जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) छात्र संघ चुनाव की देखरेख कर रही इलेक्शन कमेटी ने यूनिवर्सिटी प्रशासन को लिखे पत्र में अपनी जान को खतरा बताते हुए पुलिस सुरक्षा की मांग की है. कमेटी का कहना है कि नामांकन के दौरान गार्ड स्थिति को नहीं संभाल सकते. मतदान के दिन उनसे पांच हजार छात्रों की भीड़ को संभालने की उम्मीद करना गलत है.
इलेक्शन कमेटी ने कैंपस में सुरक्षा-व्यवस्था में गंभीर कमी और शत्रुतापूर्ण माहौल को पूरी चुनाव प्रक्रिया रोकने का कारण बताया है. इसने कहा कि जब तक पर्याप्त सुरक्षा मुहैया नहीं कराई जाती, चुनाव प्रक्रिया फिर से शुरू नहीं होगी. विश्वविद्यालय प्रशासन को लिखे पत्र में समिति ने आरोप लगाया कि जेएनयू की वर्तमान सुरक्षा-व्यवस्था अपर्याप्त है.
'हमारी जान को है खतरा'
इलेक्शन कमेटी के सदस्यों ने कहा, 'हमारी जान को खतरा है.' उन्होंने चेतावनी दी कि अगर उचित सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की गई तो चुनाव रद्द किए जा सकते हैं.' हालांकि, विश्वविद्यालय के सूत्रों ने दावा किया कि उन्हें पैनल से ऐसा कोई संदेश नहीं मिला.
दरअसल, नामांकन प्रक्रिया के दौरान हुए कई बार हंगामे के बाद चुनाव प्रक्रिया को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया है. नामांकन वापस लेने की समय सीमा को कई बार बढ़ाए जाने के बाद छात्रों ने कथित तौर पर बैरिकेड्स, शीशे तोड़ दिए और हिंसा करते हुए जबरन चुनाव समिति के ऑफिस में घुस गए. इसके बाद चुनाव समिति ने परिसर में शत्रुतापूर्ण माहौल का हवाला देते हुए चुनाव प्रक्रिया रोक लगा दी.
समिति ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा तैनात सुरक्षाकर्मी कथित तौर पर घटना के दौरान निष्क्रिय बने रहे, जिससे ऐसी स्थितियों के प्रबंधन में उनकी प्रभावशीलता पर चिंता उत्पन्न हो गई. इलेक्शन कमेटी ने आंतरिक विचार-विमर्श किया और कुलपति से मिलने की कोशिश की, लेकिन कथित तौर पर कुलपति ने उनसे मिलने से इनकार कर दिया.
इसके बाद पैनल ने छात्र कल्याण के डीन को एक औपचारिक अनुरोध प्रस्तुत किया, जिसमें आगामी चुनाव प्रक्रियाओं, विशेष रूप से मतदान और मतगणना के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिए दिल्ली पुलिस की तैनाती की अपील की.
'गार्ड नहीं संभाल सकते स्थिति'
इलेक्शन कमेटी के एक सदस्य ने कहा, 'नामांकन के दौरान गार्ड स्थिति को संभाल नहीं सके. मतदान के दिन उनसे 5,000 छात्रों की भीड़ को नियंत्रित करने की उम्मीद करना अवास्तविक है.' हालांकि, यूनिवर्सिटी के एक अधिकारी ने कहा कि एक बार चुनाव समिति गठित हो जाने के बाद प्रशासन की चुनाव प्रक्रिया में कोई भूमिका नहीं रह जाती.
आम बात नहीं है JNUSU चुनाव में पुलिस की तैनाती
अधिकारी ने कहा, 'DUSU चुनावों की तरह JNUSU चुनावों में पुलिस की तैनाती आम बात नहीं है. अगर कोई मुद्दा है तो इलेक्शन कमेटी को उसे स्वतंत्र रूप से सुलझाना चाहिए.'
मतदान के बचे हैं चार दिन
मतदान के दिन तक सिर्फ़ चार दिन बचे हैं, ऐसे में गतिरोध से पूरी चुनाव प्रक्रिया पटरी से उतरने का खतरा है. अगर गतिरोध जारी रहा तो 23 अप्रैल को होने वाली बहुप्रतीक्षित अध्यक्ष पद के लिए होने वाली डिबेट भी रद्द होने का खतरा है.
इस साल कुल 7,906 छात्र मतदाता हैं. इलेक्शन कमेटी द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, रजिस्टर्ड मतदाताओं में से 57% पुरुष और 43% महिलाएं हैं.
23 अप्रैल को होगी अध्यक्ष पद के लिए डिबेट
ओरिजनल चुनाव कार्यक्रम के अनुसार, अध्यक्ष पद के लिए होने वाली डिबेट 23 अप्रैल को होगी. चुनाव प्रचार 24 अप्रैल को खत्म होना था और मतदान 25 अप्रैल को दो सत्रों में सुबह 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक और दोपहर 2:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक मतदान होगा.
वहीं, मतदान खत्म होने के बाद मतगणना की प्रक्रिया शुरू होगी और नतीजे 28 अप्रैल को घोषित किए जाएंगे. अब इस प्रक्रिया के स्थगित होने से जेएनयूएसयू चुनावों का भविष्य अधर में लटक गया है.