भुवनेश्वर में पुलिस के साथ कथित रूप से दुर्व्यवहार के कारण गिरफ्तार, सैन्य अधिकारी की महिला मित्र ने गुरुवार को दावा किया कि हिरासत में लिए जाने के बाद उसके साथ यौन उत्पीड़न हुआ. यह घटना तब हुई जब वह 14 सितंबर को घर लौटते समय बदमाशों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के लिए भरतपुर थाने में गए थे.
पुलिस द्वारा गिरफ्तार की गई महिला के आरोपों की गंभीरता को देखते हुए गुरुवार को पीड़िता को ओडिशा हाईकोर्ट ने जमानत दे दी. इस घटना के बाद देशभर में आक्रोश फैल गया, जिसके बाद ओडिशा पुलिस ने भरतपुर पुलिस स्टेशन के प्रभारी निरीक्षक सहित पांच अधिकारियों को निलंबित कर दिया.
घटना की टाइमलाइन
14 सितंबर, आधी रात: भुवनेश्वर में घर लौट रहे एक आर्मी ऑफिसर और उनकी मंगेतर की शानदार शाम एक बुरे सपने में बदल गई. इस कपल का अचानक गुंड़ों के समूह ने पीछा किया. अपनी सुरक्षा के डर से यह कपल नजदीकी पुलिस स्टेशन की तरफ भागे.
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15 सितंबर, रात 1 बजे: डरा हुआ कपल शिकायत दर्ज कराने के लिए पुलिस स्टेशन पहुंचा, हालांकि, उन्हें नहीं पता था कि उनके साथ ही बुरा होने वाला है. पीड़िता का आरोप है कि उसने प्राथमिकी दर्ज करने और बदमाशों को पकड़ने के लिए एक गश्ती वाहन भेजने के लिए कहा लेकिन मदद करने की बजाय उसके साथ ही दुर्व्यवहार किया गया.
15 सितंबर: 1.30-3 बजे के बीच: कपल ने आरोप लगाया कि पुलिस अधिकारियों ने उनके साथ क्रूरता से मारपीट की. महिला ने आरोप लगाया कि उसके कपड़े उतारे गए, उसका यौन उत्पीड़न किया गया और उसे शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया. फिर कथित तौर पर उसके बालों को पकड़कर उसे गलियारे से घसीटा गया.
यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाते हुए महिला ने बताया,'मुझे पीटने के बाद महिला पुलिसकर्मियों ने मेरे हाथ-पैर बांधकर मुझे एक कमरे में बंद कर दिया. कुछ देर बाद एक पुरुष पुलिसकर्मी ने दरवाजा खोला. उसने एक के बाद एक मेरे सीने पर कई बार लातें मारीं. उसने मेरी पैंट उतार दी. इसके बाद पुलिसकर्मी ने अपनी पैंट उतारी और मुझे प्राइवेट पार्ट दिखाने लगा. पुलिसवाले ने मुझसे कहा कि तुम कब तक चुप रना चाहती हो.' इस दौरान सेना अधिकारी को लॉकअप में डाल दिया गया.
16 सितंबर: सेना को घटना के बारे में पता चलने के बाद, उसने ओडिशा सरकार से शिकायत की.
17 सितंबर: बढ़ते दबाव और आक्रोश के जवाब में, सरकार ने मामले को अपराध जांच CID को सौंप दी. पुलिस द्वारा हमले और दुर्व्यवहार की गंभीरता को स्वीकार करते हुए एक उच्च स्तरीय जांच का आदेश दिया गया.
18 सितंबर: जैसे-जैसे जांच ने गति पकड़ी, हमले में शामिल पांच पुलिस अधिकारियों का तबादला कर दिया गया और बाद में उन्हें निलंबित कर दिया गया. ओडिशा उच्च न्यायालय ने उस महिला को भी जमानत दे दी, जिस पर पुलिस ने गलत आरोप लगाए थे और उसे गिरफ्तार किया था.
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19 सितंबर: कोर्ट के आदेश के बाद आखिरकार पीड़िता को हिरासत से रिहा कर दिया गया. रिहा होने पर, पीड़िता ने मीडिया को अपनी दर्दनाक आपबीती सुनाई. उसे कई चोटें आईं, जिसमें उसके जबड़े पर आई चोट भी शामिल थी.
20 सितंबर: सेना अधिकारी और उसकी मंगेतर के यौन और शारीरिक उत्पीड़न में शामिल पांच पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आधिकारिक तौर पर एफआईआर दर्ज की गई. अब जब जांच चल रही है, तो न्याय की उम्मीद बढ़ने लगी है.
मामले को लेकर सेना के शीर्ष अधिकारियों ने ओडिशा के डीजीपी और प्रशासन से बात की है. सेना के मुताबिक सेवारत सेना अधिकारी को हिरासत में लेना और निकटतम सेना इकाई को सूचित न करना गैरकानूनी है.