"गृह मंत्री आए और चले गए. हमारा एक बच्चा है, मुझे मेरा बच्चा वापस दे दो. मुझे पोस्टमॉर्टम नहीं चाहिए, जो हो गया सो हो गया. बस मेरा बेटा मुझे वापस दे दो, मैं एक घंटे भी बेटे के बिना नहीं रह सकता. 22 साल मैंने उसकी देखभाल की है, आप सब की वजह से आज वह मर गया. बस उसे वापस दे दो."
सीधे दिल में उतर कर माहौल को ग़मगीन कर देने वाले ये शब्द उस पिता के हैं, जिसका बेटा बुधवार को बेंगलुरु में हुई भगदड़ के दौरान बेमौत मारा गया. उसका पिता तड़प-तड़प कर प्रशासन से ये पूछा रहा है कि आखिरी मेरा बेटा मुझसे क्यों छीन लिया गया. आखिर, 22 साल के उस युवक क्या कुसूर था, जो उसकी जान चली गई. वो तो बस जश्न में शामिल होने आया था लेकिन वापस उसकी बे-जान लाश गई और उसके बाद घर सूना हो गया.
ये सिर्फ एक कहानी है, जो भगदड़ के बाद लोगों के सामने आ रही है. इस तरह के कई परिवार हैं, जिनके घर का कोई चिराग़ बिना बताए आंख बंद कर दुनिया को अलविदा कह दिया. आखिर इन सब मौतों के पीछे किसका कुसूर माना जाएगा? मरने वाले लोगों के चेहरे पर गूंज रही खामोशी पूछ रही है कि आखिर उनकी क्या ग़लती थी, जो उन्हें इस दुनिया को छोड़कर जाने को मजबूर होना पड़ा.

शिव लिंग स्वामी मूल रूप से यादगीर जिले के रहने वाले थे और मौजूदा वक्त में अपने परिवार के साथ बेंगलुरु के येलहंका में रह रहे थे. उन्होंने इसी साल 10वीं की परीक्षा पास की थी और घर से यह कहकर निकले थे कि वह पीयूसी में एडमिशन लेने के लिए स्कूल से अपना ट्रांसफर सर्टिफिकेट (TC) लेने जा रहे हैं. हालांकि, वह सीधे चिन्नास्वामी स्टेडियम चले गए और वहां पर मौत का शिकार हो गए.

मांड्या जिले के राजसमुद्र इलाके के निवासी पूर्ण चंद्र (26), मैसूर की एक निजी कंपनी में सिविल इंजीनियर के तौर पर काम कर रहे थे. वे आरसीबी के प्रशंसकों के स्वागत समारोह में शामिल होने चिन्नास्वामी स्टेडियम आए थे और भगदड़ का शिकार हो गए.

'वह विराट कोहली को देखना चाहती थी...'
बेंगलुरु भगदड़ में मौत की शिकार बनी दिव्यांशी की मां ने कहा, "उसका पायलट या डॉक्टर बनने का सपना था, वह बहुत अच्छी थी. मुझे नहीं पता, मैं किसी को दोष नहीं दे सकती. हमारा स्टेडियम के अंदर जाने का कोई प्लान नहीं था. हम आराम से फुटपाथ पर बैठकर देख रहे थे. वह क्रिकेट को लेकर बहुत आकर्षित थी. वह आपको क्रिकेट खिलाड़ियों के बारे में सब कुछ बताती है. वह विराट कोहली को देखना चाहती थी."
उन्होंने आगे कहा कि मेरी सांस फूल रही थी. मैंने एक शख्स को बचाया. सिर्फ 5 मिनट में, वह वहां नहीं थी. मुझे लगा कि वह अंदर चली गई है. बाद में मैंने उसे देखा. शिक्षकों को उस पर बहुत गर्व है, उसे नए स्कूल में ज्वाइन किए सिर्फ 2 साल हुए हैं, मुझे उस पर गर्व है, वह मेरे लिए एक आदर्श थी, मेरे लिए एक फरिश्ता.

