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बकरीद पर मुस्लिम धर्मगुरुओं की अपील, कुर्बानी के लिए प्रतिबंधित जानवरों का इस्तेमाल ना करें

मरकजी रूयत ए हिलाल कमेटी ने भी मुसलमानों से अमन और भाईचारे के साथ ईद उल अजहा का त्योहार मनाने की अपील की है. कुर्बानी में अगर स्थानीय लोगों और पड़ोसियों को आपत्ति हो तो आसपास के ऐसे इलाकों में जहां कुर्बानी हो रही हो वहां जाकर कुर्बानी की रस्म अदा की जा सकती है. 

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बकरीद को लेकर धर्मगुरुओं की अपील (सांकेतिक फोटो)
बकरीद को लेकर धर्मगुरुओं की अपील (सांकेतिक फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कोरोना प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए मनाए ईद
  • नहीं करें प्रतिबंधित जानवरों का इस्तेमाल

मुस्लिम धार्मिक और सामाजिक संगठनों ने मुसलमानों से ईद उल अजहा यानी बकरीद का पर्व 21 जुलाई को मनाने के क्रम में कोविड प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करने की अपील की है. जमीयत उलेमा ए हिंद ने भी मुसलमानों से कहा है कि सुबह बकरीद की नमाज के फ़ौरन बाद कुर्बानी की रस्म अदा कर दी जाए.

जमीयत के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने अपील की है कि मुसलमान कुर्बानी के लिए प्रतिबंधित जानवरों का इस्तेमाल न करें. इस्लाम में काले जानवरों की कुर्बानी को भी जायज माना है. किसी भी किस्म के विवाद से बचने के लिए इसी सद्भाव पर अमल किया जाना चाहिए. प्रशासन को इत्तिला देना बराबर संपर्क में और सामाजिक विश्वास में रहना उचित होगा. कोविड संक्रमण के मद्देनजर कुर्बानी के फ़ौरन बाद खून और अन्य अपशिष्ट को जमीन में गहरे दफन कर देना सही रहेगा. 

मरकजी रूयत ए हिलाल कमेटी ने भी मुसलमानों से अमन और भाईचारे के साथ ईद उल अजहा का त्योहार मनाने की अपील की है. कुर्बानी में अगर स्थानीय लोगों और पड़ोसियों को आपत्ति हो तो आसपास के ऐसे इलाकों में जहां कुर्बानी हो रही हो वहां जाकर कुर्बानी की रस्म अदा की जा सकती है. 

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नमाज घर में ही अदा की जाय तो बेहतर और सुरक्षित होगा. मस्जिद में सेनेटाइज और दो गज की सामाजिक दूरी का ध्यान रखा जाय, तभी जानें की सोचें. सुरक्षा का पहले ख्याल रखना जरूरी है. क्योंकि थोड़ी सी भी असावधानी लोगों को मुश्किल में डाल सकती है. 

और पढ़ेंEid al-Adha 2021: भारत में कब मनाया जाएगा बकरीद का त्योहार, इस दिन क्यों दी जाती है कुर्बानी?

ईद उल अजहा यानी बकरीद इस्लाम धर्म का दूसरा सबसे बड़ा त्योहार है. इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से बकरीद का त्योहार 12वें महीने की 10 तारीख को मनाया जाता है. बकरीब का त्योहार रमजान का महीने खत्म होने के 70 दिन के बाद बकरीद का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन इस्लाम धर्म के मानने वाले नमाज पढ़ने के बाद जानवर की कुर्बानी देते हैं. भारत में इस बार बकरीद बुधवार, 21 जुलाई को मनाया जाएगा.

क्यों दी जाती है कुर्बानी?

मुस्लिम धर्म के लोग अल्लाह की रजा के लिए कुर्बानी करते हैं. हालांकि इस्लाम में सिर्फ हलाल के तरीके से कमाए हुए पैसों से ही कुर्बानी जायज मानी जाती है. इसमें बकरा, भेड़ या ऊंट जैसे किसी जानवर की कुर्बानी दी जाती है. कुर्बानी के वक्त ध्यान रखना होता है कि जानवर को चोट ना लगी हो और वो बीमार भी ना हो.
 

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