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Explainer: आखिर चंडीगढ़ पर किसका अधिकार? जानिए कैसे ये शहर दो अलग-अलग राज्यों की राजधानी बना

चंडीगढ़ पर किसका अधिकार है? इस बात को लेकर हरियाणा और पंजाब के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है. जानिए क्या है इस विवाद की हिस्ट्री.

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पंजाब सीएम भगवंत मान और हरियाणा सीएम मनोहर लाल खट्टर (फाइल फोटो-PTI)
पंजाब सीएम भगवंत मान और हरियाणा सीएम मनोहर लाल खट्टर (फाइल फोटो-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 1952 में चंडीगढ़ बना पंजाब की राजधानी
  • 1966 में पंजाब से अलग होकर हरियाणा बना

चंडीगढ़ (Chandigarh) पर किसका हक है? इस वक्त पंजाब और हरियाणा राज्य में इसको लेकर रार मची है. यह सब शुरू तब हुआ जब केंद्र सरकार ने चंड़ीगढ़ में पंजाब सर्विस रूल की जगह केंद्र के सर्विस रूल लागू किये. इसके बाद पंजाब की AAP सरकार ने चंडीगढ़ को पंजाब को हस्तांतरित करने के संबंध में एक प्रस्ताव पारित किया, जिसपर हरियाणा सरकार भड़क गई.

दरअसल, चंडीगढ़ हरियाणा और पंजाब दोनों की राजधानी है. बता दें कि 28 मार्च 1948 को करहर के 22 गांवों को मिलाकर चंडीगढ़ का निर्माण किया गया था. फिर 1953 में चंड़ीगढ़ को पंजाब की राजधानी बनाया गया था. चंडीगढ़ को पूरी प्लानिंग के साथ बनाया गया था. चंडीगढ़ आज दुनिया के सबसे आधुनिक शहरों में गिना जाता है. 1952 में चंडीगढ़ पंजाब की राजधानी बना.

इससे पहले शिमला भी पंजाब की राजधानी थी. वहीं पहले आजादी से पहले पंजाब की राजधानी लाहौर हुआ करती थी. 1947 में जब बंटवारा हुआ तो लाहौर पाकिस्तान में चला गया.

1966 में केंद्र शासित प्रदेश बना चंडीगढ़

फिर जब 1966 में हरियाणा बना तो चंडीगढ़ को केंद्र शासित प्रदेश बनाते हुए इसे दोनों की राजधानी बना दिया गया. इसकी प्रोपर्टी पर भी दोनों का 60.40 फीसदी का अधिकार था. हरियाणा को कहा गया था कि जबतक उसकी नई राजधानी नहीं बन जाती तबतक चंडीगढ़ ही उसकी भी राजधानी होगी. चंडीगढ़ को उस समय दोनों राज्यों की राजधानी इसलिए बनाया गया था, क्योंकि उस समय चंडीगढ़ के पास ही प्रशासनिक ढांचा था.

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1970 के आसपास हरियाणा राज्य को 10 करोड़ रुपये का कर्ज भी दिया गया था, जिससे वह अपनी नई राजधानी का निर्माण कर सके. राजधानी बनाने के लिए पांच साल का वक्त दिया गया था. हालांकि, ऐसा हो नहीं पाया.

फिर जब कई सालों तक हरियाणा की राजधानी अलग नहीं बनी तो पंजाब में इसके खिलाफ प्रदर्शन तेज हो गए. अकाली दल, जरनैल सिंह भिंडरावाले के साथ मिलकर इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया. फिर 1985 में राजीव गांधी की सरकार ने तय किया कि 26 जनवरी 1985 को चंडीगढ़ पूरी तरह से पंजाब को सौंप दिया जाएगा. लेकिन इसी बीच पंजाब के पीएम और अकाली दल के बड़े नेता Harchand Singh Longowal की हत्या हो गई. फिर राजीव गांधी ने भी इस समझौते से हाथ खींच लिए. इसके बाद भी चंडीगढ़ को वापस लेने की कोशिश पंजाब करता रहा.

हरियाणा सरकार का क्या रुख है?

इस मामले पर हरियाणा सरकार केंद्र के साथ खड़ी है. उसका कहना है कि चंड़ीगढ़ दोनों राज्यों (पंजाब और हरियाणा) की साझा राजधानी बनी रहेगी और वे केंद्र द्वारा लागू सर्विस रूल का समर्थन करते हैं. हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने यह भी कहा कि पंजाब सरकार लोगों को गुमराह कर रही है. खट्टर ने यह भी कहा कि पहले पंजाब हरियाणा का SYL (Satluj Yamuna Link Canal) का पानी और 400 हिंदी भाषी गांव दे फिर बात करे. बता दें कि ये सभी गांव हरियाणा के सटे हैं.

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पंजाब-हरियाणा ही नहीं, हिमाचल का भी दावा

सिर्फ पंजाब और हरियाणा ही नहीं, बल्कि हिमाचल प्रदेश भी चंडीगढ़ पर अपना दावा करता है. 27 सितंबर 2011 को एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पंजाब पुनर्गठन एक्ट के तहत चंडीगढ़ की 7.19% जमीन पर हिमाचल का भी हक है. हिमाचल के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर दावा करते हैं कि हिमाचल नवंबर 1996 से भाखड़ा नंगल पावर प्रोजेक्ट से पैदा होने वाली बिजली का 7.19% हिस्सा पाने का भी हकदार था. जयराम ठाकुर कहते हैं कि हिमाचल को चंडीगढ़ में उसका वैध हिस्सा मिलना चाहिए.

 

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