दिव्यांशी की मां ने आगे कहा, "वह एक रत्न है, वह एक परी है. मुझे ट्रैफिक पुलिस को दोष देना होगा, क्या उन्हें नहीं पता था कि कैसे संभालना है? वहां बहुत ज़्यादा पुलिस की तैनाती नहीं थी. कोई भी भीड़ को संभालने की कोशिश नहीं कर रहा था. यह पागलपन था कि जब यह सब हो रहा था तो सरकार अंदर जश्न मना रही थी. मानवता अंदर होनी चाहिए, हम इसे पैदा नहीं कर सकते."
'जिंदगी भर के लिए दुखी'
भगदड़ के वक्त मौत का शिकार बनीं चिन्मयी शेट्टी (19) इंजीनियरिंग की फर्स्ट ईयर की छात्रा थीं. यक्षगान और भरतनाट्यम नृत्यांगना चिन्मयी को क्रिकेट में कोई खास रुचि नहीं थी. वह अपने कुछ सहपाठियों के साथ बुधवार को विधान सौधा और बाद में चिन्नास्वामी स्टेडियम गई थी, क्योंकि उसके दोस्तों ने जोर दिया था.

बेंगलुरू के बनशंकरी इलाके में रहने वाले उनके पिता करुणाकर शेट्टी ने कहा, "मेरी 19 वर्षीय बेटी की अचानक और दुखद मौत ने मुझे जिंदगी भर के लिए दुखी कर दिया है. इस कार्यक्रम को इतनी जल्दबाजी और अनियोजित तरीके से आयोजित नहीं किया जाना चाहिए था."
रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) की ऐतिहासिक इंडियन प्रीमियर लीग खिताब जीत के बाद पूरे बेंगलुरु शहर में बुधवार, 4 जून को जश्न का माहौल था, जिसका अंत दुख के साथ हुआ. एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम के पास भगदड़ मच गई, जिसमें 11 लोगों की मौत हो गई और 40 से ज़्यादा लोग घायल हो गए.
आरसीबी ने आईपीएल 2025 के फाइनल में पंजाब किंग्स को हराकर 18 साल के इंतज़ार को खत्म करने के एक दिन बाद बुधवार को बेंगलुरु में प्रशंसकों के साथ जश्न मनाने का ऐलान किया था.
स्थानीय अधिकारियों ने विधान सौधा से बेंगलुरु स्टेडियम तक चलने वाली ओपन-टॉप बस परेड की अनुमति देने से इनकार कर दिया था, जो कि सिर्फ़ एक किलोमीटर की दूरी है. हालांकि, 18 साल के लंबे इंतज़ार के बाद ट्रॉफी लेकर घर लौट रही आरसीबी टीम की एक झलक पाने के लिए दो लाख से ज़्यादा प्रशंसक इलाके में उमड़ पड़े. आरसीबी ने प्रशंसकों के साथ शाम के वक्त जश्न मनाने का ऐलान किया था.

स्टेडियम में एंट्री सिर्फ पास के ज़रिए ही करने की अनुमति थी, बिना प्रवेश के प्रशंसक परिसर के चारों तरफ भारी तादाद में इकट्ठा हुए. सरकार के साथ साझा की गई प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक, स्टेडियम परिसर के पास नाले पर रखा गया एक अस्थायी स्लैब उस पर खड़े लोगों की वजह से ढह गया. कथित तौर पर इस ढहने से अफरातफरी का माहौल बना और भगदड़ मच गई.
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'हमने जिम्मेदारी ली है...'
कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खड़गे ने कहा, "स्टेडियम की क्षमता 35 हजार लोगों की है, लेकिन करीब 3 लाख लोग सड़क पर आ गए. हमने अपनी तरफ से हर मुमकिन कोशिश की, लेकिन भीड़ को नियंत्रित नहीं किया जा सका. हमने जिम्मेदारी ली है और हम सुधारात्मक कदम उठाएंगे.
'हम सिर्फ जश्न का हिस्सा थे...'
कर्नाटक सरकार में मंत्री जी परमेश्वर ने कहा, "यह हमने नहीं करवाया. हमने आरसीबी और केएससीए से जश्न के संबंध में कोई अनुरोध नहीं किया था. उन्होंने इसका आयोजन किया था. हमें लगा कि सरकार को सम्मानित करना चाहिए. यह बेंगलुरु की टीम थी, इसलिए हमने जश्न का हिस्सा बनने का फैसला किया. बस इतना ही है. हमने नहीं कहा था कि हम ऐसा करेंगे, लेकिन यह आरसीबी और केएससीए ही थे, जो जश्न के लिए टीम को बेंगलुरु लेकर आए."