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चीन में तबाही मचाने वाले BF.7 कोरोना वेरिएंट से डरें या नहीं?: दिन भर, 21 दिसंबर

कोरोना वायरस के नए सब-वेरिएंट के बारे में अभी हम क्या जानते हैं और क्या वाकई हमें अभी डरने की ज़रूरत है? कौन हैं विश्वनाथ पाल, जिन्हें बसपा ने उत्तर प्रदेश में बड़ी ज़िम्मेदारी दी है? भारत में ड्रग्स का कारोबार क्यों तेज़ी से पांव पसार रहा है, इंडियन करेंसी में इंटरनेशनल ट्रेड की राह में क्या चुनौतियां हैं, सुनिए आज के 'दिन भर' में कुलदीप मिश्र से.

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covid scare
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आप चीन में कोरोना वायरस की वापसी और अस्पतालों की भीड़ की ख़बरें, तस्वीरें देख रहे होंगे. जिस वेरिएंट के ज़रिए कोरोना ने वहां वापसी की है, वो है ओमिक्रॉन का सब वेरिएंट बीएफ-7. अब भारत के गुजरात में भी इसी वेरिएंट का पहला केस आ चुका है.

पिछले एक हफ्ते में दुनिया में कोरोना के 36 लाख मामले सामने आए हैं और करीब 10 हजार लोगों की मौत हो गई है. चीन के अलावा अर्जेंटीना, ब्राजील, फ्रांस, अमेरिका, साउथ कोरिया और जापान में बहुत तेजी से केस बढ़ रहे हैं. हालांकि भारत अब तक इस लहर से अछूता है और सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अपने देश में बीते 24 घंटे में सिर्फ 131 नए केसेस ही आए हैं. 

हालांकि आज हेल्थ मिनिस्टर मनसुख मंडाविया ने दिल्ली में एक हाई लेवल मीटिंग बुलाई और कोरोना की स्थिति की समीक्षा की. कांग्रेस समेत कुछ राजनीतिक पार्टियों के नेता चीन ने आने वाली फ्लाइट्स पर रोक लगाने की मांग करने लगे हैं, हालांकि मीटिंग के बाद मीडिया से बातचीत में नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर विनोद कुमार पॉल ने कहा कि एविएशन को लेकर कोई नया फैसला नहीं लिया गया है. उन्होंने टेस्टिंग और मास्क लगाने पर ज़ोर दिया. 

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कोरोना के BF.7 वेरिएंट से डरें या नहीं?

इस बैठक से पहले स्वास्थ्य मंत्री की राहुल गांधी को लिखी एक चिट्ठी भी खूब चर्चा में रही. इसमें उन्होंने कहा है कि भारत जोड़ो यात्रा में कोविड प्रोटोकॉल का पूरा पालन किया जाए, वर्ना यात्रा स्थगित कर दी जाए. मगर सियासत से इतर. शाम होते होते भारत के लिए चिंता की एक बात सामने आई. और वो ये कि बड़ोदरा में एक कोरोना पॉजिटिव एनआरआई महिला BF-7 से संक्रमित मिली है. अमेरिका के महामारी विशेषज्ञ इस सब वेरिएंट को काफी संक्रामक बता चुके हैं. क्या हमें डरने की ज़रूरत है? पिछले 24 घंटे में इंडिया में कोविड के 131 नए केस सामने आये और फ़िलहाल देश में 3400 एक्टिव केस हैं. तो टेस्टिंग, प्रीकॉशन और प्रिपरेशन को लेकर हम कहाँ खड़े हैं और क्यों तीन साल बाद भी हर जगह जिंदा है कोरोना, सुनिए 'दिन भर' की पहली ख़बर में.

 

कौन हैं बसपा के विश्वनाथ?

एक दशक पहले उत्तर प्रदेश पॉलिटक्स की बड़ी ख़लीफ़ा रही बहुजन समाज पार्टी वक्त के साथ लगभग अखाड़े से बाहर ही चली गई है. कभी मायावती का उत्तर प्रदेश की राजनीति में रुतबा हुआ करता था. बाद के दिनों में राजनीतिक तौर पर बसपा शिथिल पड़ती गई. पर उत्तर प्रदेश में शहरी  निकाय चुनाव से पहले मायावती ने प्रदेश संगठन में बड़ा फेरबदल किया है. भीम राजभर को हटाकर उन्होंने विश्वनाथ पाल को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है. बसपा की कमान विश्वनाथ पाल को ऐसे समय मिली, जब पार्टी अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. ये विश्वनाथ पाल हैं कौन जिनके कंधों पर पार्टी ने ये बड़ी ज़िम्मेदारी सौंपी है और उनके सामने किस तरह की चुनौतियाँ हैं, सुनिए 'दिन भर' की दूसरी ख़बर में.

