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COVAXIN के फेज-3 ट्रायल का डाटा जारी, कोरोना की दूसरी लहर में तबाही मचाने वाले डबल म्यूटेंट स्ट्रेन पर भी कारगर

ICMR के नए रिसर्च से पता चला है कि देश में बनी भारत बायोटेक की कोवैक्सीन SARS-Cov-2 के सभी तरह के वेरिएंट्स के लिए प्रभावी है. गौरतलब है कि भारत में कोरोना की नई लहर के पीछे डबल म्यूटेंट स्ट्रेन को कारण माना जा रहा है. कोवैक्सीन डबल म्यूटेंट स्ट्रेन के लिए भी प्रभावी है. 

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कोरोना वैक्सीन (सांकेतिक फ़ोटो)
कोरोना वैक्सीन (सांकेतिक फ़ोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कोवैक्सीन के फेज-3 ट्रायल का अंतरिम डाटा जारी
  • म्यूटेंट स्ट्रेन पर भी असरदार है ये वैक्सीन
  • कई वेरिएंट्स के खिलाफ है कारगर

भारत बायोटेक (Bharat Biotech) और ICMR ने कोरोना की वैक्सीन कोवैक्सीन (COVAXIN) के फेज-3 ट्रायल का अंतरिम डाटा जारी कर दिया है. जिसके मुताबिक इसकी क्लिनिकल प्रभावकारिता 78% और गंभीर COVID-19 रोग के खिलाफ 100% प्रभावकारिता है. हालांकि, कोवैक्सीन का ये अभी अंतरिम डाटा है, फाइनल डाटा जून तक आ सकता है. 
 
यही नहीं ICMR के नए रिसर्च से पता चला है कि देश में बनी भारत बायोटेक की कोवैक्सीन SARS-Cov-2 के सभी तरह के वेरिएंट्स के लिए प्रभावी है. गौरतलब है कि भारत में कोरोना की नई लहर के पीछे डबल म्यूटेंट स्ट्रेन को कारण माना जा रहा है. कोवैक्सीन डबल म्यूटेंट स्ट्रेन के लिए भी प्रभावी है. 

फेज-3 ट्रायल में 18-98 वर्ष के बीच के 25,800 लोगों को शामिल किया गया, जिसमें 60 वर्ष से अधिक उम्र के 10% लोग शामिल हैं. ट्रायल के दौरान इन लोगों को 14 दिन बाद वैक्सीन की दूसरी खुराक दी गई. नेशलन इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) ने SARS-Cov-2 वायरस के कई वेरिएंट्स को सफलापूर्वक अलग किया है. जिनमें ब्राजील वेरिएंट का B.1.1.28, यूके वेरिएंट का B.1.1.7, साउथ अफ्रीकन वेरिएंट का B.1.351 शामिल है.

भारत बायोटेक के चीफ डॉ कृष्णा एला ने कहा कि SARS-Cov-2 के खिलाफ अच्छी प्रभावकारिता नजर आई. आपातकालीन उपयोग के तहत COVAXIN ने रिकॉर्ड प्रदर्शन किया. विश्वस्तरीय मानकों को पूरा करते हुए फेज-3 ट्रायल का अंतरिम डाटा जारी किया. 

आपको बता दें कि हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक द्वारा बनाई गई कोवैक्सीन नामक कोरोना की वैक्सीन अबतक देश में तैयार हुई एकमात्र वैक्सीन है. इसकी लाखों खुराक भारत समेत दूसरे देशों में सप्लाई की जा चुकी हैं. कोवैक्सीन वायरस के नए प्रकार को भी निष्प्रभावी करने में सफल रही है. 

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आईसीएमआर की स्टडी के मुताबिक, ये वैक्सीन कोरोना के यूके, ब्राजील और अफ्रीकन वेरिएंट को मात देने में कारगर है. इतना ही नहीं ये डबल म्यूटेंट के खतरे को भी दूर करती है. बात अगर वैक्सीनेशन की करें तो देश में अबतक कोरोना वैक्सीन की 13 करोड़ डोज़ दी जा चुकी हैं. इतनी डोज़ लगाने के लिए भारत ने सिर्फ 95 दिन लिए हैं, जो किसी भी देश से सबसे कम हैं.

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