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बिजनौर पुलिस का डिजिटल वार, AI वीडियो से खोली इंस्टेंट लोन स्कैम की पोल, लोगों को किया जागरूक

बिजनौर पुलिस ने साइबर ठगी पर रोक लगाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का नया तरीका अपनाया है. पुलिस ने AI से तैयार किए गए वीडियो जारी किए हैं जिनमें इंस्टेंट लोन स्कैम की पूरी सच्चाई और ठगों के तरीकों को समझाया गया है. इन वीडियो के जरिए जनता को सतर्क रहने की सलाह दी जा रही है और सुरक्षित रहने के उपाय बताए गए हैं.

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AI वीडियो ने खोली Instant Loan Scam की परतें (Photo: Screengrab)
AI वीडियो ने खोली Instant Loan Scam की परतें (Photo: Screengrab)

तकनीक के बढ़ते दौर में जहां साइबर ठगी तेजी से बढ़ रही है, वहीं बिजनौर पुलिस ने भी डिजिटल मोर्चे पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली है. जिले में साइबर अपराध रोकने के लिए पुलिस ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का ऐसा उपयोग शुरू किया है, जिसकी चर्चा तेजी से हो रही है. पुलिस ने AI से तैयार वीडियो जारी कर जनता को आधुनिक साइबर फ्रॉड्स के प्रति जागरूक करना शुरू किया है.

पुलिस द्वारा बनाए गए इन वीडियो में खास तौर पर इंस्टेंट लोन स्कैम पर फोकस किया गया है. वीडियो के अनुसार, इंस्टेंट लोन का लालच आज साइबर ठगों का सबसे बड़ा हथियार बन चुका है. ठग सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर आकर्षक विज्ञापन भेजकर लोगों को आसान लोन का झांसा देते हैं. जैसे ही कोई व्यक्ति लिंक पर क्लिक करता है, ठग उससे आधार, पैन और मोबाइल नंबर जैसी निजी जानकारी ले लेते हैं.

AI से तैयार वीडियो के जरिए लोगों को किया जागरूक

वीडियो में बताया गया है कि साइबर ठग पहले प्रोसेसिंग फीस के नाम पर लोन राशि के लगभग 5 प्रतिशत तक की रकम मांगते हैं. इसके बाद लगातार अलग-अलग शुल्क के नाम पर पैसे जमा कराने का दबाव डालते हैं. जैसे ही पैसा उनके खाते में जाता है, ठग पीड़ित का नंबर ब्लॉक कर गायब हो जाते हैं.

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बिजनौर पुलिस ने वीडियो के माध्यम से लोगों को चेतावनी देते हुए कहा है कि किसी भी लोन के लिए अग्रिम फीस न दें और प्राइवेट खातों में पैसा न भेजें. लोन केवल आरबीआई से पंजीकृत बैंकों या एनबीएफसी से ही लेना चाहिए. पुलिस ने यह भी कहा है कि अज्ञात लिंक न खोलें और सोशल मीडिया पर दिखने वाले लोन विज्ञापनों से दूरी बनाए रखें.

साइबर फ्रॉड्स के प्रति जागरूकता अभियान

SP अभिषेक झा के अनुसार, AI आधारित यह जागरूकता अभियान आगे भी जारी रहेगा. आने वाले समय में साइबर अपराध के नए तरीकों पर भी इसी तरह के वीडियो जारी किए जाएंगे. पुलिस का मानना है कि तकनीक के इस उपयोग से अपराधियों पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनता है और जनता को एक नई सुरक्षा ढाल मिलती है.

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