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रुपये में इंटरनेशनल ट्रेड: फ़ायदे और चुनौतियां

साल भर से हो रहे रूस यूक्रेन युद्ध के कारण रूस पर कई पाबंदियां लगाई गईं, जिसका असर उसकी अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा. लिहाज़ा उसने भारत का रूख किया और भारत के साथ रुपए में कारोबार करने की इच्छा ज़ाहिर की. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने भी रूस के साथ ट्रेड के लिए 12 वोस्ट्रो अकाउंट खोलने की सहमति दे दी है. रूस के अलावा श्रीलंका की अर्थव्यवस्था ख़राब स्थिति में है. श्रीलंका ने भी भारत के साथ रूपए में कारोबार करनी की सहमति जताई है जिसके बाद RBI ने इंडियन रुपी ट्रेड सेटलमेंट मैकेनिज्म के तहत श्रीलंका के साथ व्यापार के लिए बैंकों को 05 वोस्ट्रो अकाउंट खोलने की मंजूरी दी है. 

भारत सरकार लंबे समय से उन देशों से रुपए में ट्रेड करना चाहती है जिनके पास डॉलर की कमी है. अब तक आरबीआई की ओर से 5 से 6 बैंकों को रुपये में इंटरनेशनल ट्रेड सेटलमेंट की सुविधा के लिए Vostro खाते खोलने की अनुमति दी गई है. आमतौर पर अभी दो देशों के बीच व्यापार डॉलर में होता है जिसका फायदा अमेरिका को होता है लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर दूसरे देश रुपए में ट्रेड करना शुरू करते हैं तो इससे भारत की डॉलर पर निर्भरता कम होगी. श्रीलंका रूस अलावा तजाकिस्तान, क्यूबा, सिडनी, सुडान जैसे देश भी रूपए में कारोबार करने की इच्छा ज़ाहिर कर रहे हैं. मगर ये इतना आसान नहीं है. कई चुनौतियां भी हैं. एक  ओर जब यूरो जैसी मजबूत करेंसी में भी इंटरनेशनल ट्रेड की ज्‍यादा बिलिंग अभी नहीं होती है. तो इंडिया को रूपए में फॉरेन ट्रेड करने से कैसे फ़ायदा होगा और तमाम उतार-चढ़ाव के बीच रुपये में कारोबार स्मूथली कैसे चलेगा, सुनिए 'दिन भर' की तीसरी ख़बर में.

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भारत में ड्रग्स की समस्या कितनी बड़ी?

 नशा तस्करी और ड्रग एब्यूज हमारे देश की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है. पिछले कुछ दिनों से कई राज्यों में जहरीली शराब से होने वाली मौत की खबरें भी लगातार आ रही हैं. ग्लोबल बर्डन ऑफ़ डिसीज़ की एक स्टडी के अनुसार 2017 में दुनियाभर के लगभग साढ़े सात लाख लोगों की अवैध ड्रग्स का सेवन से मौत हो गई. इसमें से 22 हज़ार मौतें भारत में ही हुई थीं. भारत में भांग या कैनाबिस का सेवन करने वालों की संख्या दुनिया के मुक़ाबले कम है. एम्स की रिपोर्ट कहती है कि भारत में 3 करोड़ लोग कैनेबिस के नशे के आदी हैं. साल 2018 तक ओपियॉइड यानी अफीम से बनने वाले नशे की गिरफ्त में 2 करोड़ 30 लाख भारतीय हैं, और ये सरकारी रिपोर्ट है. 14 साल में भारत में ओपियाइड का यूज़ पांच गुना बढ़ गया है. 

संसद के विंटर सेशन में भी नशा तस्करी के सम्बन्ध में चर्चा हुई. केंद्रीय गृहमंत्री अमित ने आज लोकसभा में कहा कि नशा देश की गंभीर समस्या है. यह हमारी नस्लों को बर्बाद करने वाली समस्या है. मोदी जी ने नशा मुक्त भारत का संकल्प देश के सामने रखा और गंभीरता पूर्वक इस देश में नशे के खिलाफ बहुत सारी कार्रवाई हुई है. 

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लेकिन अगर आप भारत का भूगोल चेक करें तो पाएंगे कि भारत चारों तरफ से दुनिया के सबसे बड़े अफीम के उत्पादक देशों से घिरा हुआ है. एक तरफ पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और ईरान हैं तो दूसरी तरफ थाईलैंड, म्यांमार और वियतनाम. अकसर आप ख़बरें सुनते होंगे कि गुजरात के पोर्ट्स पर  बड़ी मात्रा में हेरोइन पकड़ी गई हैं. पंजाब में ड्रग्स कितनी बड़ी समस्या है, ये सब जानते हैं. तो दिक्कत क्या है? भारत में ड्रग एडिक्शन और नशा तस्करी कैसे इतनी बड़ी समस्या बन गया, नशा तस्करी रोकने के लिए बने कानून इस समस्या को ख़त्म करने में कितने कामयाब रहे हैं या इनमें सुधार की ज़रूरत है, सुनिए 'दिन भर' की आख़िरी ख़बर में. 

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