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निरहुआ ने बताया ड्रैगन से निपटने का तरीका! बोले- चीन की रूह कांप जाएगी

लोकसभा में शून्यकाल के दौरान निरहुआ ने बोलते हुए कहा कि भारतीय सेना में अहीर रेजिमेंट की मांग बहुत लंबे समय से चल रही है. ये अहीर रेजिमेंट की मांग बिल्कुल जायज है और मैं सरकार से ये निवेदन करता हूं कि सेना में जल्द से जल्द अहीर रेजिमेंट का गठन किया जाए, क्योंकि जिस दिन अहीर रेजिमेंट का गठन होगा, चीन की रूह काप जाएगी.

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आजमगढ़ से बीजेपी सांसद और भोजपुरी एक्टर दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ
आजमगढ़ से बीजेपी सांसद और भोजपुरी एक्टर दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ

भारतीय सेना में अहीर रेजीमेंट की मांग काफी लंबे समय से की जा रही है. लोकसभा में एक बार फिर इस मांग को दोहराया गया है. इस बार यूपी के आजमगढ़ से बीजेपी सांसद और भोजपुरी एक्टर दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ ने इसकी मांग सरकार से कर डाली है. उन्होंने लोकसभा में बोलते हुए यहां तक कहा कि जिस दिन अहीर रेजिमेंट बन जाएगी, चीन की रूह कांप जाएगी.

दरअसल, लोकसभा में शून्यकाल के दौरान निरहुआ ने बोलते हुए कहा कि भारतीय सेना में अहीर रेजिमेंट की मांग बहुत लंबे समय से चल रही है. जो सेना में अलग-अलग जाति, धर्म, संप्रदाय और राज्य के योगदान-बलिदान को ध्यान में रखते हुए उनके सम्मान में, उनके मनोबल को बढ़ाने के लिए सेना में रेजिमेंट बने हैं. ये अहीर रेजिमेंट की मांग बिल्कुल जायज है और मैं सरकार से ये निवेदन करता हूं कि सेना में जल्द से जल्द अहीर रेजिमेंट का गठन किया जाए, क्योंकि जिस दिन अहीर रेजिमेंट का गठन होगा, चीन की रूह काप जाएगी. 

उन्होंने कहा कि ये मुद्दा संसद में बहुत लंबे समय से उठाया जा रहा है. अहीर समाज की मांग जायज है, क्योंकि किसी भी क्षेत्र, जाति, धर्म के सेना में योगदान को लेकर रेजिमेंट बनाया जाता है. क्योंकि इसका कारण है कि 1962 के युद्ध में रेजांगला चौकी पर 124 अहीर जवान तैनात थे, जिन्होंने 100-200 नहीं बल्कि 3 हजार चीनी सैनिकों को मारा था और चीन ने यह भी कहा था कि ये अति वीर हैं, इन्हें हराना मुश्किल है.

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किस आधार पर बंटी हैं रेजिमेंट?

बता दें कि अंग्रेजों के शासन के दौरान थल सेना में रेजिमेंट बनाई गई थीं. जानकारों की मानें तो तब अंग्रेजों ने अपनी जरूरत के हिसाब से अलग-अलग गुटों में सेना में भर्ती की थी. ये भर्तियां जाति, क्षेत्र और कम्युनिटी के आधार पर की गई थी. इसी आधार पर ये रेजिमेंट बनी हैं. जैसे जाति के आधार पर जो रेजिमेंट बनीं हैं उनमें राजपूत, जाट, डोगरा, राजपूताना, महार आदि शामिल है. वहीं, क्षेत्र के आधार पर बनने वाली रेजिमेंट में बिहार, कुमाउं, लदाख, मद्रास, असम आदि शामिल हैं. इनके अलावा कम्युनिटी के आधार पर गोरखा या मराठा जैसी रेजिमेंट बनाई गई हैं.

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