scorecardresearch
 

हिटलर, आउशवित्स, गैस चैंबर... 3 शब्दों से 'बवाल' पर बढ़ा विवाद, पढ़ें इजराइल क्यों नाराज

अमेजन प्राइम पर रिलीज अभिनेता वरुण धवन की फिल्म 'बवाल' को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है. आरोप है कि फिल्म में 1940 से 1945 के बीच हुए हिटलर के अत्याचारों के मार्मिक दौर का प्रयोग एक बेहद हल्की बात को समझाने के लिए किया गया है, जबकि होलोकॉस्ट और आउशवित्स ऐसी घटनाएं और जगहें हैं जिनके दर्द को बयां करने में शब्द भी कम पड़ जाते हैं.

Advertisement
X
बवाल फिल्म को लेकर बढ़ रहा है विवाद
बवाल फिल्म को लेकर बढ़ रहा है विवाद

यूरोप की कोई खूबसूरत सी जगह है. एक कम व्यस्त सड़क के किनारे लगी बेंच पर कपल बैठा है. दोनों के बीच बातचीत का जो माहौल है वह थोड़ा इमोशनल और थोड़े हास्य से मिलकर बना है. कपल जहां बैठा है, उसके बारे में बताते हुए लड़का कहता है, 'आ गए हिटलर के शहर... खुद के पास इतना खूबसूरत देश था और इन्हें आस-पास के भी इलाके चाहिए थे. पता नहीं ये जुनून कब खत्म होगा.'

लड़की, लड़के की इस बात को गौर से सुनती ही और एक पल ठहरकर उसकी ओर मुखातिब होती है. कहती है, 'हम सब भी अपनी-अपनी जिंदगी में थोड़े-थोड़े हिटलर हैं. जो पास है, उससे खुश नहीं हैं और उससे अधिक पाने का जुनून सवार है.'

बवाल फिल्म का है सीन
ये सीन 'बवाल' फिल्म का है. मुख्य भूमिका में वरुण धवन और जाह्नवी कपूर हैं. ये बातचीत उन दोनों के बीच की ही है. जिसमें जर्मन तानाशाह 'एडोल्फ हिटलर' का जिस तरीके से रूपक इस्तेमाल किया गया है, वह नागवार गुजरा है, खासकर उन लोगों और समूहों को जो एक दौर में हिटलर के अत्याचारों से पीड़ित रहे हैं. 

आरोप है कि फिल्म में 1940 से 1945 के बीच के इस मार्मिक दौर का प्रयोग एक बेहद हल्की बात को समझाने के लिए किया गया है, जबकि हिटलर के अत्याचार, होलोकॉस्ट और आउशवित्स ऐसी घटनाएं और जगहें जिनके दर्द को बयां करने में शब्द भी कम पड़ जाते हैं. फिल्म अमेजॉन प्राइम पर रिलीज हुई है और कई संगठन इसका प्रदर्शन रोकने व साथ ही प्लेटफॉर्म से इसके मोनेटाइजेशन को बंद करने की मांग कर रहे हैं.  

Advertisement

इजराइल राजदूत ने भी जताई चिंता
इजराइल के राजदूत नाओर गिलोन ने "बवाल" में होलोकॉस्ट के इस तरह के संदर्भ को दिखाए जाने पर चिंता जताई है और कहा है कि फिल्म में शब्दावलियों का प्रयोग और बतौर प्रतीकों के इस मार्मिक घटना का विवरण बहुत ही बचकाना है. वरुण धवन और जाह्नवी कपूर की ये फिल्म रिलेशनशिप (पति-पत्नी संबंध), पारिवारिक कलह की मुश्किलें बताने और इसे हल करने के लिए होलोकॉस्ट का इस्तेमाल किया है. इसे विवाद शुरू हो गया है. 

मंगलवार को यहूदी समूह ने की थी फिल्म की आलोचना
इससे पहले एक प्रमुख यहूदी समूह ने फिल्म की आलोचना की थी और इसे ओटीटी प्लेटफॉर्म से हटाने की मांग की थी. भारत में इजरायली दूतावास ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर कहा कि वह "दंगल" फेम नितेश तिवारी द्वारा निर्देशित फिल्म में "होलोकॉस्ट के महत्व को बहुत तुच्छ जैसा बताने से परेशान" है.

गिलोन ने ट्विटर पर लिखा, "मैंने फिल्म 'बवाल' नहीं देखी और न ही देखूंगा, लेकिन जो मैंने पढ़ा है, उसमें शब्दावली और प्रतीकवाद का इस्तेमाल बहुत खराब तरीके से किया गया है. उन्होंने कहा, "मैं उन लोगों से आग्रह करता हूं जो नरसंहार की भयावहता के बारे में बहुत नहीं जानते हैं कि वे इसके बारे में  पढ़कर जान लें. 

