भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के 44वें स्थापना दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया. इस दौरान पीएम ने बीजेपी के भविष्य की सियासत का खाका खींचते हुए सामाजिक न्याय के बहाने दलित-पिछड़ों को ही सिर्फ साधने की नहीं, बल्कि विपक्ष की कोशिशों पर सीधा प्रहार भी किया. परिवारवाद और भ्रष्टाचार का जिक्र कर उन्होंने विपक्षी दलों पर निशाना साधा तो 2014 में हुए सत्ता परिवर्तन को देश का पुनर्जागरण बताया. पीएम मोदी ने मिशन-2024 का रोडमैप बताया तो वहीं बीजेपी के फ्यूचर पॉलिटिक्स के लिए 5 बड़े मंत्र भी दिए. हम आपको बताएंगे कि पीएम मोदी ने इन मंत्रों के जरिए क्या संदेश देने की कोशिश की.
बीजेपी के स्थापना दिवस पर पीएम मोदी ने कहा कि सामाजिक न्याय हमारे लिए राजनीतिक नारेबाजी का हिस्सा नहीं है, बल्कि हमारे लिए धर्म (आर्टिकल ऑफ फेथ) है. सामाजिक न्याय के नाम पर कुछ लोग सिर्फ दिखावा करते हैं और अपने परिवार का भला करते हैं, लेकिन अपने समाज का भला नहीं करते हैं. भाजपा सामाजिक न्याय को जीती है और उसका पालन करती है. दबे-कुचले, दलित, पिछड़ों और महिलाओं के लिए हमारी सरकार पूरी तरह से समर्पित है.
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पीएम ने कहा कि 2014 में दबे कुचले वर्ग ने अपनी आवाज़ बुलंद की. बादशाही वंश ने उनके आवाज़ कुचल के रख दी थी, इसलिए हमारी सरकार ने पहले साल में ही उनके उत्थान का काम किया. 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन, 50 करोड़ लोगों को 5 लाख तक का मुफ्त इलाज, 45 करोड़ जनधन खाता और 11 करोड़ शौचालय सामाजिक न्याय का जीता जागता उदाहरण है. ये बिना भेदभाव, बिना तुष्टीकरण और बिना वोटबैंक का ख्याल रखते हुए किया गया है.
प्रधानमंत्री ने सामाजिक न्याय पर जोर ऐसे ही नहीं दिया, बल्कि उसके राजनीतिक मकसद भी हैं. मौजूदा समय में सपा से लेकर आरजेडी, जेडीयू और डीएमके जैसे दल सामाजिक न्याय के मुद्दे पर बीजेपी और मोदी सरकार को घेर रहे हैं. जातीय जनगणना की मांग को लेकर दबाव बना रहे हैं. तमिलनाडु सीएम स्टालिन ने विपक्ष के तमाम ओबीसी-दलित नेताओं को लेकर सामाजिक न्याय की लड़ाई को धार देने की अपील की. इतना ही नहीं, आरक्षण के मुद्दे पर भी विपक्ष मोदी और बीजेपी की सरकार को घेर रहा है. ऐसे में पीएम मोदी ने विपक्षी दलों के सामाजिक न्याय के मुद्दे को बेअसर करने का दांव चला है, क्योंकि मोदी की सियासत एक तरफ हिंदुत्व की है दूसरी तरफ ओबीसी की है. बीजेपी की सियासी बुलंदी में ओबीसी-दलित वोटर्स की भूमिका अहम रही है. ऐसे में बीजेपी किसी भी सूरत में दलित-पिछड़ों पर अपनी पकड़ कमजोर ढीली नहीं रखना चाहती है, इसलिए पीएम मोदी ने ओबीसी-दलित-महिलाओं के मुद्दे पर फोकस रखा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भ्रष्टाचार और परिवारवादी सियासत पर जमकर हमले किए. उन्होंने कहा कि जब हनुमान जी को राक्षसों का सामना करना पड़ा था तो वो उतने ही कठोर भी हो गए थे. इसी प्रकार से जब भ्रष्टाचार की बात आती है, जब परिवारवाद की बात आती है, कानून व्यवस्था की बात आती है तो बीजेपी भी उतनी ही संकल्पबद्ध हो जाती है. मां भारती को इन बुराइयों से मुक्ति दिलाने के लिए कठोर होना पड़े तो कठोर भी हों. परिवारवाद, वंशवाद और क्षेत्रवाद की वंशज है सभी पार्टियां, जबकि भाजपा का कल्चर है एक दूसरे के लिए खप जाना.
