दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी से जुड़े एक पुराने विवाद पर मामला फिर से उठ खड़ा हुआ है. आरोप यह है कि उन्होंने भारतीय नागरिकता हासिल करने से पहले ही कथित जालसाजी के जरिए अपना नाम मतदाता सूची में शामिल कराया था.
इसी मुद्दे को लेकर वकील विकास त्रिपाठी ने एक रिवीजन पिटीशन दाखिल की है, जिस पर 9 दिसंबर को सुनवाई होगी.
यह वही मामला है जिसे मजिस्ट्रेट कोर्ट ने सितंबर में खारिज कर दिया था. अब इसे चुनौती देते हुए फिर अदालत का दरवाजा खटखटाया गया है.
पिटीशन में कहा गया है कि सोनिया गांधी ने आधिकारिक तौर पर 30 अप्रैल 1983 को भारतीय नागरिकता ली, लेकिन उनका नाम 1980 की नई दिल्ली की वोटर लिस्ट में पहले से शामिल था.
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रिवीजन पिटीशन में यह भी सवाल उठाया गया कि उनका नाम 1982 में वोटर लिस्ट से हटाया क्यों गया. याचिका में दावा है कि अगर 1983 में नागरिकता मिली, तो 1980 में वोटर लिस्ट में नाम किस दस्तावेज़ के आधार पर जुड़ा. क्या यह किसी फर्जी कागज़ के सहारे किया गया?
इन्हीं सवालों की दोबारा न्यायिक जांच की मांग करते हुए यह मामला फिर से अदालत में पहुंचा है.