Advertisement

बवाल फिल्म पर हो रहा है विवाद

विसेन्थल सेंटर ने भी फिल्म को बताया साजिश
मंगलवार को, होलोकॉस्ट के पीड़ितों की स्मृति को समर्पित साइमन विसेन्थल सेंटर (एसडब्ल्यूसी) ने एक बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने फिल्म की आलोचना की और कहा कि, एक साजिश के तहत नाजी होलोकॉस्ट का अपमानजनक दुरुपयोग किया गया है. फिल्म में एक जगह दो दृश्य समानांतर चल रहे हैं. 

एक तरफ कपल गैस चैंबर देखने के लिए उसके अंदर प्रवेश करता है, तो इसके ही पैरलल स्कूल में प्रिंसिपल एक क्लास में प्रवेश करते हैं. बैकग्राउंड में आवाज आती है, 'किसी को नहीं पता था क्या होने वाला है.'  संगठन ने कहा, फिल्म में "ऐसे दृश्य हैं जिनमें नायक ऑशविट्ज़ में एक गैस चैंबर में प्रवेश करते हैं और धारीदार कपड़े पहने हुए उनका दम घुट जाता है".

एसडब्ल्यूसी के एसोसिएट डीन और ग्लोबल सोशल एक्शन के निदेशक रब्बी अब्राहम कूपर ने कहा, "ऑशविट्ज़ कोई रूपक नहीं है. यह मनुष्य की बुराई करने की क्षमता का एक बुरा उदाहरण है." 

क्या है फिल्म की कहानी
फिल्म में वरुण धवन एक स्कूल में इतिहास टीचर अजय दीक्षित के किरदार में हैं. उनका अंदाज-मिजाज फिल्मी है और वह अपने आसपास एक फेक आवरण बनाए हुए हैं. उनकी पत्नी निशा की भूमिका में जाह्नवी कपूर हैं, जिन्हें मिर्गी के दौरे आते हैं. इसके बाद दोनों यूरोप दौरे पर जाते हैं, जहां वे आउशविट्ज़ और एम्स्टर्डम में ऐनी फ्रैंक के घर और गैस चैंबर सहित द्वितीय विश्व युद्ध के प्रमुख स्थलों का दौरा करते हैं. इस दौरान वह अपनी जिंदगी और द्वितीय विश्वयुद्ध की तमाम घटनाओं के साथ रिलेट करते हैं. 

Advertisement

क्या है आउशवित्ज नाजी कैंप
फिल्म में जिस आउशवित्ज नाजी कैंप का संदर्भ दिया गया है,  कैलेंडर में उसकी तारीख द्वितीय विश्व युद्ध के समय के साथ जुड़ती है. इस दौरान साउथ पोलैंड में स्थित इस कैंप में  1940 से 1945 के बीच तकरीबन 11 लाख लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था, जिनमें से अधिकतर संख्या में यहूदी थे.
इस कैंप का निर्माण 1940 में शुरू किया गया था, जो 40 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला था. कैंप में रोमा जिप्सियों, अक्षम लोगों, समलैंगिकों, पोलैंड के गैर यहूदियों और सोवियत संघ के क़ैदियों को रखा गया था. इस कैंप से पीड़ितों को 27 जनवरी 1945 में सोवियत संघ की रेड आर्मी ने मुक्त कराया था.
साल 1947 में इसे म्यूजियम बना दिया गया. यहां मारने से पहले कैदियों को दी जाने वाली यातनाओं, अत्याचारों से जुड़ी स्मृतियों को सहेज कर रखा गया है.

क्या है होलोकास्ट
होलोकास्ट द्वितीय विश्वयुद्ध के इतिहास काल में हुआ वो नरसंहार था, जिसमें छह साल में करीब 60 लाख यहूदियों की जान ले ली गई. इनमें 15 लाख सिर्फ बच्चे थे. कई यहूदी अपनी जान बचाकर देश छोड़कर भाग गए. कुछ कन्सनट्रेशन कैंप्स में क्रूरता के चलते तड़प-तड़प कर मरे. आउशवित्स कैंप यहूदियों को खत्म करने की प्लानिंग और उन्हें अमानवीय तरीकों से कैद कर रखे जाने की एक जगह थी. यहां से आजाद होने तक 11 लाख लोग मारे गए थे.
 

Advertisement

एक समय पर पुतिन के परिवार ने सहा था हिटलर का जुल्म!

Advertisement
Advertisement