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बिलावल भुट्टो की भारत यात्रा से दोनों देशों के बीच सुधरेंगे रिश्ते?

बिलावल भुट्टो के भारत दौरे में दोनों देशों के बीच क्या होगी द्विपक्षीय बातचीत, असम में बढ़ती मुसलामानों की आबादी पर केंद्र के दावे का आधार क्या है और क्यों दिवालिया होने के कगार पर पहुंची Go First एयरलाइन्स? सुनिए 'आज का दिन' में.

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bilawal bhutto
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पाकिस्तान, भारत की सियासत में कुछ परिवारों के नाम ऐसे हैंं, जिनका हर दौर में ज़िक्र होता रहा है. पाकिस्तान की ओर से भुट्टो परिवार उन गिने चुने नामों में से एक है. उसके वर्तमान पीढ़ी और पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी इस हफ़्ते भारत दौरे पर होंगे. वो शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेश के विदेश मंत्रियों के सम्मेलन में हिस्सा लेने 4-5 मई को गोवा में होंगे. साल 2014 में उस वक्त के पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ की भारत यात्रा के बाद ये किसी पाकिस्तानी नेता की पहली भारत यात्रा होगी.

बिलावल भुट्टो की यात्रा ऐसे वक्त में भी हो रही है जब पाकिस्तान आर्थिक संकट, आंतरिक राजनीतिक मुश्किलों से जूझ रहा है. इस दौरे का जब अनाउंसमेंट हुआ था तब से ही कयास लगने शुरू हो गए थे कि क्या दोनों पक्षों के बीच द्विपक्षीय बातचीत होगी? अभी तक की मीडिया रिपोर्ट्स यही बता रहे हैं कि दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के शेड्युल में ऐसी किसी मीटिंग का ज़िक्र नहीं है. भारत का स्टैंड क्लियर रहा है कि टेररिज्म और टॉक एक साथ नहीं चल सकता, और पाकिस्तान की ओर से ये बात कही गई है कि नई दिल्ली बातचीत की पहल करना चाहे तो इस्लामाबाद भी हाथ आगे बढ़ाएगा...ऐसे में इस दौरे के एजेंडे और क्या एस. जयशंकर और बिलावल भुट्टो के बीच बाइलेट्रल मीटिंग की कोई गुंजाइश बनती दिख रही है? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें. 

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केंद्र सरकार ने असम के गुवाहाटी हाईकोर्ट में चल रहे एक मामले में राज्य में बढ़ रही मुसलमानों की आबादी पर अपनी दलील दी है. सरकार के मुताबिक मुसलमानों की अस्वाभाविक रूप से बढ़ती आबादी के लिए सीमा पार से आने वाले लोग ही ज़िम्मेदार हैं. दरअसल, जिस मामले पर यह विवाद पैदा हुआ है वह साल 2016 का है.

असम के मोरीगांव में एक मुस्लिम व्यक्ती के कागज़ात में पिता के नाम में गड़बड़ी पाई गई. जांच के बाद फ़ॉरेनर्स ट्रिब्यूनल ने उसे 'विदेशी' घोषित कर दिया, साल 2022 में फ़ॉरेनर्स ट्रिब्यूनल ने एक अन्य मामले में उसे गिरफ़्तार कर लिया, गुवाहाटी हाईकोर्ट के न्यायाधीश एएम बुजर बरुआ और न्यायमूर्ति रोबिन फूकन की बेंच में 28 अप्रैल को इसी मामले की सुनवाई हुई. जिसमें डिप्टी सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार देब चौधरी ने भारत में विदेशियों के अधिकार के मामले में केंद्र सरकार का पक्ष रखा. इन दलीलों का आधार क्या है? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें. 
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बिना किसी सुगबुगहाट के अचानक से एक ख़बर आती है कि गो फ़र्स्ट एयरलाइंस ख़ुद को दिवालिया घोषित करने की तैयारी में है. गो फर्स्ट देश के सबसे पुराने कारोबारी समूह में से एक वाडिया ग्रुप की एयरलाइंस है. बाद में पता चलता है कि 3, 4 और 5 मई की गो फ़र्स्ट की सभी उड़ाने रद्द कर दी गई हैं. गो फ़र्स्ट एयरलाइंस का तेल कंपनियों के साथ कैश एंड कैरी मोड का करार है, इसका मतलब हुआ रोज़ाना जितनी उड़ानें भरी जाएंगी, उसका भुगतान करना होगा. लेकिन फ़िलहाल कंपनी के पास कैश फ्लो की कमी है. गो फर्स्ट के 30 विमान 31 मार्च से खड़े हैं, इनमें नौ ऐसे हैं जिन पर पट्टे का भुगतान बाकी है. वहीं, एयरलाइन की वेबसाइट के मुताबिक गो फर्स्ट के बेड़े में कुल 61 विमान हैं. भारत की तीसरी सबसे बड़ी एयरलाइंस कंपनी अचानक से दिवालिया होने की स्थिति में कैसे पहुंची और इससे क्या हवाई सफर होगा महंगा? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें. 
 

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