़े देश के सबसे बड़े ‘म्यूल अकाउंट माफिया’ का पर्दाफाश कर 6 आरोपियों को पकड़ा. ₹1.09 करोड़ के नुकसान की पुष्टि हुई. दूसरी कार्रवाई में हैदराबाद पुलिस ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ ठगी में तीन लोगों को गिरफ़्तार किया है.

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400 से ज्यादा ट्रेडिंग फ्रॉड का खुलासा (File Photo: ITG)
400 से ज्यादा ट्रेडिंग फ्रॉड का खुलासा (File Photo: ITG)

साइबराबाद साइबर क्राइम पुलिस ने देश के सबसे बड़े 'म्यूल अकाउंट माफिया' को पकड़ा है, जिसमें 6 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है. यह सिंडिकेट 400 से ज्यादा ऑनलाइन ट्रेडिंग घोटालों से जुड़ा हुआ था और ₹1.09 करोड़ के नुकसान का पता चला है. साइबराबाद पुलिस ने इसे साइबर धोखेबाजों को सपोर्ट करने वाली 'पैन-इंडिया वित्तीय शोधन पाइपलाइन' बताया है. इन आरोपियों ने फर्जी निवेश प्लेटफॉर्म को सप्लाई के लिए सिम कार्ड, बैंक खाते और पहचान से जुड़ी वित्तीय संपत्तियां उपलब्ध कराईं.

साइबर अपराधियों ने ट्रेडिंग डैशबोर्ड में फर्जी मुनाफा दिखाकर निवेशकों के पैसे को म्यूल खातों की कई परतों के जरिए निकाल लिया. जांचकर्ताओं ने वेनिगल्ला श्रीनिवास राव और चित्ता गणेश को मास्टरमाइंड के रूप में पहचाना है, जिन्होंने बड़ी मात्रा में बैंक खाते और सिम जुटाए. उनके सहयोगी, नवीन रेड्डी ने खाता धारकों के लिए केवाईसी और दस्तावेजीकरण का काम संभाला.

अवैध रूप से जुटाए गए इन अकाउंट्स को बाद में सथूरी राजेश को बेचा गया, जिसने कथित तौर पर प्रति खाता ₹10,000 और उनके जरिए से रूटे किए गए प्रति करोड़ पर ₹1 लाख कमाए. राजेश ने इन संपत्तियों को सुधीर और मोहम्मद अशरफ को दिया, जिन्होंने कमीशन एजेंट के रूप में काम किया. अशरफ ने टेलीग्राम आईडी “Sybo_Pay” के जरिए अकाउंट्स की डीटेल्स आगे बढ़ाया, जो तेलंगाना से परे एक संगठित आपूर्ति श्रृंखला की ओर इशारा करता है.

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400 से ज्यादा शिकायतें और बरामदगी...

इस कार्रवाई के दौरान, डिजिटल फोरेंसिक में 60 चेक पत्तियां, 11 सिम कार्ड और 7 मोबाइल फोन बरामद किए गए. इन सबूतों ने गिरफ्तार पुरुषों को देशव्यापी 400 से ज्यादा साइबर धोखाधड़ी की शिकायतों से जोड़ा, जिसमें ₹1,09,50,000 के नुकसान की पुष्टि हुई है. पुलिस का मानना ​​है कि सिंडिकेट ने काफी ज्यादा तादाद में लेनदेन किया और कई अन्य आरोपी अभी भी फरार हैं.

डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड में ₹1.92 करोड़ की ठगी

वहीं, हैदराबाद साइबर क्राइम पुलिस ने एक और बड़ी सफलता हासिल की है. 'डिजिटल अरेस्ट' धोखाधड़ी में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिन्होंने 71 साल के हैदराबाद निवासी चागंती हनुमंथा राव को ₹1,92,50,070 का चूना लगाया. गिरफ्तार आरोपियों में पांडु विनीत राज, जी. तिरुपाथैया और गौनी विश्वनाथम शामिल हैं. एक मुख्य आरोपी, संदीप उर्फ एलेक्स (A1), अभी भी फरार है.

धोखेबाजों ने सीबीआई अधिकारियों का रूप धारण करके पीड़ित को फोन किया. उन्होंने दावा किया कि उनका आधार नंबर आपराधिक गतिविधियों में दुरुपयोग किया जा रहा है और उन्हें मुंबई में केनरा बैंक में एक नया खाता खोलने के लिए राजी किया. फिर, जालसाजों ने वीडियो कॉल पर बात की, जिसमें उन्हें फर्जी एटीएम कार्ड और दिल्ली क्राइम ब्रांच से एक जाली FIR दिखाई गई. गिरफ्तारी की धमकी और जबरदस्त दबाव में, पीड़ित ने 7 से 14 नवंबर, 2025 के बीच कई खातों में ₹1.92 करोड़ ट्रांसफर कर दिए.

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डिजिटल अरेस्ट की कार्यप्रणाली

जांच कर रहे अधिकारियों ने बताया कि इस गिरोह ने पुलिस, सीबीआई, ईडी, सीमा शुल्क अधिकारियों या न्यायाधीशों का रूप धारण किया. वे विश्वसनीयता बनाने के लिए स्पूफ किए गए नंबरों और स्टेज्ड वीडियो बैकग्राउंड का उपयोग करते थे. वे पीड़ितों पर धन शोधन या ड्रग तस्करी जैसे अपराधों का आरोप लगाते थे और डर बढ़ाने के लिए जाली कानूनी दस्तावेज भेजते थे. फिर वे पीड़ितों को लगातार ऑनलाइन रहने और खुद को अलग-थलग करने के लिए मजबूर करते थे और नाम साफ करने के बदले पैसे ऐंठते थे.

साइबराबाद और हैदराबाद दोनों जगह की पुलिस ने नागरिकों को 'डिजिटल अरेस्ट' नाम की किसी भी अवधारणा के झांसे में न आने की सलाह दी. अधिकारियों ने साफ किया कि भारतीय कानून के तहत कोई डिजिटल गिरफ्तारी नहीं होती है और कोई भी प्रवर्तन एजेंसी गिरफ्तारी या जांच रोकने के लिए पैसे की मांग नहीं करती. साइबरबाद पुलिस ने बैंक खातों, सिम कार्डों, एटीएम कार्डों या ओटीपी को किराए पर देने या साझा करने को एक आपराधिक अपराध बताया, क्योंकि ये म्यूल खाते साइबर धोखाधड़ी नेटवर्क की जीवनधारा हैं.

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साइबर धोखाधड़ी के शिकार नागरिक तुरंत 1930 पर कॉल कर सकते हैं या cybercrime.gov.in के जरिए रिपोर्ट कर सकते हैं. पुलिस ने अज्ञात नंबर से कॉल करने वालों के साथ पर्सनल डेटा या बैंक डीटेल्स साझा न करने की गुजारिश की है.

 
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