केंद्रीय एजेंसियां सीबीआई और ईडी का शिकंजा विपक्षी दल के नेताओं पर कसता जा रहा है. विपक्षी दल मोदी सरकार पर आरोप लगाते हैं कि उनके नेताओं को टारगेट किया जा रहा है. खासकर उन राज्यों में जहां गैर-बीजेपी दलों की सरकारें हैं, जबकि मोदी सरकार और बीजेपी नेता कहते हैं कि एजेंसिया अपना काम कर रही हैं. ऐसे में पीएम मोदी ने बीजेपी स्थापना दिवस के मौके पर भ्रष्टाचारियों की तुलना राक्षस कर सियासी संदेश देने की कोशिश है. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि देश को लूटने वालों के खिलाफ जितना भी कठोर होने की जरूरत पड़ेगी तो होंगे. यही नहीं परिवारवाद के बहाने प्रधानमंत्री ने कांग्रेस, सपा, आरजेडी, डीएमके जैसे दलों को भी निशाने पर लिया. बीजेपी परिवारवादी सियासत को लेकर लगातार एजेंडा सेट कर रही है.
पीएम मोदी ने स्थापना दिवस पर बीजेपी के भविष्य की सियासत का विजन रखा. उन्होंने कहा, 'बीजेपी जब अपने गठन के 50 साल पूरे कर रही होगी, तब देश की आजादी के 100 साल पूरे होंगे. आइए हम अपने देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाने, सभी का दिल जीतने, मां भारती के सपनों को पूरी तरह से साकार करने का संकल्प लें.' इतना ही नहीं पीएम ने कहा कि पार्टी के लिए अपनी तैयारी रखनी होगी. बीजेपी के निरंतर विस्तार की दिशा में काम करना होगा. पार्टी के कार्यकार्ताओं की ट्रेंनिंग के लिए नए प्लेटफॉर्म बनाने होंगे. सांसद और चुने हुए प्रतिनिधि कार्यकर्ताओं को जानकारी देने की दिशा में बड़े मददगार साबित हो सकते हैं, क्योंकि उनके पास जानकारी के ज्यादा स्रोत हैं. बीजेपी के अलग-अलग मोर्चा भी अपने-अपने माध्यम से अलग-अलग समाज के मदद कर सकते हैं.
बीजेपी 2014 में जिस मजबूती के साथ देश की सत्ता पर काबिज हुई है, उसे बीजेपी हर हाल में सिर्फ 2024 में ही नहीं बल्कि लंबे समय तक बनाए रखना चाहती है. ऐसे में बीजेपी कार्यकर्ताओं और नेताओं की ऊर्जा को बनाए रखना भी होगा. पीएम मोदी इस बात को जानते हैं कि बीजेपी की जीत में पार्टी कार्यकर्ताओं की अहम भूमिका है. कार्यकर्ताओं के हौसले को बुलंद रखने और जनप्रतिनिधियों के साथ बेहतर तालमेल को भी बनाए रखना चाहते हैं. इतना ही नहीं, ट्रेनिंग की बात करके कार्यकर्ताओं को मौजूदा दौर की सियासत से भी वाकिफ रखने की है तो दूसरी तरफ बीजेपी के अलग-अलग मोर्चे के जरिए पार्टी की सोशल इंजीनियरिंग को बनाए रखने की रणनीति मानी जा रही है.
पीएम मोदी ने बीजेपी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि हनुमान जी के पास असीम शक्ति है, लेकिन इस शक्ति का इस्तेमाल वो तभी कर पाते हैं जब स्वयं पर से उनका संदेह समाप्त होता है. 2014 से पहले भारत की भी तो यही स्थिति थी. अथाह सामर्थ्य से भरपूर, लेकिन संदेहों से घिरा हुआ देश का नागरिक. आज भारत उस बजरंग बलि की महाशक्ति की तरह अपने अंदर सुप्त शक्तियों का आभास कर चुका है. आज भारत बड़ी से बड़ी और कठिन से कठिन चुनौतियों से घबराता नहीं बल्कि उसका सामना करता है और उन चुनौतियों पर विजय पाता है. आज भारत समंदर जैसी विशाल चुनौतियों को पार करने, उनका मुकाबला करने में पहले से कहीं ज्यादा सक्षम है.
