2जी घोटाला मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के 12 साल बाद केंद्र सरकार ने आदेश में संशोधन की मांग को लेकर सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटाया है. केंद्र उस शर्त में संशोधन चाहता है जिसके तहत सरकार को स्पेक्ट्रम संसाधनों के आवंटन के लिए नीलामी मार्ग अपनाने की आवश्यकता पड़ती है. केंद्र ने कानून के अनुसार प्रशासनिक प्रक्रिया के माध्यम से आवंटन करने की मांग की है.
SC पहुंची केंद्र सरकार
केंद्र सरकार ने 2012 के 2जी स्पेक्ट्रम संबंधी फैसले में संशोधन के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. कोर्ट के फैसले में सरकार से देश के प्राकृतिक संसाधनों को हस्तांतरित करने के लिए नीलामी का रास्ता अपनाने की बात कही गई थी. केंद्र ने कहा कि फैसले में संशोधन की आवश्यकता है क्योंकि स्पेक्ट्रम का आवंटन न केवल वाणिज्यिक दूरसंचार सेवाओं के लिए आवश्यक है, बल्कि सुरक्षा, आपदा तैयारी जैसे सार्वजनिक हित के कार्यों के निर्वहन के लिए गैर-वाणिज्यिक उपयोग के लिए भी आवश्यक है.
'दूरसंचार की पूर्ण क्षमता का इस्तेमाल जरूरी'
केंद्र ने अपने आवेदन में इस बात पर जोर दिया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा, संरक्षा और आपदा तैयारी के उद्देश्यों को प्राप्त करने के साथ-साथ भारत को आवश्यकतानुसार गतिशील निर्णय लेने में सक्षम बनाने के लिए दूरसंचार की पूर्ण क्षमता का उपयोग किया जाना चाहिए, ताकि आम जनता की सर्वोत्तम भलाई की जा सके.
क्या था सुप्रीम कोर्ट का फैसला?
2012 में अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न फर्मों को दिए गए 2जी स्पेक्ट्रम लाइसेंस रद्द कर दिए थे. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था, 'जब स्पेक्ट्रम आदि जैसे दुर्लभ प्राकृतिक संसाधनों के हस्तांतरण की बात आती है, तो यह सुनिश्चित करना राज्य का दायित्व है कि वितरण और हस्तांतरण के लिए गैर-भेदभावपूर्ण तरीका अपनाया जाए, जिससे राष्ट्रीय/सार्वजनिक हितों की रक्षा हो सके.' शीर्ष अदालत ने कहा था कि उसके विचार में, निष्पक्ष और निष्पक्ष तरीके से आयोजित एक विधिवत प्रचारित नीलामी शायद इस दायित्व को पूरा करने का सबसे अच्छा तरीका है.