पीएम ने दावा किया कि भाजपा कार्यकर्ता भी हनुमान जी के जीवन-आदर्शों से ही प्रेरित होकर काम करते हैं. एक-एक बीजेपी कार्यकर्ता के लिए राष्ट्र सर्वोपरि है, इसलिए वो राष्ट्र के लिए सबकुछ करते हैं और अपने लिए कुछ नहीं चाहता. उन्होंने कहा कि हनुमान जी के ऐसे ही गुणों से हम सभी बीजेपी कार्यकर्ता, हमारी पार्टी प्रेरणा पाते हैं. हनुमान जी सबकुछ कर सकते हैं, सबके लिए करते हैं, लेकिन अपने लिए कुछ नहीं करते.'
बीजेपी स्थापना दिवस इस साल हनुमान जयंती के मौके पर पड़ा है. ऐसे में पीएम ने हनुमान जी के बहाने बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ-साथ दुनिया को भी बदलते भारत की शक्ति का संदेश देने की कवायद की है. पीएम ने जिस तरह से हनुमान जी से प्रेरणा लेकर बीजेपी कार्यकर्ताओं के काम करने की बात कही है, उसके बहाने साफ है कि बीजेपी के कार्यकर्ता अपने स्वार्थ के लिए नहीं बल्कि राष्ट्र और समाज के लिए काम करते है. एक-एक बीजेपी कार्यकर्ता के लिए राष्ट्र सर्वोपरि है, इसलिए वो राष्ट्र के लिए सबकुछ करते हैं और अपने लिए कुछ नहीं. इस तरह से पार्टी कार्यकर्ताओं के हौसले को बुलंद किया तो दूसरी तरफ हनुमान जैसी शक्ति वाला आज का भारत बताकर भी संदेश देने की कोशिश की. इस बहाने से उन्होंने यह बताने की कोशिश की है कि आज का भारत दुनिया के सामने सामर्थय है और बदलते समय के अनुसार खुद को तैयार रखे हुए हैं और सबके साथ कदम मिलाकर चलने का साहस रखता है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजेपी के स्थापना दिवस पर कार्यकर्ताओं और नेताओं को सोशल मीडिया के साथ जुड़ने और नए तौर तरीके से वाकिफ होने का मंत्र दिया. उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी का दौर है और पार्टी को टेक्नोलॉजी के साथ भी जोड़ना होगा. सोशल मीडिया के नए तौर-तरीके- रील्स, यूट्यूब, फेसबुक-ट्विटर के दौर में युवाओं से जुड़ना होगा. इसके लिए पार्टी में टेक्नोलॉजी सेल बना सकेत हैं, युवाओं की टीम बना सकते हैं. एक्सपर्ट से भी सुझाव और मदद ले सकते हैं. सोशल मीडिया के नए जमाने में ज्यादा से ज्यादा युवाओं में प्रोफेशनल से जोड़ने के लिए नए आयामों को विकसित करना है. साथ ही विश्व की दूसरी पार्टियों के साथ संवाद बढ़ाने की जरूरत है. यूथ विंग और महिला विंग को दूसरे देश की पार्टियों से जुड़े हुए लोगों से संपर्क बनाना चाहिए ताकि उनके तौर तरीके को भी समझें.
पीएम मोदी ने जिस तरह से सोशल मीडिया के नए प्लेटफॉर्म रील्स, यूट्यूब और इंस्टाग्राम के साथ जुड़ने और उनके तौर तरीके सीधने की बात कही है, उसके पीछ सीधा मकसद युवा मतदाताओं को साधने की कवायद है. 2014 में मोदी की जीत में युवा मतदाताओं की भूमिका अहम रही थी, जिसे बीजेपी अपने साथ हर हाल में जोड़े रखना चाहती है. युवा मतदाता किसी भी दल का खेल बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखते हैं. मौजूदा समय में देश की बड़ी युवा आबादी रील्स बना रही और इंस्टाग्राम पर है. ऐसे में सोशल मीडिया के इन टूल्स के जरिए युवाओं को दिल में अपनी जगह बनाने और उन्हें अपने साथ जोड़े रखने की बीजेपी की रणनीति है.